इंटरनेशन स्पेस एजेंसी नासा की एक रिपोर्ट के मुताबिक जिन्दगी वाले धरती जैसे और ग्रहों के मिलने की संभावना पहले से कहीं अधिक ज्यादा बढ़ गई है. इस काम में लगाए गए केपलर सेटेलाइट से भेजे गए 136 दिनों के डेटा से ही में ही पृथ्वी से परे जीवन मिलने की अपार संभावनाओं की ओर इशारा कर दिया है. 600 मिलियन डॉलर के केपलर को मार्च 2009 में प्रक्षेपित किया गया था.

तो इस ब्रह्मांड में हम अकेले नही है?

नासा के मुताबिक केपलर दूसरे ग्रहों पर जीवन की संभावनाओं को तलाशने के उद्देश्य से ही भेजा गया है और वह इस काम में खासा सफल भी रहा है. अपने अभियान में कैपलर अब तक सूर्य जैसे 150,000 स्टार्स को छान चुका है और इसके फेरे लेने वाले 1,235 प्लैनेट्स पर जीवन के संकेत मिलने की संभावना जताई गई है.

साइंटिस्ट इसे काफी बड़ा एचीवमेंट मान रहे हैं. उनके मुताबिक यह जानकारी धरती के अलावा जीवन होने की पासिबिलिटी के लिए अपने आप में काफी मोटीवेटिंग है. साइंटिस्ट्स के लिये अगला पड़ाव इन डेटा को बारीके से एनालाइज करके किसी नतीजे तक पहुंचना होगा. 

तो इस ब्रह्मांड में हम अकेले नही है?

साइंटिस्ट्स ने हाईक्वालिटी इंस्ट्रूमेंट्स से हर तीस मिनट पर तेज रोशनी वाले स्टार्स को परखा गया जिनके चक्कर कोई न कोई प्लैनेट काट रहे थे. एक सॉफ्टवेयर की मदद से धरती पर साइंटिस्ट इनकी एनालिसिस कर रहे हैं.

कैपलर के इन डेटा से कई और प्रेडिक्शन्श भी किये गए हैं.  यह भी कहा जा रहा है कि सूर्य जैसे मिले  स्टार्स में से एक-तिहाई स्टार्स में धरती जैसे प्लैनेट होंगे. इन स्टार्स को एफ, जी और के अन्तर्गत रखा गया है. साइंटिस्ट इस बात से भी इनकार नहीं करते कि ब्रह्मांड में ऐसे भी बहुत से स्टार्स होंगे जो अमेरिकी उपग्रह केपलर की नजर में नहीं आए होंगे. रिसर्च के लिये उनकी खोज भी जरूरी है. चीन ने भी एफ, जी, के कैटेगिरी के स्टार्स को ढूंढने के लिये ट्रॉब नाम का सेटेलाइट लांच किया है.

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