-13 जुलाई तक बादलों का डेरा, बारिश की बनी रहेगी संभावना

-मुम्बई और गुजरात के बादलों ने पूरे पूर्वी उत्तर प्रदेश को ढंका

-पूर्वी प्रशांत महासागर में अल नीनो इफेक्ट के स्ट्रांग होने से कमजोर पड़ रहा है मानसून

ALLAHABAD: अभी तक भयंकर उमस से परेशान लोगों को बदले मौसमी अंदाज ने मामूली राहत ही दी है। बुधवार को हुई बारिश के बाद रात में मौसम सुहावना हो गया। लेकिन गुरुवार को एक बार फिर लोगों को उमस ने परेशान किया। सुबह तो मौसम सामान्य रहा और आसमान पर बादलों का डेरा भी नजर आया। लेकिन बारिश का अता-पता न होने से दोपहर में निकली हल्की सी धूप ही पूरे माहौल का मिजाज के लिए काफी रही।

पूरे माह बीच बीच में बनी रहेगी उमस

गुरुवार दोपहर तक लोग एक बार फिर पसीने से तर-ब-तर नजर आए। इससे लोगों के मुंह से एक ही बात निकलती रही कि काश, बुधवार जैसी बारिश कई दिन तक हो। इस बाबत इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में ऑटोमेटिक वेदर सेंटर के हेड प्रो। सुनीत द्विवेदी ने बताया कि अभी 13 जुलाई तक बरसात की संभावना बनी हुई है। इसके बाद ही बादल पूरी तरह से खुलने के आसार हैं। उन्होंने बताया कि जुलाई में बीच-बीच में बरसात भले ही हो। लेकिन लोगों को लम्बे समय तक लगातार गर्मी से राहत मिलने की उम्मीद कम ही है।

सामान्य से कम ही रहेगी बारिश

प्रो। सुनीत द्विवेदी ने बताया कि मुम्बई और गुजरात में पानी से भरे बादलों का डेरा पूरे पूर्वी उत्तर को ढंके हुए है। इसी के चलते बुधवार को अच्छी बरसात हुई। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि सूखे की स्थिति बन सकती है। क्योंकि पूर्वी प्रशांत महासागर में अल नीनो के स्ट्रांग होने के कारण मानसून कमजोर पड़ सकता है। उन्होंने बताया कि अल नीनो की सिचुएशन मार्च-अप्रैल के बाद से स्ट्रांग हुई है। प्रो। सुनीत द्विवेदी कहते हैं कि लेटेस्ट वेदर प्रेडिक्शन रिपोर्ट से स्पष्ट है कि अबकी बार भी सामान्य से कम बारिश ही होगी।

अब नहीं दिखती वैसी बारिश

वहीं इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में ज्योग्राफी डिपार्टमेंट के पूर्व एचओडी प्रो। बीएन मिश्रा कहते हैं कि यह बात सही है कि बुधवार को अच्छी बरसात हुई है। किसानों के लिए तो मानों आसमान से सोना बरसा हो। लेकिन उन्होंने इतनी बारिश को अपर्याप्त बताया। कहा कि जिले में अच्छी बरसात ऑलरेडी एक महीना लेट से हो रही है। मौसम के कूल होने और खेतों को अच्छा पानी मिल सके, इसके लिए लगातार कई दिन तक ऐसे ही बरसात की जरूरत है।

बरसों पहले तक संगम नगरी में सावन-भादो में होने वाली बरसात अब नजर नहीं आती। इससे हर बार जरूरत से बहुत कम ही पानी जिले को मिल पा रहा है।

-प्रो। बीएन मिश्रा

पूर्व विभागाध्यक्ष, ज्योग्राफी

इलाहाबाद विश्वविद्यालय

लेटेस्ट वेदर प्रेडिक्शन रिपोर्ट से स्पष्ट है कि अबकी बार भी सामान्य से कम बारिश ही होगी।

-प्रो। सुनीत द्विवेदी

-ऑटोमेटिक वेदर सेंटर हेड

इलाहाबाद यूनिवर्सिटी