- वाटर मैन राजेंद्र कुमार सिंह ने कहा-सिर्फ आयोजन से कुछ नहीं

- एजुकेशन मिनिस्टर की खातिरदारी में व्यस्त रहे अधिकारी

PATNA: स्थापना दिवस समारोह में विशिष्ठ अतिथि के रूप में उपस्थित वाटर मैन राजेंद्र कुमार सिंह भाषण दे रहे हैं। एकेयू के वीसी, रजिस्ट्रार समेत एजुकेशन मिनिस्टर पीके शाही को कार तक छोड़ने के लिए गए हुए थे। राजेंद्र सिंह अपना भाषण दे रहे थे। अपने भाषण के दौरान एजुकेशन मिनिस्टर समेत तमाम बड़े लोगों की अनुपस्थिति पर काफी नाराज हुए। वे बाढ़-सुखाड़ के मुद्दे पर सरकार की गंभीरता पर सवाल उठाया।

यूनिवर्सिटी अपने दायित्वों को समझे

यूनिवर्सिटी अपने दायित्वों को समझे और अन्य यूनिवर्सिटी से कुछ अलग तरह का काम ग्रास रूट लेवल पर करे, तभी आर्यभट्ट नॉलेज यूनिवर्सिटी तभी तो इसका पांचवा स्थापना दिवस समारोह मनाना सार्थक होगा। नहीं तो ये आयोजन व्यर्थ है। यह बातें यू बातें वाटर मैन राजेंद्र कुमार सिंह ने स्थापना दिवस समारोह में बोलते हुए कहीं। उन्होंने वर्तमान में कॉलेजों व यूनिवर्सिटीज में एजुकेशन सिस्टम को सोसायटी के लिए अनफ्रुटफुल बताया। उन्होंने कहा कि आज यूनिवर्सिटी कॉलेज जॉब दिलाने के लिए डिग्रियां बांट रही है।

दायित्वों को भूल चुकी है यूनिवर्सिटी

आज के समय में यूनिवर्सिटी-कॉलेज भूल चुके हैं कि उन्हें क्या ज्ञान देना चाहिए। यूनिवर्सिटीज एजुकेशन ऑपटिमम यूज के नाम पर एक्टिएशन इंजीनियरिंग व टेक्नोलॉजी पढ़ाते हैं। अफिशिएंट मैनेजमेंट के नाम पर हिस्ट्री व कल्चर का ज्ञान देते हैं। जल, जंगल, जीवन, जीविका को संवारने का ज्ञान नहीं मिल पाया रहा है। जमीर को जिंदा रखने रखते हुए जीवन का आंनद लेने की प्रेरण वर्तमान एजुकेशन सिस्टम नहीं दे पा रहा है, जो मिलना चाहिए।

हल निकाले एजुकेशन सिस्टम

आजादी के बाद बिहार में बाढ़ की समस्या आठ गुना बढ़ी है। सुखाड़ की समस्या दस गुना बढ़ी है। बिहार में इतने यूनिवर्सिटीज-कॉलेज हैं। फ्लड व ड्राउट की समस्या के लिए वर्क नहीं हो पा रहा है। जब हम अपने घर की समस्याओं को हल नहीं निकाल पा रहे हैं, तो दूसरों के कितना कर पायेंगे। यदि यूनिवर्सिटी बिहार के जल-जमीन को बचाने के दिश में ग्राउंड लेवल पर वर्क करेगा तो मेरा सहयोग मिलेगा और मैं यहां बार-बार आउंगा नहीं तो मेरे पास समय नहीं है। ग्रांड लेवल पर वर्क होने पर बिहार में बाढ़-सुखाड़ के लिए हल निकालने के लिए स्टूडेंट-टीचर्स के साथ मिलकर वर्क करूंगा। एजुकेशन के बाद स्टूडेंट में एक कांफिडेंट आ सके। वह एजुकेशन हमें नहीं मिल पा रहा है। आर्यभट्ट में मैं यह मानकर आया हूं कि शायद वह दूसरे यूनिवर्सिटी से अलग काम करेगा। मुझे मालूम नहीं कि ये कितना करेगा।