- हर साल 91 सेंमी घट रहा है भूजल स्तर
- तालाबों को पुर्नजीवित करने के लिए उठाने होंगे कदम
-जल संचयन के लिए करने होंगे सार्थक प्रयास
Meerut । जल संचय नहीं किया तो आगामी 10 साल में मेरठ शहर में भी केपटाउन जैसा जल संकट हो जाएगा। हालत यह है कि हर साल मेरठ का भूजल स्तर 91 सेमी घट रहा है। बावजूद इसके, सरकारी विभाग से लेकर आम जनता तक भूजल संचयन के लिए गंभीर नहीं है।
डार्क जोन में भी रोक नहीं
मेरठ जिले में पांच ब्लॉक को शासन ने डार्क जोन घोषित कर रखा है। बावजूद इसके, प्रशासन की ओर से रिबोर करने पर कोई रोक नहीं है। जबकि दो ब्लॉक ऐसे ही जिसको शासन ने अति दोहन की श्रेणी में रख दिया है।
नहीं होता कोई रजिस्ट्रेशन
शहर में पानी का दोहन करने वाले सर्विस सेंटर, पानी का कारोबार, बिल्डिंग मैटीरियल, डेयरी, मीट प्लांट आदि का कोई रजिस्ट्रेशन नहीं है। रजिस्ट्रेशन की जिम्मेदारी किसकी है यह भी प्रशासन के अधिकारी नहीं जानते हैं। हालात यह है हर विभाग एक दूसरे पर टालता है।
नियम करने होंगे सख्त
यदि भूजल दोहन को रोकना है तो जो नियम कानून है उनको सख्त करना होगा। पानी का दोहन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करनी होगी और पानी के दोहन को रोकना होगा। यदि ऐसा नहीं हुआ आने वाले दस साल में मेरठ में पानी के लिए हाहाकार मचेगा।
ये हो सकते हैं उपाय
- तालाबों को पुर्नजीवित करना होगा
- बिल्डिंगों में रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाने होंगे।
- बारिश के पानी के संचयन की व्यवस्था करनी होगी।
- अधिक पानी से सिंचाई होने वाली खेती को बंद करना होगा।
- रिबोर पर पूर्ण तरीके से प्रतिबंध लगाना होगा।
पानी को बचाने के लिए प्रयास तो करने होंगे। नहीं तो आने वाले दिनों में पानी के हाहाकार मचेगा.इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है रिबोर दिन ब दिन बढ़ता ही जा रहा है।
नीरज तोमर
पानी का दोहन तो हो रहा है। इसमें कोई संदेह नहीं है। आम आदमी के साथ प्रशासन को भी इसकी जिम्मेदारी उठानी पड़ेगी। इसके बिना और कोई रास्ता नहीं है। लेकिन इसमें कुछ नियम व कानून भी बनाना होगा। इसका पालन भी कराना होगा।
अनीस
पानी का स्तर तो गिरता ही जा रहा है। पहले जहां बिना मोटर के नल में पानी आ जाता था। वहीं इस समय बिना मोटर के पानी आता ही नहीं है। पहले केवल हैंडपंप हुआ करते थे। अब तो लगभग हर घर में सबमर्सिबल लगा हुआ है।
कपिल
पानी को दोहन रोकने के लिए नियम कानून सख्त करने होंगे। इसके अलावा वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना होगा। तब जाकर भूजल स्तर में बढोत्तरी होगी। इसके बिना कोई और रास्ता नहीं है। तालाबों को भी पुर्नजीवित करना होगा।
मनी
पानी का स्तर लगातार घटता जा रहा है। भूजल संचय के लिए तालाबों को पुर्नजीवित करना होगा। वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को हर बिल्डिंग में लगवाना होगा। जल संचयन के नियमों को सख्ती के साथ लागू कराना होगा। इसके बाद ही भूजल का स्तर ऊपर आएगा।
रमन त्यागी, नीर फाउंडेशन