- मार्केट और बिल्डिंग बनाने से पहले नहीं दी कोई सूचना

BAREILLY:

बरेली में भूजल लेवल के गहराते संकट पर अफसरशाही भारी पड़ रही है। क्योंकि जिन स्थानों पर पानी की थाह लेने के लिए पीजोमीटर लगे थे, वह कंक्रीट के जंगल में तब्दील हो रहे शहर के नीचे दब गया है। लिहाजा, सिविल लाइंस, परसाखेड़ा और बीसलपुर चौराहा एरिया में भूजल के स्तर का पिछले कई वर्षो से पता नहीं चल पा रहा है। जबकि, मीटर के वर्किंग पोजिशन में रहने तक इन इलाकों में पानी का स्तर खतरे की निशान की ओर बढ़ रहा था। पानी के लगातार दोहन होने से जिसके और भी गहरे जाने से इनकार नहीं किया जा सकता। हैरत की बात है कि भूजल को लेकर न तो हाइड्रोलॉजी डिपार्टमेंट के अफसर ही सजग हैं और न ही प्रशासन।

इन जगहों पर बन गए बिल्डिंग और मार्केट

बरेली में 48 स्थानों पर भूजल लेवल की थाह लेने के लिए पीजोमीटर लगाए गए थे। विकास भवन कैम्पस में बने पीजोमीटर प्वॉइंट पर ड्राइवर और गार्ड रूम बना दिया गया है। जबकि, परसाखेड़ा में प्राइमरी पाठशाला का कमरा बना दिया गया। वहीं एक पीजोमीटर बीसलपुर चौराहे के पास भी था। जहां पर अब मार्केट बस गया और पीजोमीटर का अस्तित्व खत्म हो गया। शहर के अलावा ग्रामीण क्षेत्र में भी बने कई पीजोमीटर प्वॉइंट पर भवन बन गए हैं। फरीदपुर ब्लॉक के करुआ और नवाबगंज कुंआटांडा के पीजोमीटर प्वॉइंट पर स्कूल बन गए हैं।

लगातार गिर रहा वाटर लेवल

समय-समय पर अंडर ग्राउंड लेवल की स्थिति परखने के लिए 50- 60 हजार रुपए खर्च कर पीजोमीटर का निर्माण कराया गया था, लेकिन उस पर भवन निर्माण और मार्केट खुलने की वजह से समस्या उत्पन्न हो गई है। क्योंकि, पिछले दो वर्ष से विकास भवन क्षेत्र का वाटर लेवल पता नहीं चल पा रहा है। जबकि, बिल्डिंग बनने से पहले जांच में लगातार क्षेत्र का अंडर ग्राउंड वाटर का ग्राफ गिर रहा था। विकास भवन के आसपास 2014 में 10.51 और 2015 में 11.33 मीटर पर पानी था। जो कि 2016 में बढ़कर 12.06 मीटर पर पहुंच गया था। यहां लगा पीजोमीटर बिल्डिंग के नीचे दब गया, जिससे एरिया में जल संकट गहराने की जानकारी नहीं हो पा रही है।

5 मीटर के बाद स्थिति खतरनाक

शहर में कई एरियाज में अंडर ग्राउंड वाटर लेवल सामान्य से काफी नीचे है। ग्राउंड वॉटर का लेवल 5 मीटर पर होना अच्छा माना गया है, लेकिन शहर में कई स्थानों पर अंडर ग्राउंड वाटर लेवल 8 मीटर नीचे तक पहुंच गया है। यदि मानसून से पहले या बाद में अंडर ग्राउंड वाटर लेवल में 20 सेमी। से अधिक की गिरावट दर्ज हो तो, इन क्षेत्रों में भूजल को रिचार्ज करने की जरूरत पड़ने लगती है। ऐसा न होना पर स्थिति विकट हो सकती है।

300 मीटर के दायरे में होने चाहिए सबमर्सिबल

एक्सपर्ट की मानें तो यदि पहले से कोई सबमर्सिबल लगा है, तो उससे 300 मीटर के दायरे में कोई दूसरा सबमर्सिबल नहीं होना चाहिए। यह भूगर्भ जल के लिए काफी खतरनाक होता है। बोरिंग नजदीक होने से भूगर्भ जल ड्राई होने के चांसेज काफी बढ़ जाती हैं।

कई पीजोमीटर प्वॉइंट पर सरकारी बिल्डिंग और मार्केट बन गए हैं। जिसकी कोई सूचना संबंधित डिपार्टमेंट ने नहीं दिया। जिसकी वजह से अंडर ग्राउंड वॉटर लेवल पता करना काफी मुश्किल हो गया है।

धर्मवीर सिंह राठौर, सीनियर हाइड्रोलॉजिस्ट