दशकों पहले राजकपूर पर फिल्माए गए एक गाने के बोल थे च्हम उस देश के वासी हैं, ‘जिस देश में गंगा बहती है’. कुछ वर्ष पहले भी गोविंदा की एक फिल्म का टाइटल था, ‘जिस देश में गंगा रहता है’. अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर गंगा किस देश में रहता है. पिछले दिनों एक आरटीआई का जो जवाब होम मिनिस्ट्री ने दिया उसके बाद तो खुद गंगा भी नहीं बता पाएगा कि वह किस देश में रहता है. दरअसल, होम मिनिस्ट्री को भी खुद नहीं पता कि आखिर अपने देश का ऑफिशियल नाम क्या है. 

इंडिया, भारत या हिंदुस्तान?

आरटीआई एक्टिविस्ट मनोरंजन रॉय ने सेंट्रल होम मिनिस्ट्री में आरटीआई आवेदन करते हुए पूछा था कि आखिर देश का ऑफिशियल नाम क्या है? अपने देश को अंग्रेजी में इंडिया, हिंदी में भारत और उर्दू में हिंदुस्तान कहा जाता है. होम मिनिस्ट्री इस सवाल पर निरुउत्तर हो गई. मिनिस्ट्री के ऑफिसर्स ने उन्हें जवाब दिया कि उनके पास इस बारे में कोई सूचना नहीं है.

अब कोर्ट से पूछेंगे

रॉय ने बताया कि उन्होंने आरटीआई में पूछा था कि अगर हमारे देश को कई नामों से बुलाया जाता है तो उसका असली नाम क्या है? लेकिन उन्हें जो जवाब मिला उसे देखकर वह दंग हैं और अब इस मामले को लेकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की तैयारी में हैं. उनका कहना है कि यदि एक आम आदमी अपना नाम बदलता है तो उसे कानूनी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है. इसी तरह देश का नाम बदलने की जानकारी भी आम जनता को दी जानी चाहिए. रॉय ने कहा कि हमारी सरकार को अपने देश का ऑफिशियल नाम नहीं पता. इसलिए मैं अपने देश का नाम और राष्ट्रीय भाषा जानने के लिए जनहित याचिका दायर करूंगा.

राष्ट्रीय भाषा का भी पता नहीं!

रॉय ने नेशनल लैंग्वेज के बारे में भी पूछा था. इस पर ऑफिसर्स का जवाब है कि हमारे देश के संविधान में नेशनल लैंग्वेज के तौर पर किसी भाषा का उल्लेख नहीं है. रॉय को बताया गया कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 में सरकारी कामकाज के लिए आधिकारिक भाषा हिंदी बताई गई है.

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