वैज्ञानिक कारणों को आज भी नहीं मानते

बीओडी यानी बायोलाजिकल आक्सीजन डिमांड का लेवल खतरे के आसपास ही मंडरा रहा है। इसका लेवल ढाई के आसपास रहे तभी नदी का पानी सेहतमंद माना जाता है। वर्तमान में इसका आंकड़ा 3.2 के लेवल पर है। यानी पानी को पीना खतरे से खाली नहीं है। लेकिन, आस्था और भरोसा कहां मानते हैं इन वैज्ञानिक कारणों को। उन्हें पता है कि गंगा मइया जीवनदायिनी हैं और किसी का नुकसान नहीं कर सकतीं। छठ के मौके पर इस भरोसे का एक और मजबूत पक्ष सामने है। आस्थावान जानते हैं कि नदी के पानी में प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है। यह उनके लिए नुकसानदायक हो सकता है। इसके बाद भी पूरी की पूरी प्रसाद सामग्री इसी गंगा जल से तैयार की गई है। क्योंकि, उन्हें भरोसा है कि इससे शुद्ध पानी और कहीं का हो ही नहीं सकता। तभी तो प्रसाद तैयार करने में उन्होंने इस पानी का इस्तेमाल किया ही, इसी पानी से स्नान भी कर रहे हैं और पी भी रहे हैं।

गंगा जल से तैयार होता है प्रसाद

गंगा के पानी के प्रदूषण के मुद्दे को लेकर आई नेक्स्ट थर्सडे को आस्थावानों के पास पहुंचा। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट को सामने रखा और इस पर सवाल किया जवाब बेहद शालीनता से मिला, गंगा मइया तो सबका पाप धो देती हैं। उनका जल मैला कैसे हो सकता है। इससे शुद्ध तो कुछ हो ही नहीं सकता। उनका कहना था कि छठ के मौके पर व्रत की पवित्रता ज्यादा मायने रखती है। व्रती न तो सप्लाई के पानी को शुद्ध मानते हैं और न ही हैंडपम्प के। उन्हें सिर्फ नदियों और कुएं के पानी पर भरोसा है। कुएं का पानी भी सिर्फ उन स्थानों पर इस्तेमाल किया जाता है जहां नदियां ज्यादा दूर होती हैं और वहां तक पहुंचना बेहद मुश्किल। छठ मैया का प्रसाद तैयार करने में गंगा जल का ही इस्तेमाल किया जाता है। महापर्व छठ के दूसरे यानी खरना के दिन घरों में प्रसाद भी बनने लगा। प्रसाद बनाने में इस्तेमाल करने के लिए बड़ी संख्या में लोग संगम पहुंचे। स्नान किया और फिर प्रसाद के लिए गंगा जल भरकर ले गए। देर शाम तक ये सिलसिला चलता रहा।

शुरू हुआ छठ का निर्जला व्रत

महापर्व के दूसरे दिन थर्सडे शाम से निर्जला व्रत शुरू हो गया। व्रत रखने वालों ने छठ मैया का ध्यान करते हुए उनसे शक्ति मांगी। इसके बाद गुड़ से तैयार की गई खीर का सेवन किया। आस्थावान फ्राइडे को पूरे दिन व्रत रखेंगे। इससे पहले दिन भर महिलाएं पूजा के लिए प्रसाद बनाने में व्यस्त रही। शाम होते ही बड़ी संख्या में लोग गंगा व यमुना नदियों के घाट पर पहुंचे और स्नान करने के बाद मां की आराधना की। अल्लापुर की रहने वाली नंदिता राय ने बताया कि व्रत रखने वालों को थर्सडे को सूर्यास्त से पहले ही खीर खा लेना था। सूर्य के अस्त होने के बाद वह कुछ भी खा-पी नहीं सकते।

जमकर हुई खरीदारी

छठ पर्व पर थर्सडे को निर्जला व्रत शुरू करने के पहले महिलाओं ने सारी तैयारियां पूरी कर ली। व्रत के लिए जरूरी सामानों की खरीदारी से लेकर दूसरे कामों को पूरा किया। व्रत के लिए जरूरी बांस की डलिया, फल, सब्जी, गन्ना, नारियल व व्रत का प्रसाद बनाने के लिए जरूरी मिट्टी का चूल्हा आदि की खरीदारी हुई। शाम होते ही पूजा व व्रत की तैयारी शुरू हो गई।

