RANCHI: राजधानी में हो रही बारिश से पूरा शहर परेशान है। लेकिन सबसे ज्यादा परेशानी रिम्स में इलाज करा रहे मरीजों को हो रही है, जो बारिश में भींग कर इलाज कराने को मजबूर हैं। स्थिति यह है कि मरीज छाता और पर्दे के सहारे खुद को पानी से बचा रहे हैं। इसे लेकर विभाग के स्टाफ्स ने कई बार लिखित कंप्लेन भी की। इसके बावजूद समस्या जस की तस बनी हुई है।

टूटी खिड़कियां, पर्दा से रोक रहे पानी

हास्पिटल के मेडिसीन और सर्जरी वार्ड में खिड़कियों के शीशे टूटे हुए हैं। ऐसे में तेज बारिश होने पर पानी अंदर वार्ड में आ जाता है। वहीं मरीजों का बेड भी कई बार शिफ्ट करना पड़ता है। वहीं कुछ खिड़कियों में लोग पर्दा लगाकर खुद को पानी से बचा रहे हैं। लेकिन यह व्यवस्था कब तक चलेगी।

न्यूरो सर्जरी में छाता लेकर करा रहे इलाज

रिम्स के मेडिसीन, आर्थो और न्यूरो सर्जरी में सबसे ज्यादा मरीज एडमिट रहते हैं। मरीजों की संख्या बढ़ने पर उनका इलाज गैलरी में भी होता है। लेकिन बारिश आते ही मरीजों के बेड गैलरी में शिफ्ट करने होते हैं। लेकिन गंभीर मरीजों का लोग चादर और छाता लेकर इलाज करा रहे हैं।

क्या कहते हैं मरीजों के परिजन

बारिश के समय तो सबसे ज्यादा परेशानी होती है। आखिर इतने बड़े हास्पिटल में पानी रोकने का कोई इंतजाम नहीं है। पर्दा से थोड़ा तो बचाव होता है। लेकिन तेज बारिश आने पर बड़ी दिक्कत हो जाती है।

मरीजों के लिए बेड का इंतजाम करना चाहिए। जमीन पर बारिश में मरीज को शिफ्ट करना भी आफत बन जाता है। आखिर अधिकारी करते क्या है। इतने बड़े हास्पिटल में मरीज को पानी में इलाज कराना पड़ता है।

वर्जन

फिलहाल वार्ड में भर्ती मरीजों को इलाज कराने में परेशानी हो रही है, यह हम भी समझ सकते हैं। हास्पिटल में जो भी काम होते हैं, उसके लिए इस्टीमेट तैयार होता है। उसके बाद ही काम शुरू कराया जाता है। जब वार्डो के मेंटेनेंस का काम शुरू होगा, तो परेशानियों को दूर कर दिया जाएगा।

-डॉ। संजय कुमार, डीएस, रिम्स