छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र: बागबेड़ा जलापूर्ति योजना की मोटर आठ दिन के अंदर ही फिर जल गई है। बिष्टुपुर पंप हाउस की ये 67 साल पुरानी मोटर मरम्मत के बाद आठ दिन भी नहीं चल सकी। मोटर खराब होने से बागबेड़ा को शुक्रवार की शाम से पानी नहीं मिल रहा है। इस वजह से इलाके में पानी के लिए हाहाकार है। मिस्त्री के मुताबिक मोटर बनने में दो दिन लग सकते हैं। तब तक बागबेड़ा वासियों को जल संकट झेलना पड़ेगा। लोग साइकिल और अन्य वाहनों से दूर-दराज से पानी ला रहे हैं। बागबेड़ा में तमाम हैंडपंप भी खराब पड़े हैं। इस वजह से लोगों को और दिक्कत हो रही है। जानकारी के अनुसार बागबेड़ा में पानी नहीं होने की वजह से कई लोग बिना स्नान किए ही दफ्तर चले गए। कुछ वाटर टैंकर बागबेड़ा में हैं लेकिन, वो भी नाकाफी हैं।

मोटर बनाने का काम शुरू

जली हुई मोटर बनाने का काम शुरू हो गया है। पंचायतों की मुखिया दोपहर में बिष्टुपुर पंप हाउस पहुंचीं और मोटर के बारे में जानकारी ली। मिस्त्री रामसिंह ने मुखिया को बताया कि मोटर रोटर भी खराब हो गया है। इसकी वेल्डिंग और वार्निश का काम भी होगा। बाद में बागबेड़ा के कुछ लोगों के सहारे मोटर को कुएं से निकाला गया है। देर शाम तक मोटर बनाने के लिए भेज दी गई है। यहां पुरानी दो मोटरें हैं। दूसरी मोटर पहले से जली हुई है और अब तक नहीं बन पाई है। बागबेड़ा वासियों का कहना है कि अगर दूसरी मोटर की मरम्मत हो गई होती तो उसे लगा कर जलापूर्ति चालू रखी जा सकती थी।

लोगों में नाराजगी

जलापूर्ति की जिम्मेदारी बागबेड़ा कॉलोनी मध्य पंचायत और बागबेड़ा कॉलोनी पंचायत की है। बागबेड़ा कॉलोनी में कुल 1100 घरों में इस पानी की आपूर्ति होती है। पंचायतें 100 रुपये प्रति घर जल शुल्क लेती हैं। फिर भी पंचायतें जलापूर्ति योजना को चला नहीं पा रही हैं। उनकी तरफ से योजना को लेकर बराबर लापरवाही बरती जा रही है। एक तो बागबेड़ा में बिना शोधन किए पानी की आपूर्ति हो रही है तो दूसरी तरफ, आए दिन जलापूर्ति ठप हो जाती है। इससे लोगों में नाराजगी है।

पड़ी हैं दो नई मोटरें

पेयजल एवं स्वच्छता विभाग ने बिष्टुपुर पंप हाउस में दो नई मोटर छह-सात साल पहले दी थीं। इनमें से एक मोटर विभाग ने पंप हाउस में लगा भी दी है। यही नहीं, विभाग ने 22 लाख रुपये की लागत से एक नया वाटर फिल्टर प्लांट भी बना दिया है। पंचायत को सिर्फ नई मोटर के पाइप को राइंजिंग पाइप से जोड़ना है। लेकिन, कई साल से ये काम नहीं हो पा रहा है। दोनों नई मोटरें यहां पड़े-पड़े खराब हो रही हैं। सवाल इस बात का है कि जब नई मोटरें मौजूद हैं तो पंचायतें इनका प्रयोग क्यों नहीं कर रही हैं।

नहीं मिल रहा मोटर का सामान

मोटर के मिस्त्री रामसिंह ने बताया कि इस मोटर का सामान शहर में नहीं मिल रहा है। डुप्लीकेट सामान अगर लगाया भी जाता है तो ये चल नहीं पा रहा है। मोटर बनाने में तकरीबन 30-35 हजार रुपये लग जाते हैं। मोटर की उम्र अमूमन 10 साल होती है। नई मोटरें तो कई साल से पंप हाउस में रखी हैं, लेकिन इनका इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है।

डीसी दफ्तर में प्रदर्शन

बागबेड़ा के लोगों ने पारस कुमार मिश्रा के नेतृत्व में उपायुक्त कार्यालय में प्रदर्शन कर ज्ञापन सौंपा। इसमें आरोप लगाया गया है कि पंयायतों के प्रतिनिधि मोटर की मरम्मत में फंड का दुरुपयोग कर रहे हैं। नई मोटर को राइजिंग पाइप से नहीं जोड़ा जा रहा है। पानी का ट्रीटमेंट नहीं कराया जा रहा है। उपायुक्त से समस्या हल करने की मांग की गई है। ज्ञापन देने वालों में संजय कुमार सिंह, धीरज वर्मा, धनंजय सिंह, प्रदीप कुमार, मनोज कुमार तिवारी आदि थे।