newsroom@inext.co.in

KANPUR : पश्चिमी एशिया में भूमध्यसागर, लाल सागर और काला सागर पर इस साल लम्बे समय तक उच्च दबाव कायम रहने और हवा की दिशा नहीं बदलने से उत्तरी भारत के मौसम में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। तीनों सागरों की नमी यानी पश्चिमी विक्षोभों की संख्या औसतन 3-4 से बढ़कर 7-8 हो गई है। हर दो दिन बाद बादल आ रहे हैं। मार्च में हवा की दिशा उत्तरी-पश्चिमी हो जानी चाहिए थी लेकिन अभी भी उत्तर दिशा से हवा बह रही है, जिससे सूरज धरती को गर्म नहीं कर पा रहा है। इसके प्रभाव से जम्मू-कश्मीर के ऊपर बने पश्चिमी विक्षोभ से चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र दक्षिण-पश्चिमी राजस्थान, पंजाब और हरियाणा पर पहुंच गया है। पूर्वोत्तर भारत में असम पर भी एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र सक्रिय है। इससे एक ट्रफ कम दबाव का क्षेत्र उत्तरी झारखण्ड से वेस्ट बंगाल तक सक्रिय है। चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र विदर्भ के ऊपर भी दिखाई दे रहा है। इससे एक ट्रफ मराठवाड़ा होते हुए उत्तरी आंतरिक कर्नाटक तक बनी हुई है।

कश्मीर, हिमाचल में हो सकती बारिश

स्काई मेट वेदर के मुताबिक, शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में हल्की से मध्यम बारिश के साथ बर्फबारी होने की संभावना है। इसके अलावा पंजाब, हरियाणा, उत्तरी राजस्थान, दिल्ली-एनसीआर, पश्चिमी और उत्तरी उत्तर प्रदेश सहित पूर्वी मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखण्ड और उत्तरी ओडिशा के भागों में गरज के साथ कुछ स्थानों पर बारिश दर्ज किए जाने के आसार हैं। अरुणाचल प्रदेश में भी हल्की बारिश के साथ बर्फबारी हो सकती है। जबकि असम में एक-दो जगहों पर गरज के साथ हल्की बारिश की संभावना है। पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के हिस्सों में दिन के टेम्प्रेचर में गिरावट देखने को मिल सकती है।

अलनीनो फिर हो रहा मजबूत

अल नीनो ने इस बार सबको चौंका दिया है, क्योंकि बीते कई महीनों के विदाई के रुझान के बाद यह मजबूत हो रहा है। जहां फरवरी तक इसके खत्म होने का रुझान देखने को मिल रहा था, वहीं अब इसने पलटी मारी है। आंकड़ों के अनुसार 4 फरवरी तक समुद्र की सतह का तापमान औसत से नीचे 0।3 डिग्री सेल्सियस पर बना हुआ था। उसके बाद अचानक स्थितियां बदलीं और बीते 2 हफ्तों के दौरान समुद्र की सतह के तापमान में बढ़ोत्तरी देखी गई। गौरतलब है कि अल नीनो एक ऐसा वेदर मेजरमेंट में यूज होता है जो हर बार न तो एक ही स्थान पर उभरता है और ना ही एक जैसा बर्ताव करता है। यह निश्चित दुनिया के बड़े क्षेत्र को प्रभावित करता है। इसी वजह से दुनियाभर के वेदर साइंटिस्ट की नजर इस पर होती है। मौसम विशेषज्ञ समुद्र की सतह के तापमान में वृद्धि के लिए मैडेन जूलियन ओषीलेशन (एमजेओ) की हलचल को जिम्मेदार माना जा रहा है। इसके कारण ट्रेडविंड कमजोर हुई हैं जिससे 2019 के वसंत में अल नीनो के उभार की संभावना जनवरी के 50 परसेंट से अब बढ़कर 60 परसेंट हो गई है।

National News inextlive from India News Desk