- लगभग 80 प्वाइंट पर धोबी साफ करते हैं कपड़े

- इन्हें रोकने की हिम्मत नहीं उठा सका प्रशासन

आगरा। तन से उतरने वाला मैल भी यमुना में डाला जा रहा है। सुनकर और पढ़कर चौंकना लाजिमी है, लेकिन इस कड़वे सच को स्वीकार करना पड़ेगा। शू फैक्टरियों की गंदगी, पशुओं की गंदगी, श्मशान घाटों की गंदगी के साथ लोगों के कपड़ों से निकलने वाला मैल भी यमुना में बेखौफ और बेतहाशा तरीके से डाला जा रहा है। कपडे़ धोने के लिए बने घाट सफेद हाथी साबित हो रहे हैं।

यमुना पर है धोबियों का राज

कहने को तो यमुना का अस्तित्व बचाने के लिए प्रशासनिक अमला जुटा हुआ है, लेकिन यह सब कागजों में ही दिखाई देता है। वास्तविकता में तो यह है कि सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद भी यमुना पर धड़ल्ले से गंदे कपड़ों को साफ किया जा रहा है।

नहीं हो रहा आदेश का पालन

जहां कभी यमुना की निर्मल धारा बहा करती थी, वहां अब यमुना की धारा दिखाई नहीं देती है। यमुना में पॉल्युशन जाने से रोकने के लिए प्रशासन द्वारा ताजनगरी फेज टू के बसई एरिया में धोबी घाट विकसित किए जाने की बात कही थी, लेकिन उसका आज तक पालन नहीं हो सका है।

कई एरिया में बना रखे हैं प्वाइंट्स

कपड़े धोने के लिए धोबियों द्वारा अलग-अलग एरिया में अपने प्वाइंट्स बना लिए गए हैं। जिनमें हाथी घाट, ताजगंज व यमुना के पूर्वी गेट की ओर धोबियों द्वारा लगभग 70 से 80 प्वाइंट्स बनवा लिए गए हैं। इन प्वाइंट्स पर दिनभर में कम से कम दो से पांच हजार तक कपड़े साफ किए जाते हैं।

चालान के नाम पर खानापूर्ति

पॉल्युशन डिपार्टमेंट द्वारा यमुना को पॉल्युट करने वाले धोबियों के खिलाफ पॉल्युशन डिपार्टमेंट द्वारा चालान के नाम पर केवल खानापूर्ति की जाती है। चालान न होने के कारण यमुना के घाटों पर धोबियों की संख्या भी बढ़ती जा रही है।