1- मृत्यु जब नजदीक होती है तो व्यक्ति को पानी, तेल, दर्पण में अपनी छवि नजर नही आती है। यदि मनुष्य को अपनी परछाई विकृत दिखाई देने लगे तो ऐसा माना जाता है कि मनुष्य के शरीर त्यागने का समय नजदीक आ चुका है।

2- मृत्यु के नजदीक आने पर व्यक्ति की आंखों की रोशनी खत्म हो जाती है। उसे अपने आस-पास बैठे लोग भी नजर नहीं आते।

3- जीवन में जो भी अच्छे या बुरे कर्म किए हैं वह सारे कर्म व्यक्ति की आंखों के सामने से गुजरते हैं। जीवन के अंतिम समय में सभी अच्छे बुरे कर्मो सभी घटनाएं आंखों के सामने तैरती चली जाती है।

4- जिन मनुष्यों के कर्म अच्छे होते हैं उन्हें मृत्यु के समय अपने सामने एक दिव्य प्रकाश नजर आता है। सतकर्म करने वाले व्यक्ति को मृत्यु के समय भी भय नहीं होता है।

5- गरुड़ पुराण में बताया गया है कि जब मृत्यु की घड़ी निकट आती है तो यम के दो दूत मरने वाले प्राणी के सामने आकर खड़े हो जाते हैं।

6- यदि मनुष्य के कर्म अच्छे नहीं होते हैं तो अपने सामने यम के भयंकर दूत खड़े दिखते हैं और वह भयभीत होता रहता है।

7-  आत्मा जीवन की सभी घटनाओं को यानी कर्मों को अपने साथ लेकर शरीर को त्याग देती है और यमदूत व्यक्ति के अभौतिक शरीर को अपने साथ लेकर यमराज के दरबार की ओर ले जाते हैं।

8-शरीर त्याग करने के अंतिम समय में व्यक्ति की आवाज भी खत्म हो जाती है। वह बोलने की कोशिश करता है लेकिन बोल नहीं पाता है। आवाज घरघराने लगती है जैसे किसी ने गला दबा रखा हो।

9- मृत्यु के पश्चात पापी मनुष्य को यम के दूत ढाई मुहूर्त में यानी लगभग 24 घंटे में वायुमार्ग से यमलोक ले जाते हैं। यहां यमराज व्यक्ति के कर्मों का लेखा जोखा करते हैं इसके बाद यमदूत वापस व्यक्ति की आत्मा को लेकर पृथ्वी पर आते हैं।