RANCHI ट्ठ झारखंड में कितने एचआईवी पॉजिटिव हैं? एचआईवी पॉजिटिव से बचाव के लिए सरकार क्या पहल कर रही है? इसकी जांच के लिए राज्य में क्या-क्या व्यवस्था है? मरीजों के मेडिसीन और ब्लड के लिए क्या इंतजाम है? आपातकालीन परिस्थिति में अगर एचआईवी पॉजिटिव को इलाज की जरूरत पड़े तो वे कहां और किस हॉस्पिटल में जाएं? अगर ये तमाम जानकारी आप झारखंड एड्स कंट्रोल सोसाइटी की वेबसाइट पर तलाशेंगे तो निराशा हाथ लगेगी। फिलहाल वेबसाइट पर 'पेज अंडर कंस्ट्रक्शन' होने की बात लिखी है। सिर्फ टेंडर का ही जिक्र झारखंड एड्स कंट्रोल सोसाइटी की वेबसाइट सिर्फ टेंडरों के मामले में ही अपडेट है। एड्स कंट्रोल के लिए क्या खरीदारी होनी है? टेंडर डालने के लिए क्या प्रक्रिया है? टेंडर में कौन शामिल हो सकते हैं? इसकी जानकारी इस वेबसाइट से ली जा सकती है, लेकिन एचआईवी पॉजिटिव की रोकथाम व बचाव के लिए चल रहे प्रोग्राम्स की जानकारी कहीं भी नहीं है। 2014 में बनी थी वेबसाइट झारखंड एड्स कंट्रोल सोसाइटी की वेबसाइट 2014 में बनी थी, जबकि एक सोसाइटी के तौर पर इसका रजिस्ट्रेशन 9 मई 2001 को हुआ था। सोसाइटी का ऑफिस रांची स्थित सदर हॉस्पिटल कैंपस में है। सोसाइटी का काम एनजीओ व अन्य संस्थाओं के माध्यम से एड्स के प्रति लोगों को अवेयर करने के साथ इसके जांच व इलाज की व्यवस्था करना है। चाहिए 67 स्टाफ, हैं मात्र 14 झारखंड एड्स कंट्रोल सोसाइटी भी स्टाफ्स की कमी से जूझ रही है। सोसाइटी को 67 स्टाफ चाहिए, पर यह मात्र 14 के भरोसे काम कर रही है। ये सभी नियुक्तियां भी कांट्रेक्ट पर हुए हैं। स्टाफ की कमी के कारण योजनाओं की निगरानी सही तरीके से नहीं हो पा रही है। कई योजनाओं पर अभी तक काम भी शुरू नहीं हुआ है। नहीं खुले रेड रिबन क्लब एड्स कंट्रोल प्रोग्राम में युवाओं की भागीदारी के लिए कॉलेजों और शिक्षण संस्थानों में रेड रिबन क्लब खोला जाना है, लेकिन राज्य के ज्यादातर शिक्षण संस्थानों में ये क्लब नहीं खोले जा सके हैं। क्लब के मार्फत युवाओं में स्वैच्छिक रक्तदान को भी बढ़ावा देना है, लेकिन यह भी अभी धरातल पर नहीं उतर पाया है। झारखंड में एचआईवी पॉजिटिव का आंकड़ा 80 परसेंट मरीज बढ़े पिछले 7 साल में 47976 लोग हैं एचआईवी के शिकार 315 की पिछले पांच सालों मे हो चुकी मौत 17 जिलों में एड्स के टेस्ट की सुविधा नहीं