- मौसम विभाग सटीक भविष्यवाणी करने में नाकाम, पल-पल बदल रहा है मौसम का मिजाज

- 107 परसेंट बारिश की थी उम्मीद, लेकिन 50 फीसद बारिश पर रुक गया आंकड़ा

- अब जिम्मेदारों को सताने लगा है सूखे का डर, सावन-भादो में भी नहीं हुई भरपूर बारिश

केस - 1

मौसम विभाग ने संभावना जताई थी कि इस बार गोरखपुर में 107 परसेंट बारिश होगी। शुरुआत में तो कुछ दिन ठीक-ठाक बारिश हुई, लेकिन बीच में मौसम का मिजाज बदल गया और उसके बाद बारिश बंद हो गई। सावन में भी औसत से कम बारिश हुई, अब भादो चल रहा है, लेकिन अब तक कुल 50 फीसदी ही बारिश हो सकी है, जबकि, अब तक दोगुनी बारिश हो जानी चाहिए थी।

केस -2

आईएमडी ने पिछले हफ्ते बारिश की संभावना जताई थी, लेकिन पूरा हफ्ता सूखा ही निकल गया। विभाग की वेबसाइट पर 30 अगस्त को बारिश होनी थी, लेकिन 29 अगस्त को ही बादलों ने महरबानी दिखा दी और हल्की-फुल्की बारिश ने लोगों को राहत दी। मगर इस बार भी मौसम विभाग का प्रिडिक्शन फेल रहा।

GORAKHPUR: यह दो केस सिर्फ उदाहरण भर हैं। मौसम की उठापटक गोरखपुराइट्स को परेशान किए हुए हैं। कभी तेज धूप और कभी बादल के साथ बीच-बीच में बारिश मौसम के मिजाज को लगातार बदलने में लगी है। मौसम कब किस ओर करवट लेगा, इसको लेकर विभाग ने लाखों खर्च कर इंस्ट्रूमेंट लगा रखे हैं। मगर इस बेईमान मौसम का साथ न मिलने से यह इंस्ट्रूमेंट भी बेमायने साबित हो रहे हैं। इतने तेजी से बदल रहे मौसम के मिजाज से खुद जिम्मेदार भी परेशान हैं और वह इसे परखने के दूसरे हथकंडे अपना रहे हैं।

लगातार बदल रहा है मिजाज

मौसम का मिजाज लगातार चेंज हो रहा है। एक्सप‌र्ट्स की मानें तो इसकी वजह एटमॉस्फियर में हो रही उथल-पुथल है। कभी हवाओं का दबाव बढ़ जा रहा है, तो कभी नमी कम होने से बारिश के आसार के बाद भी बारिश नहीं हो पा रही है। इतना ही नहीं हवाओं का रुख भी लगातार चेंज होने से बादल कहीं का कहीं बरस जा रहे हैं, इस वजह से मौसम विभाग की सभी प्रिडिक्शन बेमायने साबित हाे रही है।

अनप्रिडिक्टेबल है मौसम

मौसम में लगातार हो रहे अनइवेन चेंजेंज के बारे में जियोलॉजिस्ट प्रो। केएन सिंह की मानें तो मौसम अनप्रिडिक्टेबल है। मौसम का मिजाज समझना आसान नहीं है। एक्सप‌र्ट्स वायुदाब, हवा की दिशा और आकाश की दशा को देखकर सिर्फ भविष्यवाणी करते हैं, जो कई बार सटीक बैठती हैं, वहीं कई बार हवाओं के रुख बदलने और दाब बढ़ने या घटने से यह चेंज भी हो सकती हैं। वर्तमान कंडीशन में यह मौसम विभाग की बड़ी चूक है, जिसके लिए उन्हें सोचने के साथ ही इस पर वर्क करने की जरूरत है।

रेग्युलर मॉनीटरिंग से बनेगी बात

आईएमडी के डायरेक्टर जेपी गुप्ता की मानें तो मौसम का मिजाज जो इस वक्त हो यह कतई जरूरी नहीं कि कुछ घंटे के बाद वैसा ही रहेगा। मौसम में हर घंटे चेंजेंज पॉसिबल हैं। यही वजह है कि मौसम में नॉऊ कास्ट और फोरकास्ट की जाती है। नॉऊ कास्ट 3 या 6 घंटे की होती है, इसके ही आधार पर आगे की फोरकास्ट तय की जाती है। अगर इस बीच नॉऊकास्ट में एटमॉस्फियर में चेंज की वजह से कोई अपडेट होता है, तो उसी के अकॉर्डिग फोरकास्ट भी चेंज हो सकती है। इसलिए जरूरी है कि अगर मौसम के बारे में सटीक इंफॉर्मेशन जाननी हो तो इसकी रेग्युलर मॉनीटरिंग करनी पड़ेगी।

वर्जन

मौसम का मिजाज हर वक्त बदलता रहता है। नॉऊकास्ट और फोरकास्ट में भी चेंज पॉसिबल है। इसलिए सटीक इंफॉर्मेशन के लिए रेग्युलर अपडेट पर नजर रखनी पड़ेगी। जरूरी नहीं है जो इस वक्त प्रिडिक्शन की जा रही है, एक घंटे बाद वहीं प्रिडिक्शन हो।

- जेपी गुप्ता, डायरेक्टर, आईएमडी