- दो साल में जलकल ने पेयजल सप्लाई पाइप लाइन मेंटीनेंस में खर्च किया भारी-भरकम धन, फिर भी साफ पानी नसीब नहीं

- जीआई सर्वे में सैकड़ों जगह मिली लीकेज की प्रॉब्लम, गंदा पानी पीने को मजबूर है पब्लिक

<- दो साल में जलकल ने पेयजल सप्लाई पाइप लाइन मेंटीनेंस में खर्च किया भारी-भरकम धन, फिर भी साफ पानी नसीब नहीं

- जीआई सर्वे में सैकड़ों जगह मिली लीकेज की प्रॉब्लम, गंदा पानी पीने को मजबूर है पब्लिक

varanasi@inext.co.in

VARANASI

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शहर के लोगों को साफ पिलाने की कवायद में जलकल ने दो साल में 8ख् करोड़ रुपये खर्च कर दिए। बावजूद इसके बनारसवासी गंदा पानी पीने को मजबूर हो रहे हैं। यह बात जीआई सर्वे में सामने आयी है। सर्वे में पता चला कि शहर में तमाम ऐसे प्वाइंट हैं, जहां पेयजल सप्लाई की पाइप लाइन कई बार मेंटीनेंस के बावजूद भी लीकेज बरकरार है। तमाम जगहों पर सीवर से भी जुड़ी है। इससे होकर गंदा पानी घरों तक पहुंच रहा है। जलकल विभाग के अफसरों का कहना है कि दशकों पुरानी पाइप लाइन काफी जर्जर हो गई है। जिससे समस्या का स्थायी समाधान नहीं हो पा रहा है।

खोदाई के दौरान मिली खामियां

जलकल पेयजल पाइप लाइन को दुरुस्त रखने का दावा करता है। लेकिन पिछले दिनों विभिन्न कार्यदायी संस्थाओं की ओर से शहर में की जा रही खोदाई में जलकल के दावे की पोल खुल गई। शहर के दो दर्जन जगहों पर आईपीडीएस, गेल और जलनिगम की ओर से की जा रही खोदाई में नजर आया कि ड्रिंकिंग वाटर सप्लाई की पाइप लाइन में कई जगहों पर लीकेज हैं। इन्हें बंद करने के लिए कोई स्थायी इंतजाम करने की बजाय रबड़ के ट्यूब ही बांध दिया गया था। जलकल ने डैमेज पाइप लाइन को दुरुस्त करने के लिए 7ख् करोड़ रुपये अपने बजट से दो साल में खर्च किए थे। क्0 करोड़ रुपये अवस्थापना निधि से भी खर्च हुए लीकेज दूर करने में लेकिन नतीजा ि1सफर रहा।

समस्या बरकरार

शहर की डैमेज पेयजल पाइप लाइन बदलने के लिए पिछले साल यूपी जलनिगम ने शासन को क्ख् करोड़ रुपये का प्रस्ताव भेजा था। काफी दिन बाद पैसा भी मिला, वह भी पांच करोड़। इससे शहर के कुछ चयनित हिस्सों की जर्जर पाइप को बदली गई। फिर भी एक बड़े हिस्से में समस्या बरकरार रही। इस साल फिर से पाइप लाइन को बदलने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है, जो अभी मंजूर नहीं हुआ है।

हाईलाइटर

- पेयजल पाइप लाइनों के बिछाने की जिम्मेदारी यूपी जलनिगम की है।

- पाइप लाइन के ऑपरेशन और मेंटीनेंस का जिम्मा जलकल का है।

- जलकल के इंजीनियर्स और तकनीकी कर्मचारी वाटर सप्लाई व्यवस्था पर नजर रखते हैं।

- बड़े व मिनी ट्यूबवेल, ओवरहेड टैंक व रा वाटर पम्प से शहर में वाटर सप्लाई हाेती है।

यहां है ज्यादा परेशानी

- बजरडीहा

- जैतपुरा

- बड़ी गैबी

- चंदुआ छित्तूपुर

- कज्जाकपुरा

- जलालीपुरा

- फातमान रोड

- ईश्वरगंगी

- औरंगाबाद

- सिकरौल

- कोनिया

- नगवां

व्यवस्था पर एक नजर

- फ्8भ् जगहों पर जीआई सर्वे में सामने आई लीकेज की समस्या

- 7ख् करोड़ रुपये जलकल ने अपने बजट से दो साल में खर्च किए मेंटीनेंस पर

- क्0 करोड़ रुपये अवस्थापना निधि से भी खर्च हुए लीकेज दूर करने में

- भ्भ् हजार से ज्यादा वाटर कनेक्शन शहर में

- 7फ्भ् इंजीनियर्स व कर्मचारी जलकल में हैं तैनात

जलकल के पास वाटर टैक्स वसूली के मद में आया धन ही मेंटीनेंस में खर्च किया जाता है। कोई अतिरिक्त मद नहीं है। पाइप लाइन काफी पुरानी होने से जगह-जगह लीकेज की समस्या दूर नहीं हो रही है। उपलब्ध संसाधनों से समस्या दूर करने का प्रयास किया जाता है।

रघुवेन्द्र कुमार, सचिव, जलकल