- हजारों घरों में बगैर कनेक्शन के ही यूज हो रहा है पानी

- 50 परसेंट कनेक्शन धारक नहीं देते हैं वाटर टैक्स

- इलाहाबाद सिटी को पर डे चाहिए 242 एमएलडी पानी, सप्लाई हो रही 308 एमएलडी

- सप्लाई होने वाले 308 एमएलडी का 25 परसेंट यानी 77 एमएलडी वाटर लॉस हो रहा है

- 50 परसेंट कनेक्शन धारक वाटर तो यूज करते हैं, लेकिन वाटर टैक्स जमा नहीं करते

<- हजारों घरों में बगैर कनेक्शन के ही यूज हो रहा है पानी

- भ्0 परसेंट कनेक्शन धारक नहीं देते हैं वाटर टैक्स

- इलाहाबाद सिटी को पर डे चाहिए ख्ब्ख् एमएलडी पानी, सप्लाई हो रही फ्08 एमएलडी

- सप्लाई होने वाले फ्08 एमएलडी का ख्भ् परसेंट यानी 77 एमएलडी वाटर लॉस हो रहा है

- भ्0 परसेंट कनेक्शन धारक वाटर तो यूज करते हैं, लेकिन वाटर टैक्स जमा नहीं करते

ALLAHABAD: allahabad@inext.co.in

ALLAHABAD: हमें और आपको स्वच्छ एवं निर्मल पानी चाहिए। सुबह-शाम दो-दो घंटे वाटर सप्लाई तो जरूरी है। एक भी दिन गैपिंग हंगामा मच जाता है। लेकिन जब बात वाटर टैक्स जमा करने की आती है तो जुगत लगाने लगते हैं कि कैसे इससे बचा जाए। आखिर कब बदलेगी मुफ्त में पानी पीने की ये आदत। अगर स्मार्ट सिटी का ख्वाब देख रहे हैं तो स्मार्ट सिटीजन की रिस्पांसिबिलिटी भी समझनी होगी।

केवल भ्0 परसेंट लोग देते हैं वाटर टैक्स

वाटर टैक्स की बात करें तो यहां एक लाख भ्8 हजार घरों ने वाटर कनेक्शन ले रखा है। लेकिन जब वाटर टैक्स जमा करने की बात आती है तो फिर इन एक लाख भ्8 हजार घरों में से केवल भ्0 प्रतिशत घरों से ही नगर निगम के जल संस्थान को टैक्स की वसूली होती है। भ्0 परसेंट लोग टैक्स देते ही नहीं हैं।

दबा कर बैठे हैं फ्0 करोड़

शहर एरिया में स्थित सरकारी विभागों के साथ ही शहर की पब्लिक पर नगर निगम का करीब फ्0 करोड़ से ज्यादा रुपया बकाया चल रहा है। वाटर टैक्स जमा करना लोगों ने उचित नहीं समझा है। जिसमें सरकारी विभाग कम जिम्मेदार नहीं हैं। सरकारी विभागों की बात करें तो वाटर टैक्स के रूप में करीब क्ख् करोड़ रुपया जल संस्थान का बकाया चल रहा है। वाटर टैक्स का पेमेंट न करने वाले विभागों में गृह विभाग, विकास विभाग, शिक्षा विभाग, सिंचाई विभाग, वित्त विभाग, स्वास्थ्य विभाग, के साथ ही कानून विभाग भी शामिल हैं। सरकारी विभागों के साथ ही शहर के सैकड़ों लोगों पर करीब क्8 करोड़ से ज्यादा वाटर टैक्स और सीवर चार्ज का बकाया चल रहा है।

तो बिछ जाए पाइप लाइन

सिटी के कई इलाकों में वर्षो पहले बिछाई गई पाइप लाइन ध्वस्त हो चुकी है। जिसकी वजह से आए दिन लोगों के घरों तक दूषित और गंदा पानी पहुंचता है। पाइप लाइनों को बदलने की मांग चल रही है। लेकिन जल संस्थान धन की कमी का रोना रोता है। अगर पब्लिक और सरकारी विभागों पर बकाया चल रहा फ्0 करोड़ रुपया विभाग को मिल जाए तो पाइप लाइन बिछाने का काम पूरा हो जाए। धन के लिए गवर्नमेंट की ओर देखना ही नहीं पड़ेगा।

फैक्ट फाइल

- इलाहाबाद सिटी को पर डे ख्ब्ख् एमएलडी पानी चाहिए

- जल संस्थान इलाहाबाद का दावा है कि वह फ्08 एमएलडी वाटर सप्लाई कर रहा है

- सप्लाई होने वाले फ्08 एमएलडी का ख्भ् परसेंट यानी 77 एमएलडी वाटर लॉस हो रहा है

- जलकल के रिकार्ड की मानें तो एक लाख भ्ख् हजार कनेक्शन दिए गए हैं

- जब बात वाटर टैक्स देने की आती है तो भ्ख् परसेंट कनेक्शन धारक ही वाटर टैक्स देते हैं

- हजारों परिवार ने आज तक नहीं लिए हैं वाटर कनेक्शन

- बगैर कनेक्शन के ही पी रहे हैं पानी

पेयजल संसाधन-

ख्0क् बड़े ट्यूबवेल

ब्ख् जलनिगम के बड़े ट्यूबवेल

ख्भ्7 मिनी ट्यूबवेल

ख्भ्फ्म् हैंडपंप

- क्ब् लाख की आबादी वाले शहर को पर डे ख्ब्ख् एमएलडी पानी चाहिए, जिसके लिए फ्08 एमएलडी पानी की सप्लाई की जा रही है। जिसमें से ख्भ् परसेंट वाटर लॉस होता है। वहीं वाटर टैक्स की बात करें तो भ्0 परसेंट पब्लिक ही वाटर टैक्स देती है। वाटर कनेक्शनों की भी संख्या काफी कम है। जल संस्थान टैक्स वसूलने का काम कर रहा है, लेकिन कर्मचारियों की संख्या कम होने से इसमें सफलता कम मिल पाती है।

आरबी सिंह

महाप्रबंधक जल संस्थान