टेम्परेचर में वेरिएशन से पैटर्न चेंज, हवा में घुले बर्फ के कणों ने धूप मिलते ही बढ़ाई गलन

सुबह और शाम ढलते ही लोगों को हो रहा है बर्फीली हवाओं का एहसास

ALLAHABAD: करेंट वेदर कंडीशन ने भले ही लोगों को दिन में राहत दी हो, लेकिन मौसम के बदले तेवर अचानक रुख पलट भी सकते हैं। दिन में खिली धूप और तापमान में तेजी से हो रहा वैरिएशन विंटर रेन फाल के हालातों की ओर बढ़ चला है। यह कहना है मौसम के विशेषज्ञों का, उनका मानना है कि अक्सर मकर संक्रांति और मौनी अमावस्या के आसपास मौसम तेजी से करवट लेता है। ऐसे में लोगों को भारी जाड़े के बीच गंगा में डुबकी लगानी पड़े तो आश्चर्य नहीं होना चाहिये।

शून्य की ओर बढ़ता था पारा

जनवरी में अभी तक न्यूनतम तापमान चार डिग्री सेल्सियस तक पहुंचा है। अमूमन बीते कुछ वर्षो में यह ट्रेंड रहा है कि जनवरी के पहले या दूसरे सप्ताह तक पारा शून्य की ओर भी बढ़ जाता था। ऐसा होता इससे पहले ही मौसम ने यू टर्न ले लिया और खिली धूप ने लोगों को सर्द मौसम से दिन में राहत दे दी। ऐसे में दिन और रात का पारा भी बढ़ चला है। तीन से चार दिनों के अंतर में ही अधिकतम तापमान 20 डिग्री सेल्सियस को क्रास कर गया तो न्यूनतम तापमान भी 10 डिग्री के आसपास पहुंचने को बेताब है।

हवाएं लेकर आती हैं बर्फ के कण

शनिवार को न्यूनतम तापमान 8.5 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम तापमान 21.8 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया। हालांकि, पारे ने भले ही उछाल मार दी हो। लेकिन शाम ढलते ही लोगों को भारी गलन महसूस हो रही है। शाम को सूर्यास्त के बाद से ही लोगों को बर्फीली हवाओं सा एहसास हो रहा है। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में ज्योग्राफी डिपार्टमेंट के प्रोफेसर एआर सिद्दीकी बताते हैं कि बर्फबारी वाली जगहों से चलकर जो हवाएं यहां आती हैं, उनके साथ हवा में बर्फ के छोटे छोटे कण भी होते हैं। ऐसे में जब धूप खिलती है तो बर्फ के ये कण पिघलना शुरू होते हैं और लोगों को अच्छी खासी गलन का एहसास होने लगता है।

मकर संक्रांति व मौनी अमावस्या चैलेंज

इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में आटोमेटिक वेदर सेंटर के हेड प्रो। सुनीत द्विवेदी कहते हैं कि यही वह मौसम है, जिसमें तापमान में बहुत ज्यादा वैरिएशन होने से विंटर रेन फाल की संभावना बनना शुरू हो जाती है। उन्होंने कहा कि माघ के महीने में ज्यादातर दो से तीन दिनो की बरसात का ट्रेंड रहा है। इसके बाद ठंड धीरे धीरे कम होना शुरू हो जाती है। उन्होंने कहा कि यह तय है कि लोगों को मकर संक्रांति और मौनी अमावस्या पर अच्छी खासी ठंडक के बीच स्नान करना होगा।

मौसम का पैटर्न एकाएक चेंज होने से हालात बदल जाते हैं। ऐसे में जब न्यूनतम और अधिकतम तापमान का अंतर बढ़ जाता है तो बूंदाबांदी के साथ हल्की या तेज बारिश होती है। कभी-कभी यह सिलसिला दो से तीन दिन तक चल जाता है।

प्रो। सुनीत द्विवेदी, आटोमेटिक वेदर सेंटर

पहाड़ी और बर्फीले क्षेत्रों से आने वाली हवाएं अपने साथ बर्फ के कण लिए होती हैं। ऐसे में धूप लगातार निकलती है तो हवा में बर्फ पिघलती है और गलन महसूस होती है। ऐसा दिन और रात के टेम्परेचर में बड़े गैप के चलते होता है।

प्रो। एआर सिद्दीकी, ज्योग्राफी डिपार्टमेंट इलाहाबाद यूनिवर्सिटी