- छह दिसंबर को लेकर पीएफए के पोस्टरों ने मचाई 2ालबली

- यूपी में पीएफए की सक्रियता को लेकर 2ाुफिया तंत्र सक्रिय

LUCKNOW :छह दिसंबर को विवादित ढांचा गिराए जाने को लेकर प्रदेश 5ार में ¨हदू संगठनों ने शौर्य दिवस मनाया तो बाबरी मस्जिद ए1शन कमेटी ने हर साल की तरह काला दिवस घोषित कर अपनी नाराजगी व्यक्त की। इस दौरान पश्चिमी उप्र के कुछ जिलों में पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया की ओर से लगाये गये कुछ पोस्टरों ने 2ाुफिया एजेंसियों की नींद उड़ा दी। आनन-फानन में 2ाुफिया तंत्र को सक्रिय कर इन पोस्टरों को हटाया गया लेकिन इसने एक बार फिर पुलिस के सुरक्षा इंतजामों पर सवालिया निशान लगा दिए। इसके विरोध में मेरठ में शिव सैनिकों ने तलवारें लहराते हुए जुलूस 5ाी निकाला।

केरल में सक्रिय है पीएफए

दरअसल पीएफए केरल में ज्यादा सक्रिय है। पिछले कई सालों के दौरान यूपी में उसकी सक्रियता 2ासी नहीं रही। यदा-कदा पीएफए से जुड़े लोगों को पुलिस अपने रडार पर 5ाी लेती रही है। वहीं प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद अचानक बिजनौर, मेरठ जैसे जिलों में पीएफए की ओर से बाबरी मस्जिद के निर्माण को लेकर 5ाड़काऊ पोस्टर लगाए जाने से सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश की गयी। ध्यान रहे कि दोनों ही जिले सांप्रदायिक दृष्टि से 2ासे संवेदनशील माने जाते है। उल्ले2ानीय है कि पूर्ववर्ती बसपा सरकार में ल2ानऊ में एक बार पीएफए ने अपनी जड़े जमाने की कोशिश की थी। पुराने ल2ानऊ में इसका बाकायदा एक द3तर 5ाी 2ाोला गया था लेकिन तत्कालीन एडीजी एलओ बृजलाल ने एटीएस की मदद से उसके मंसूबों को ध्वस्त कर दिया था।

इन जिलों में लगे 5ाड़काऊ पोस्टर

पिछले तीन दिन से मेरठ, बिजनौर, गाजियाबाद, अलीगढ़, हाथरस और सहारनपुर के कुछ इलाकों में इस तरह के पोस्टर दीवारों पर चस्पा पाए गये है। इनमें हिंदी और उर्दू में लाल और काले रंग से लिखा गया है कि 'कहीं हम भूल ने जाए, धोखे के 25 साल'। उसके नीचे डेट लिखी है 6 दिसंबर 1992- 6 दिसंबर 2017, साथ ही बाबरी मस्जिद की पहले की फोटो पर छपा है, 'बाबरी मस्जिद को दोबारा तामीर करो'। साथ ही पीएफए के नाम के अलावा फोन नंबर पर और पता 5ाी दिया गया है। इसे दे2ाने के बाद जहां पुलिस के होश उड़ गये तो वहीं हिंदू संगठन इसके विरोध में लामबंद होने लगे। फिलहाल इस मामले को लेकर केंद्रीय और राज्य की 2ाुफिया एजेंसियां जांच करने में जुट गयी हैं।