आगरा। सिटी में पानी को लेकर भारी किल्लत देखी जा रही है, लेकिन यह क्षेत्र ऐसा है, कि यहां पानी की कोई कमी नहीं है, लेकिन पीने योग्य नहीं है। पानी को केवल घरेलू कार्य में उपयोग किया जाता है। पीने के लिए पानी खरीदना पड़ता है। हम बात कर रहे हैं पश्चिमपुरी एरिया की। आई नेक्स्ट टीम ने यहां की कई कॉलोनियों में पेयजल की व्यवस्थाएं देखीं, तो पाया कि नई और पॉश कॉलोनियां भी अशुद्ध पेयजल की समस्या से जूझ रहीं हैं।

खरीद रहे पानी

पश्चिमपुरी नवविकसित क्षेत्र हैं, जहां पर दो दर्जन से अधिक पॉश कॉलोनियां डेवलप

हो चुकी हैं। बडे़ बडे़ बिल्डरों ने कॉलोनियों को बसाया, जहां पर पानी खरीदकर पिया

जा रहा है। वहीं इस क्षेत्र में कई बस्तियां हैं, जिसमें बोदला क्षेत्र भी शामिल है। यहां पर जमीन में पानी तो है, लेकिन उसे पिया नहीं जा सकता है। इसकी जांच कराई गई, तो पाया गया कि इस पानी में टीडीएस की मात्रा काफी अधिक है।

150 फीट पहुंचा वाटर लेवल

इस क्षेत्र में नई कॉलोनियां सबसे जल्दी डेवलप हुई, कारण था यहां पानी को लेकर कोई परेशानी नहीं थी। 10 वर्ष पहले यहां पर खेती हुआ करती थी। उस समय यहां पर वाटर लेवल 70 फीट के आसपास था, लेकिन नई कॉलोनियों बनीं, लोग यहां आकर बसने लगे। घरों में सबमर्सेबल लग गए। लगातार भूजल का दोहन शुरू हो गया। आज हालत यह है कि यहां का वाटर लेवल 150 फीट के नीचे जा पहुंचा है।

नहीं दिखाई देते हैडपंप

पहले यहां हैडपंपों की संख्या सर्वाधिक होती थी, लेकिन आज की हालत यह है कि पश्चिमपुरी एरिया पूरा घूम लो, लेकिन एक हैडपंप नहीं मिलेगा, जिससे कोई राहगीर अपनी प्यास बुझा सके। जब यहां के लोगों से बात की गई, तो उन्होंने बताया कि हैडपंप वाटर लेवल नीचे जाने से सूख गए। फिर डेवलपमेंट इतना हुआ, कि जो हैडपंप लगे हुए थे, उनका अब पता ही नहीं लग रहा है।

वाटर प्लांट भी बड़ा कारण

इस एरिया में वाटर लेवल नीचे जाने का एक बड़ा कारण वाटर प्लांट भी हैं। बोदला और पश्चिमपुरी एरिया की बात की जाए, तो यहां पर एक दर्जन से अधिक वाटर प्लांट संचालित किए जा रहे हैं। इनका कहीं कोई रिकॉर्ड नहीं है। नियमों को ताक पर रखकर ये जमीन से पानी का दोहन कर रहे हैं। इनके द्वारा

पीने को सिर्फ जमीन से निकाला जा रहा है।

शुद्ध पानी करने के बाद जो पानी खराब होता है, उसे ये वाटर प्लांट संचालक नालियों में बहा देते हैं।

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