क्त्रन्हृष्ट॥ढ्ढ: राजधानी रांची को करीब 87 मिलियन गैलन पर डे (एमजीडी) पानी की जरूरत है, जबकि सप्लाई मात्र 44 एमजीडी ही हो रहा है. नतीजन, सिटी की आधी आबादी पानी के लिए अन्य स्रोतों पर निर्भर है. यह हाल तब है जबकि गर्मी का सीजन शुरू होने वाला है, जाहिर है इस साल भी गर्मी में पानी संकट होने वाला है. गौरतलब हो कि रांची में तीन डैमों से पानी की सप्लाई होती है. रुक्का डैम से 30, गोंदा डैम से 4 व हटिया डैम से 10 एमजीडी पानी की सप्लाई होती है.

आधी रांची ड्राई जोन

शहर की बात की जाए तो पिछले एक दशक से पानी की समस्या जस की तस बनी हुई है. आधी से ज्यादा आबादी को एक दिन में मुश्किल से एक बार ही पानी मिल पा रहा है. सिटी के लोग बदबूदार और लाल रंग के पानी को पीने के लिए मजबूर हैं. आधी रांची ड्राई जोन हो चुकी है. लेकिन इस समस्या का अब तक कोई हल नहीं निकला है.

5 साल से बिछ रही पाइपलाइन

गौरतलब हो कि सिटी के लोगों को पानी पिलाने के लिए सरकार पाइपलाइन बिछाने का काम कर रही है, लेकिन यह काम पिछले पांच सालों से चल रहा है, जो अब तक पूरा नहीं हो पाया है. दरअसल, राजधानी में लोगों को जितना पानी की जरूरत है, वो उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. अब गर्मी भी आने वाला है ऐसे में पानी की किल्लत भी शुरू हो जायगी. आधी आबादी पानी के लिए परेशान है.

ग्राउंड वाटर लेवल गिरा

पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के आंकड़े बताते हैं कि राजधानी रांची के शहरी क्षेत्र का ग्राउंड वाटर लेबल चार मीटर तक गिरा है. जिनके यहां बोरिंग है उन्हें हर गर्मी में बोरिंग फेल होने का डर बना रहता है. किशोरगंज, न्यू मधुकम, मधुकम, सुखदेव नगर, मोरहाबादी, आनंद नगर सहित कई ऐसे इलाके हैं, जहां वाटर लेबल 300 फ ट के पार चला गया है. वहीं हार्वेस्टिंग के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति हो रही है. निगम में रजिस्टर्ड कुल 1 लाख 58 हजार घरों में से मात्र 11 हजार 200 घरों में ही हार्वेस्टिंग सिस्टम डेवलप किया गया है.

इन इलाकों में जल संकट

पानी की समस्या से जूझ रहे क्षेत्रों में बूटी, बरियातू, विकास, दीपा टोली, कोकर, मोरहाबादी, करमटोली, मेन रोड, हिंदपीढ़ी, चुटिया, डोरंडा, हरमू, विद्यानगर और रातू रोड के तमाम क्षेत्र शामिल हैं. सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्र हिंदपीढ़ी और रातू रोड हैं. इन इलाकों के लोग पूरी तरह सप्लाई पानी पर ही निर्भर हैं. चापाकल और नगर निगम की टंकियों के ना होने से स्थिति और भी गंभीर हो गई. खासकर गर्मियों के मौसम में पानी की किल्लत से ये इलाके बुरी तरह से प्रभावित हो जाते हैं.

जरूरत से आधे भी नहीं जलमीनार

नगर विकास विभाग ने शहर में पानी सप्लाई की कार्ययोजना बनाने के लिए जुडको को अधिकृत किया था. जुडको ने जो डीपीआर तैयार की थी उसके हिसाब से शहर को कम से कम 4 लाख 51 हजार 470 किलोलीटर पानी की जरूरत है. इसके लिए शहर में कम से कम 61 जलमीनारों की जरूरत है. लेकिन वर्तमान में सिर्फ 24 जलमीनारें ही हैं, जिनसे शहर की 40 परसेंट आबादी को ही करीब 1 लाख 71 हजार किलोलीटर वाटर की सप्लाई हो पा रही है.

वर्जन

शहर में अंधाधुंध कंस्ट्रक्शन जिस प्रकार हो रहा है, उससे पानी की समस्या और ज्यादा उत्पन्न होगी. सिटी के रिचार्ज जोन एरिया में इमारतें खड़ी कर दी गई हैं, तालाबों और नदियों के किनारे बन रही इमारतों से बहुत बड़ा नुकसान हुआ है. दो चापानलों के बीच कम से कम 200 फीट की दूरी होनी चाहिए. लेकिन सिटी में 20-20 फ ट की दूरी पर बोरिंग हो रही हैं. लोग खुली जगहों को कंक्रीट से ढक रहे हैं और हर बारिश में करीब 60 परसेंट पानी बह जाता है. जल संचयन की व्यवस्था नहीं है.

-नीतीश प्रियदर्शी, भूगर्भ शास्त्री, रांची