RANCHI: बुधवार को करमटोली चौक के पास रोड एक्सीडेंट में एक महिला मेरी रोज बाखला की मौत घटनास्थल पर ही हो गई। आज वह इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनकी मौत का कारण सिस्टम का फेल होना है। अपने पति के साथ बाइक पर गैस सिलिंडर लेकर आ रही मेरी रोज की जान नहीं जाती, यदि एजेंसी वाले ने गैस की होम डिलीवरी की होती। जी हां, सिटी में इन दिनों गैस की होम डिलीवरी बंद है। इस कारण आम लोगों को काफी परेशानी हो रही है। वे दुर्घटना के भी शिकार हो रहे हैं। रांची की अधिकतर गैस एजेंसियां अपने सभी कंज्यूमर्स को होम डिलीवरी नहीं देतीं।

15 दिन पहले हो रही बुकिंग

रांची में जितने भी कंज्यूमर्स हैं, वो 15 दिन पहले ही गैस की बुकिंग करा कर होम डिलीवरी का इंतजार करने लगते हैं। लेकिन, जब महीनों तक गैस घर नहीं पहुंच रहा है, तो खाली सिलिंडर लेकर लोगों को मजबूरन एजेंसी में जाना पड़ रहा है। यहां भी घंटो लाइन में खड़े रहने के बाद ही गैस मिल पाता है।

18 रुपए लेते हैं होम डिलीवरी चार्ज

गैस उपभोक्ता एजेंसी को पूरे पैसे देते हैं। इसमें होम डिलीवरी का चार्ज 18 रुपए भी एड रहता है। बावजूद कोई भी एजेंसी वाले अपने कंज्यूमर को होम डिलीवरी समय पर नहीं दे रही है। कुछ वीआईपी को छोड़ आम लोगों को गैस की होम डिलीवरी नहीं हो रही है। इस बारे में पूछने पर कुछ गैस एजेंसी का कहना है कि हमलोग होम डिलीवरी करने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन समय पर हमलोगों को जरूरत के अनुसार सिलिंडर ही नहीं मिल रहा है, तो होम डिलीवरी कैसे कर सकते हैं।

खर्च बचाना चाहती हैं एजेंसियां

गैस एजेंसी को कंज्यूमर को घर पर सिलेंडर डिलीवरी के लिए 18 रुपए प्रति सिलिंडर मिलता है। इसके बावजूद वो गैस की होम डिलीवरी नहीं करते। इसका कारण उनका डीजल खर्च व भाड़ा बचाना है। होम डिलीवरी करने के लिए पूरे दिन टेंपो के चलने पर उसमें डीजल व टेंपो का भाड़ा भी एजेंसी के लोगों को देना होता है। लेकिन होम डिलीवरी नहीं होने पर उनका सारा पैसा बच जाता है। कंज्यूमर खुद से सिलेंडर भी ले जाते हैं।