RANCHI: हालात नहीं सुधरे, तो बूंद-बूंद पानी के लिए रांची के लोग तरसेंगे। जी हां, रांची शहर की 80 फीसदी आबादी को पीने का पानी नसीब नहीं है। वाटर लेवल 8 से क्0 मीटर नीचे चला गया है। कुएं सूखने लगे हैं। लेकिन इसकी चिंता न यहां की सरकार को है और न पब्लिक को। ऐसे में हर साल की भांति इस बार भी गर्मी में पानी के लिए हाय-तौबा मचना तय है। शहर की आबादी बेतहाशा बढ़ी है, लेकिन वाटर सप्लाई के स्रोत पहले से भी कम हुए हैं।

90 लाख गैलन कम पानी

झारखंड सरकार के पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के आंकडों की मानें, तो रांची में हर दिन ब्म्0 लाख गैलन पानी की जरूरत है। जबकि सिर्फ फ्70 लाख गैलन ही पानी उपलब्ध है। इसमें भी लगभग ख्0 परसेंट पानी खराब पाइपलाइन की वजह से बेकार हो जा रहा है। क्योंकि रांची में अभी भी पुरानी पाइपलाइन बदली नहीं गई है। इस कारण ये पाइपलाइन जगह-जगह डैमेज हो गई हैं। आए दिन शहर में कई जगहों पर लिकेज की समस्या बनी हुई है। इससे हजारों लीटर पानी सड़क व नालियों में यूं ही बह जा रहा है।

तीन डैमों से वाटर सप्लाई

रांची शहर में तीन डैम से वाटर सप्लाई होती है। इनमें रूक्का, गोंदा व हटिया डैम शामिल हैं। फिलहाल सबसे ज्यादा लोड रूक्का डैम पर है। यहां से हर दिन पूरे शहर को लगभग फ्0 मिलियन गैलन की सप्लाई हो रही है। वहीं, हटिया से 8 मिलियन और गोंदा से ब् मिलियन गैलन पानी की सप्लाई हो रही है। हटिया और गोंदा डैमों की पिछले कई सालों से सफाई नहीं हुई है। नतीजन, इनका वाटर लेवल काफी नीचे चला गया है।

डैमों में वाटर लेवल

डैम वाटर लेवल

रूक्का क्9ख्भ्.ख् फीट

हटिया ख्क्क्9.ख् फीट

गोंदा क्8.8 फीट

नोट: समुद्रतल के हिसाब से पानी की उपलब्धता है।

अवैध दोहन के कारण पाताल में गया पानी

पिछले क्भ् सालों से रांची में पानी का अवैध दोहन हो रहा है। रांची नगर निगम की बगैर अनुमति लोग डीप बोरिंग कर अंधाधुंध पानी निकाल रहे हैं। हालत यह है कि शहर के कुएं सूखने शुरू हो गए हैं। जल स्तर 8 से लेकर क्0 मीटर नीचे चला गया। साथ ही रांची में रेन वाटर हार्वेस्टिंग का भी पालन नहीं हो रहा है। इमारतों के निर्माण में इसका ख्याल नहीं रखा जा रहा है। इसका असर वाटर लेवल पर पड़ा है। वहीं नगर निगम की ओर से हर साल डीप बोरिंग को रोकने के लिए अभियान चलाया जाता है। लेकिन ये केवल नाम का होता है। गर्मी शुरू होने से पहले मार्च के महीने में ही अवैध डीप बोरिंग का खेल शुरू हो जाता है। नगर निगम के अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं लगती है।