-आजाद भारत की तस्वीर आज नजर नहीं आती

-आज के माहौल को देखकर दुख होता है

DEHRADUN : आजाद भारत को म्8 साल हो चुके हैं, जो आजाद देश का सपना हमारे बुजुर्गो ने देखा था, वह साल दर साल कहीं खोता जा रहा है। यह हम नहीं आजाद देश के साक्षी रहे उस वक्त के लोगों का कहना है। धर्म और जाति के नाम पर संघर्ष, बढ़ती बेरोजगारी और नशे की चपेट में आकर युवा भारत लक्ष्य से भटक रहा है। जहां आज भारत देश-दुनिया में अपना लोहा मनवा रहा है, वहीं अंदर से हम खुद अपने देश की तस्वीर बिगाड़ रहे हैं। वो तस्वीर जिसकी कल्पना दुनिया के नक्शे पर एक आजाद देश के रूप में की गई थी।

अब भी बसें हैं यादें

भारत पाक बंटवारे के बाद क्9ब्7 में कोयटा बलूचिस्तान (पाकिस्तानी गुजरात) से अपने क्ब् साल के बेटे वेद प्रकाश दुग्गल व बाकी परिवार को लेकर हरबंस लाल दुग्गल भारत आ गए। आज वो इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनके 8ख् साल के बेटे वेद प्रकाश की यादों में आज भी उस वक्त की यादें बसी हैं। आई नेक्स्ट की टीम ने उनकी यादों को साझा किया। यादों में कुछ जख्म तो कुछ खट्टी मीठी यादों के साथ आजाद भारत की कल्पना की तस्वीर के कुछ हिस्से भी सामने आए। उनके मुताबिक जो देश आजाद हुआ था वह तो वहीं रहा, लेकिन लोग बदल गए।

भाईचारे की दी जाती थी मिसालें

वेद प्रकाश दुग्गल बताते हैं कि जिस वक्त देश आजाद होने को था उस वक्त पूरा भारत एक हो चुका था। न कोई धर्म की दीवार थी और न ही जातीय संघर्ष। लोग एक दूसरे के दुखों के साथ ही हर मुश्किल घड़ी में साथ देते थे, लेकिन आज वो नजारा देखने को नहीं मिलता। पिछले कुछ सालों पर गौर करें तो जातीय संघर्ष और धर्म के नाम पर जमकर खून खराबा हुआ था। जब भी ऐसी घटनाओं का पता चलता है मन उदास हो जाता है। इस देश के लोगों को आखिर क्या हो गया है? बस सही सवाल दिमाग में गहराता है।

छेड़छाड़ जैसे मामले नहीं थे

अग्रेजी शासन में जो अत्याचार हुआ उसे भुलाया नहीं जा सकता। देश को विकास तो जरूर हुआ, लेकिन उसके लिए देशवासियों को जो कीमत चुकानी पड़ी उसका इतिहास गवाह है। लेकिन इस सबके बीच में उस वक्त बहू बेटियां बेहद सुरक्षित थी। मुझे याद है कि हम अपने इलाकों में देर रात तक घूमते रहते थे। कोई छेड़छाड़ जैसी घटना नहीं होती थी। लेकिन अगर आज के भारत को देखो तो आज अंग्रेजों की जरूरत ही नहीं हम खुद ही बहू बेटियों की इज्जत की अहमियत नहीं समझ रहे। गैंग रेप, हत्या, शारीरिक शोषण, बच्चों के साथ दुष्कर्म जैसे मामले शर्मिदा कर देते हैं। आज पीएम मोदी के स्वच्छ भारत अभियान के चलते पूरा देश एक कतार में स्वच्छता के लिए काम कर रहा है। अभियान ने देश को नई दिशा दिखाई है। लेकिन एक वक्त था जब लोग स्वच्छता को लेकर खुद जागरुक थे। मुझे याद है आजादी के बाद देश की सड़के और नालियां रोजाना रात फ् बजे ही साफ हो जाती थी। उस वक्त लोग आजादी की कीमत जानते थे।

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आज भी है उम्मीद

इन बूढ़ी निगाहों में भले ही देश की वो तस्वीर न दिखाई देती हो जिसकी कल्पना की गई थी, लेकिन आज भी इन्हें देश और देशवासियों पर भरोसा है। दुनिया के पटल पर आज देश ने नई पहचान बनाई है। इस पहचान को बनाए रखने और देश को अंदर से मजबूत करने के लिए देश वासियों को निजी हितों को त्यागकर देश की समृद्धि के बारे सोचना होगा। सही मायनों में तभी देश मजबूत होगा।