-हो रहा सिर्फ ट्रायल पर ट्रायल, अभी तक नहीं मिली सफलता

-90 एमएलडी पानी की जरूरत, आपूर्ति सिर्फ 45 एमएलडी की

गर्मी अपना तेवर दिखाने लगी है. इसमें पानी ही लोगों के लिए अमृत के समान है, लेकिन वरुणापार की आधी आबादी को पीने का पानी तक नहीं मिल रहा. जलकल विभाग के आंकड़ों के अनुसार वरुणापार इलाके को 90 मिलियन लीटर प्रतिदिन पानी (एमएलडी) की जरूरत है, जबकि हकीकत में आपूर्ति सिर्फ 45 एमएलडी हो रही है. ऐसे में यहां लोगों की क्या हालत होगी आप खुद ही समझ सकते है. वरुणापार एरिया की प्यास बुझाने के लिए जेएनएनयूआरएम के तहत बनी नई पेयजल योजना अभी तक पूरी नहीं हो सकी है जबकि सफलता के लिए ट्रायल पर ट्रायल जारी है.

10 साल से हो रहा काम

यहां पेयजल आपूर्ति के लिए बीते 10 साल से काम जारी है, लेकिन योजना का लाभ कब मिलेगा, यह साफ-साफ बता पाने की स्थिति में जल निगम और जलकल के अधिकारी भी नहीं हैं. जेएनएनयूआरएम के तहत शहर की पेयजल योजना पर 760.18 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया है. इसमें जलापूर्ति योजना फेज-2 का 119.20 करोड़ रुपये से चौबेपुर के कैथी में गंगा जल लिफ्ट कराकर सारनाथ तक लाना था, जहां पर बरईपुर में वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट बनाकर वरुणापार इलाके में बनी ओवरहेड टंकियों को भरना था.

27 ओवरहेड टैंक था बनाना

वहीं, 111.49 करोड़ रुपये से वरुणापार में 466 किमी पेयजल लाइन बिछाने के अलावा वरुणा पार में 27 ओवरहेड टैंक के अलावा शहर में भी 17 ओवरहेड टैंक बनाने थे. यह कार्य वर्ष 2009 में शुरू हुआ जिसे 2010 तक पेयजल आपूर्ति शुरू करनी थी लेकिन सच यह है कि अभी तक घर-घर गंगा का जल नहीं पहुंच सका है.