चिडिय़ा भी न कर सके जूठा

छठ के व्रत में साफ-सफाई का महत्व सबसे अधिक है। इसके नियम-कानून बेहद जटिल हैं। ममता चतुर्वेदी बताती हैं कि व्रत के प्रसाद को बनाने के लिए जरूरी गेंहू आदि को साफ करने के बाद उसे धुलकर सुखाते समय यह ध्यान भी देना पड़ता है कि चिडिय़ा उसे जूठा न कर दे। इतना ही नहीं, निर्जला व्रत शुरू होने के बाद प्रसाद बनाने का काम भी शुरू होता है। प्रसाद बनाने वाली महिलाएं अपना मुंह तक ढक रखती हैं ताकि छींक आदि आने से प्रसाद सामग्री जूठी न हो।

आज देंगे अस्ताचल सूर्य को अघ्र्य

खरना के बाद सिटी में छठ का माहौल तैयार हो गया है। घाटों पर छठी मइया के गीत गूंजने लगे हैं तो मार्केट में सजी दुकानों पर भी इन सांग्स को सुना जा सकता है। घरों का माहौल भी बदल चुका है। फ्राइडे को महिलाएं अस्ताचल सूर्य को अघ्र्य देंगी। घाटों पर भी इसे लेकर थर्सडे को पूरे दिन तैयारियां चलती रहीं।

The other side

बढ़ता बीओडी दे रहा tension

गंगा में बढ़ रहा प्रदूषण और उसमें पाए जा रहे कई तत्व हेल्थ के लिए हानिकारक हैं। यह हम नही पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के आंकड़े बोल रहे हैं। डिपार्टमेंट के ऑफिसर्स के अनुसार गंगा के जल में बीओडी लेवल लगातार बढ़ रहा है। फिलहाल यह 2.8 से 3्र.2 तक है। यह स्तर बीमारियां बांटने के लिए काफी है। प्रदूषण नियंत्रण विभाग के ऑफिसर डॉ। मो। सिकंदर खान के मुताबिक गंगा के जल में बीओडी यानी बायोलॉजिकल आक्सीजन डिमांड की मात्रा तीन के ऊपर नहीं होनी चाहिए। इसके तीन का आंकड़ा पार करने का मतलब है पेट संबंधित बीमारियों के जनक कीटाणु पानी में हावी होने लगे हैं।

पांच लेवल पर होती है जांच

गंगा के जल की शुद्धता को परखने के लिए सिटी में पांच तत्वों की जांच की जाती है। पांचों तत्व हमें इस बात की चेतावनी देते हैं कि जल हमारे यूज करने के लिए सही है या नहीं। डॉ। मो। सिकंदर खान ने बताया कि गंगा के जल में बराबर कलर, टेम्प्रेचर, डीओ यानि डिजाल्व आक्सीजन, बीओडी यानी बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड व पीएच की जांच की जाती है। गंगा के जल में इस समय के आंकड़े बताते हैं कि प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है।

गंगा के पानी की मौजूदा स्थिति  

कलर      10               हैजिन

टैम्प्रेचर      27 से 28     डिग्री सेल्सियस

डीओ        6.5 से 8      मिलीग्राम पर लीटर

बीओडी      2.8 से 3.2   मिलीग्राम पर लीटर

पीएच         7 से 8

व्रत के दौरान कड़े नियमों का पालन करना रहता है। जरा सी चूक होने पर पूजा पूर्ण नही मानी जाती है। इसलिए व्रत रखने वाले इस बात का खास ख्याल रखते हैं।

नंदिता राय

थर्सडे का दिन तो पूजा की तैयारियों में ही बीत गया। शाम से निर्जला व्रत शुरू हो गया। लोग रात भर छठ पूजा के लिए प्रसाद बनाने में लगे रहते हैं।

-ममता चतुर्वेदी

महिलाएं व पुरुष दोनों ही इस व्रत को रखते हैं। व्रत का प्रसाद बनाने के दौरान भी साफ सफाई का विशेष ध्यान रखना पड़ता है

-नंदिनी दास

बेटों के लिए होने वाले छठ पूजा का महात्म भी सबसे अधिक है। इसलिए पूजा के दौरान लोग पूरी श्रद्धा के साथ अनुष्ठान करते हैं ताकि छठ मैया की कृपा उन पर हमेशा बनी रहे।

पिंकी अस्थाना