RANCHI: रिम्स में एक तरफ पानी के लिए मरीजों के परिजन भटक रहे थे। बूंद-बूंद पानी के लिए वार्ड से लेकर हॉस्पिटल के बाहर तक चक्कर लगा लिया, लेकिन उन्हें पीने का पानी नहीं मिला। हारकर परिजनों ने दुकान से पानी खरीदकर मरीज की प्यास बुझाई। वहीं दूसरी ओर टंकी से पानी ओवरफ्लो होकर हजारों लीटर नाले में बह गया। जिसे देखने वाला कोई नहीं था। विभाग की लापरवाही के कारण जिस पानी से सैकड़ों मरीजों की प्यास बुझाई जा सकती थी वह नाले में बेकार बह गया। ऐसे में सवाल यह उठता है कि मरीजों को हॉस्पिटल में बेहतर सुविधा कैसे उपलब्ध कराई जाएगी जब अधिकारी और कर्मचारी नींद में सोते रहेंगे?

एक हफ्ते से समस्या

हॉस्पिटल में इलाज करा रहे मरीज और उनके परिजन पिछले 1 हफ्ते से पानी की किल्लत से जूझ रहे हैं। कुछ लोग पानी खरीदकर अपनी प्यास बुझा रहे हैं तो कुछ के लिए हॉस्पिटल के बाहर लगा सप्लाई नल सहारा बना हुआ है। इसके अलावा कई लोग पास के तालाब के सहारे ही अपना दिन गुजार रहे है। लेकिन रविवार को हॉस्पिटल में स्थिति यह थी कि वाटर वेंडिंग मशीन में भी पीने का पानी नहीं था। इससे इलाज के लिए पहुंचे मरीजों और उनके परिजनों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।

जमे हुए पानी से धो रहे बर्तन

पानी के ओवरफ्लो के कारण मेन बिल्डिंग से लेकर सुपर स्पेशियलिटी कैंपस में कई जगह पर जलजमाव हो गया है। यह पानी पीने लायक तो नहीं है, लेकिन मजबूरी में इसका इस्तेमाल मरीजों के परिजन बर्तन आदि धोने के लिए कर रहे हैं। वहीं कुछ मरीजों के परिजन तो इससे ही कपड़े भी धो रहे हैं। आखिर हर छोटे-मोटे काम के लिए वे पानी कहां से लाएंगे। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि विभाग के अधिकारी और कर्मचारी कितने लापरवाह है जिन्हें बेकार में बह रहा पानी दिखाई नहीं दे रहा।

परिजनों ने बताई परेशानी

मरीज का इलाज चल रहा लेकिन वार्ड में पानी नहीं है। दूसरे वार्ड में पानी खोजने पहुंचे तो वहां के नल में भी पानी नहीं आ रहा था। बाहर निकलने पर पता चला सुबह से ही पानी बह रहा है। इसके लिए अधिकारियों को सोचना चाहिए कि पानी की बर्बादी न हो।

बलिता देवी

हॉस्पिटल में पानी बर्बाद हो रहा है तो उसे रोकने के उपाय करना चाहिए। परेशानी तो हम लोगों को होती है जो दूरदराज से जाकर पानी लाना पड़ता है। प्रबंधन को हमारी परेशानी के बारे में भी सोचने की जरूरत है। दिनभर में हमें कई बार पानी लाना पड़ता है, जिससे काफी दिक्कत होती है।

चरखी देवी

अगर पानी बर्बाद होने से बचा लिया जाता तो वार्ड में ही पीने का पानी मिल जाता। लेकिन यहां तो कोई देखने वाला ही नहीं है। सुबह से पानी बह रहा है लेकिन किसी ने बंद करने के बारे में नहीं सोचा। इतने पानी में तो कई मरीजों का काम चल जाता।

दशरथ राम