पॉश इलाके सिविल लाइंस में दिखी रौनक, मॉल्स से लेकर पार्क और रेस्टोरेंट में लोगों ने किया सेलिब्रेशन

ALLAHABAD: किसी ने फूलों से इजहार किया तो किसी ने शब्दों से अपने दिल की बात कह दी। किसी ने अपने मोहब्बत को कुबूल कर लिया तो किसी ने अपने बहुत प्यारे दोस्त को फूल देकर विश किया। यह नजारा बुधवार को वैलेंटाइन्स डे पर आम रहा। सोशल नेटवर्किंग के माध्यमों ने भी खास भूमिका निभाई।

मनाने और रिझाने का चला सिलसिला

वैसे वेलेंटाइन डे को खास बनाने की चर्चा और प्लानिंग सवेरे से ही शुरु हो गयी। अपनी खूबसूरत मोहब्बत को रिझाने और मनाने का सिलसिला तो चला ही तो कई ऐसे लड़के और लड़कियां भी रहीं। जिन्होंने अपने खास दोस्तों के साथ इस दिन को सेलिब्रेट किया। पॉश इलाकों से लेकर पार्क और रेस्टोरेंट तक में इस दिन को स्पेशल बनाने के लिए युवक-युवतियां तो पहुंचे ही, बड़े भी पीछे नहीं रहे। पति-पत्नियों के अलावा लोगों ने अपने पैरेंट्स और फैमिली के साथ भी एंज्वॉय किया।

जितने लब, उतने फसाने

इधर, वैलेंटाइंस डे पर एनसीजेडसीसी में भी खास आयोजन किया गया। यहां बुनियाद फाउंडेशन से जुड़े युवाओं ने 'जितने लब उतने फसाने' का मंचन किया। लेखक अख्तर अली द्वारा लिखे अट्रैक्टिव नाटक का मार्गदर्शन डॉ। विधु खरे दास एवं निर्देशक अंकित सिंह यादव ने किया। इसमें दिखाया गया कि वर्तमान समय में भी सोसायटी में प्यार को किस नजरिए से देखा जाता है। इसमें मंच पर असगर अली और रुचि गुप्ता ने प्रस्तुति दी। संगीत संजीत कुमार और पूजा शर्मा का रहा।

कॉलिंग

दो प्यार करने वालों के लिए एक गुलाब का फूल बहुत ज्यादा मूल्यवान है। उसका कोई मोल नहीं है। आप एक सिंपल से 10 रुपए के गुलाब के फूल से अपने प्रेमी के मन में बहुत ज्यादा प्यार बढ़ा सकते हैं। फिर चाहे वह बॉयफ्रेंड हो या गर्लफ्रेंड।

-आकिब जावेद

हर फूल के कलर का अलग-अलग मतलब लोग समझते हैं। लाल गुलाब का मतलब प्यार होता है। केसरिया रंग से मन की भावना प्रकट होती है और पीला गुलाब का फूल फ्रेंडशिप की निशानी होती है। मैंने भी अपनी तरह से इस दिन को एंज्वॉय किया।

-भीम त्रिपाठी

मेरे दोस्तों को इस दिन कैंडल लाइट डिनर करना बहुत पसंद है। फिर चाहे वह गर्लफ्रेंड हो ब्वॉयफ्रेंड हो या कोई कॉमन फ्रेंड। मैं तो कई जगहों पर घूमने गया और जमकर मस्ती की। एक साथ खाना खाने से प्यार बढ़ता है। वैलेंटाइन डे को सेलिब्रेट करने का यह खास तरीका है।

-अभिषेक

प्रेम की अनुभूति ही अलग होती है। लेकिन हमारी सोसाइटी में इसका अलग ही मतलब निकाला जाता है। जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए। सबके अपने अपने इमोशंस होते हैं।

-रुचि गुप्ता

प्यार को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता और न ही इसकी कोई परिभाषा होती है। इसे तो सिर्फ महसूस किया जा सकता है। कई बार हम लोग अपने प्रोग्राम के जरिए इस चीज को सोसायटी के सामने भी रख चुके हैं।

-मधु प्रियदर्शनी

वर्तमान दौर में प्यार का मतलब ही बदल गया है। जहां आज भी लोगों की सोच प्यार को लेकर बदल नहीं पायी है। लोगों को समय के साथ अपनी सोच भी बदलनी होगी। कई मामलों में सोच तो बदली है। लेकिन प्रेम के मामले में सोच नहीं बदली है।

-रुचि यादव