- जलकल संस्थान में बना आरओ ट्रीटमेंट प्लांट बना शोपीस

- टैंकरों में भरकर भेजा जा रहा पानी

- कम कीमत में बॉटल में शुद्ध पानी देने की थी योजना

VARANASI

शहर में एक तरफ पेयजल संकट की डेली समीक्षा हो रही है। कुछ समय पहले पेयजल योजना में लापरवाही बरतने पर जलनिगम के एक एक्सईएन पर कार्रवाई हो गई, लेकिन जलकल पर इसका कोई असर नहीं दिख रहा। जलकल में डेढ़ साल पहले लगा आरओ ट्रीटमेंट प्लांट शोपीस बना हुआ है। प्लांट संचालन के लिए संस्थान अभी तक ठोस कार्य योजना नहीं बना पाया। इससे बॉटल में भरकर आरओ वाटर सप्लाई करने की योजना अधर में लटक गई है। वहीं विभाग का दावा है कि प्लांट से सरकारी आयोजनों में टैंकर से शुद्ध पानी की सप्लाई की जाती है।

दो साल पहले बना था प्लांट

सात जून 2016 को तत्कालीन महापौर राम गोपाल मोहले ने जल संस्थान परिसर में 23.92 लाख रुपये की लागत से बने आरओ ट्रीटमेंट प्लांट का लोकार्पण किया था। इसकी क्षमता दो हजार लीटर प्रति घंटे उत्पादन की है। मेयर ने तत्कालीन जलकल महाप्रबंधक मदन लाल को निर्देश दिया था कि प्लांट पर 20 लीटर बॉटल की पैकेजिंग कर शहर में कम कीमत पर आपूर्ति की जाएगी।

वेन्डर्स न मिलने से आई समस्या

विभागीय अधिकारियों के मुताबिक बॉटलिंग और सप्लाई के लिए वेन्डर्स न मिलने से समस्या आ रही है। वेन्डर न मिलने से योजना परवान नहीं चढ़ सकी। वहीं सूत्र बताते हैं कि विभागों के बीच आपसी तालमेल न होने से दिक्कत आई है। सूत्रों का यह भी कहना है कि विभाग शुद्ध पानी की सप्लाई का दावा करता है लेकिन आरओ मशीन अक्सर बंद रहती है। जबकि इसके मेंटिनेंस व अन्य मद का पैसा निकाल लिया जाता है।

बैठकों में सिमट गई कार्ययोजना

जलकल ने जिला नगरीय विकास अभिकरण डूडा और नगर निगम के अफसरों के साथ कई बार बैठकें की। लेकिन आज तक संस्थान कार्ययोजना तक नहीं बना पाया। हालांकि उसके बाद से शहर में कई जगहों पर कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसबिलिटी (सीएसआर) स्कीम के तहत कई जगह वाटर एटीएम लगवाए गए। जिससे मामूली कीमतों पर पानी मिल रहा है।

एक नजर

- 240 एमएलडी ट्रीटमेंट क्षमता

- 4 हजार लीटर प्रति घंटे उत्पादन

- 23.92 लाख प्लांट की लागत

- 2 साल पहले बना था प्लांट

आरओ पानी की बॉटल में सप्लाई करने की कार्ययोजना बनाई जाएगी। वेन्डर्स के लिए डूडा से बात की गई है। प्रयास है कि लोगों को जल्द शुद्ध पानी मिले।

बीके सिंह, महाप्रबंधक, जलकल

वेन्डर्स के लिए जलकल के जीएम से बात हुई थी, लेकिन अंतिम निर्णय नहीं हो सका। नगर आयुक्त के निर्देश पर अग्रिम कार्यवाही की जाएगी।

केएस परिहार, परियोजना अधिकारी, डूडा