बैंकाक से साइगोन रवाना हुए थे नेता जी

बेबसाइट ने जारी किए गए दस्तावेजों के हवाले से बताया है कि 17 अगस्त 1945 को नेता जी बैंकॉक से रवाना हुए और दोपहर से पहले साइगोन पहुंच गए। कई भारतीयों और जापानी चश्मदीदों ने इसे मजर जनरल शाह नवाज खान की अध्यक्षता वाली 1956 नेता जी जांच समिति के समक्ष भी सत्यापित किया था। इस समिति में आजाद भारत की प्रांतीय सरकार पीजीएफआई के एसए अयर, देबनाथ दास और आजाद हिंद फौज आई एनए के कर्नल हबीब उर रहमान भी शामिल हुए थे। इन दोनों संगठनों को नेतृत्व सुभाष चन्द्र बोस ने ही किया था। आजाद हिंद फौज के चीफ ऑफ स्टाफ मेजर जनरल भोंसले ने इस बात से सहमती जताई कि बोस 17 अगस्त 1945 की सुबह बैंकॉक से साइगोन के लिए रवाना हुए थे।

नेता जी को एशिया लेजाने के लिए नहीं मिल रहा था विमान

सेकेंड वर्ल्ड वार में जापान के आत्मसमर्पण करने के ठीक बाद बोस को सीधे उत्तर पूर्व एशिया ले जाने के लिए कोई विमान उपलब्द नहीं था। जिसको लेकर जापान का सेना मुख्यालय भ्रम की स्थिति में था। अंतता जापानी अधिकारियों ने पीजीएफआई और आईएनए के बीच संपर्क संस्थान हिकारी किकन के जनरल इसोद ने बोस को इस बात से अवगत कराया था कि तोक्यों जाने वाले विमान में सिर्फ दो सीटें ही उपलब्द होंगी। जिसके चलते उनके अधिकांश सलाहकार और अधिकारी उनके साथ जाने में सक्षम नहीं होगें। आईएनए के कर्नल प्रीतम सिंह द्वारा जांच आयोग को दिए गए बयान के अनुसार नेता जी को जाने की सलाह दी गई थी। नेता जी ने एडीसी कर्नल रहमान को अपने साथ लेजाने के लिए चुना। विमान के उड़ान भरने से पहले क्षमता से अधिक भार बढ़ाने को कोई मामला ही नहीं था। समिति ने यह दर्ज किया कि बोस ने अपने सामन में किताबें कपड़े इत्यादि चीजों को एक हिस्सा अलग कर दिया।

जापनी जनरल के साथ उसके विमान में गए थे नेता जी

विमान में सवार जापानी यात्रियों में जनरल शिदेई भी शामिल थे। जो एक जाने माने अधिकारी थे। वह चीन सोवियत संघ की सीमा के पास चीन के मंचूरिया जा रहे थे। वहां उन्हें जापानी सेना की कमान संभालनी थी। बोस के मुख्यालय से जुड़े एक जापानी दुभाषिये ने शाह नवाज समिति करे बताया कि जनरल शिदेई जापानी सेना में रूसी मामलों के एक विशेषज्ञ होने वाले थे। रूस के साथ होने वाली बातचीत में उनकी अहम भूमिका थी। नेता जी को सुझाव दिया गया था कि वो शिदेई के साथ मंचूरिया जाएं। जिससे यह रजामंदी बनी कि बोस जनरल शिदेई के साथ मंचूरिया के डेरेन शहर जाएंगे। जापानी सेना के एक एयर स्टाफ ऑफीसर और यात्रियों में शामिल कर्नल शिरो नोनोगाकी ने स्वतंत्र रूप से समिति को बताया कि जरनल शिदेई को विमान से मंचूरिया लेजाने का कार्यक्रम था। नेता जी ने उनके साथ मंचूरिया के डेरेन जाने पर सहमती जताई थी। यह विमान जापानी सेना के दोहरे इंजान वाला 97-2 सैली था। जिसके लिए निर्धारित मार्ग सइगोन से हेइतो तेइपो डेरेन होते हुए तोक्यो लौटना था।

विमान में नेता जी को छोड़ सभी जापानी अधिकारी थे

साइगोन से रवानगी में देरी होने के चलते पायलट ने चीन तट पर तूरान में रात गुजारने का फैसला किया। जबकि इससे पहले की योजना में किसी हाल में भी ताईवान पहुंचना था। विमान में 13 लोगों के सवार होने का अनुमान था। जिनमें नेता जी, रहमान को छोड़ बाकी सभी जापानी अधिकारी थे। रहमान ने समिति को बताया कि पायलट के ठीक पीछे नेता जी बैठे हुए थे। उनके सामने कोई नहीं था क्योंकि जगह पेट्रोल टंकी के चलते बंद थी। मैं नेता जी के ठीक पीछे बैठा हुआ था। सह पायलट की सीट पर जरनल शिदेई थे। जो नेता जी को पेशकश गी गई थी पर उन्होंने जगह छोटी होने के चलते स्वीकार नहीं किया। साइगोन से उड़ान भरने के लिए विमान को एक पूरी लंबाई वाली हवाईपट्टी  की जरूरत थी। बताया जा रहा था कि विमान में अभी भी क्षमता से अधिक भार था।

नेता जी ने तूरान में एक होटल में गुजारी थी रात

जांच समिति ने बताया कि तूरान पहुंचने पर चालक दल और जापानी अधिकारियों ने 12 विमान भेदी मशीन गन और भारी मात्रा में रखे गोला बारूद उतार दिए थे। इसके साथ्ा ही कुछ अन्य सामान उतारने के बाद विमान में 600 किलोग्राम वजन कम हो गया। वेबसाइट ने दस्तावेजों का हवाला देते हुए बताया कि तूरान में नेता जी ने एक होटल में रात गुजारी थी। शहद वह होटल मोरीन था। वेबसाइट ने कहा कि भविष्य में होने वाले शेष खुलासों का लक्ष्य अगले दिन हुई विमान दुर्घटना के पीछे मौजूद कारणो और तथ्यों को रखना है। माना जाता है कि इसी विमान हादसे के दौरान नेता जी की मौत हो गई थी।

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