एक दिन पहले से ही पिच के हाल को देखते हुए सभी ने आस लगा रखी थी कि भारत के लिए यह मैच जीतना मुश्किल नहीं होगा.लेकिन इन सबके बीच एक सवाल ये भी लोगों के दिलो-दिमाग़ पर कौंध रहा था कि क्या मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर इस जीत के साथ अपने प्रशंसकों को सौवें शतक का भी तोहफ़ा देंगे या नहीं।

सचिन की दूसरी पारी अभी तक निर्दोष कही जा सकती थी। संभल कर संयम से ज़िम्मेदारी वाली पारी। ऐसी पारी जिसमें भारत को जीत दिलाने की ललक थी।

एक समय ऐसा आया जब भारत की जीत सिर्फ़ औपचारिकता सी लगने लगी। तब क्रिकेट प्रेमी दम साधे सचिन के सौवें शतक का इंतज़ार करने लगे, क्योंकि उन्हें पता था कि जीत तो तय ही है।

सचिन ने भी प्रशंसकों को अपने बेहतरीन शॉट्स से निराश नहीं किया। लेकिन एकाएक लगने लगा कि सचिन हड़बड़ी में हैं। लक्ष्मण एक समझदार क्रिकेटर की तरह सचिन को बार-बार स्ट्राइक दे रहे थे।

जल्दबाज़ी

लेकिन कुछ समय पहले तक संभल कर खेल रहे सचिन एकाएक चौका लगाने के मूड में आ गए। किसी के ओवर में दो चौके, तो किसी के ओवर में एक। सिंगल लेना भूल वे लंबे शॉट का इंतज़ार करने लगे।

समझ में नहीं आ रहा था कि सचिन को इतनी हड़बड़ी में क्यों हैं। क्या सचिन को अपना शतक पूरा करने की जल्दबाज़ी थी? क्या सचिन एकाएक दबाव में आ गए थे?

सचिन को देखकर ऐसा नहीं लगता था कि वे दबाव में हैं। लेकिन उनमें हड़बड़ी ज़रूर देखी जा सकती थी। अपने क्रिकेट करियर के दौरान एक समय ऐसा भी आया था, जब सचिन ज़रूरत से ज़्यादा नर्वस नाइंटीज़ के शिकार हो रहे थे। तब सचिन ने एक इंटरव्यू के दौरान ये कहा था कि उनका बेटा उनसे ये कहता है कि चौके-छक्के मारकर शतक पूरा कर लिया करो।

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सौंवा शतक एक ऐसा मील का पत्थर है, जिसे पाना सबके वश की बात नहीं होगी। सचिन इसे बख़ूबी समझते हैं। तो क्या वे इस दबाव वाले शतक से जल्दी से जल्दी पार पाना चाहते हैं? शायद ये बात सच हो। मैच के बाद कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने भी कहा कि सचिन को मीडिया ने दबाव में ला दिया है।

निराशा

लेकिन सच तो ये है कि सचिन ने ऐसे कई दबाव अपने कंधों पर झेले हैं और उनसे उबर कर सामने आए हैं। लेकिन इस बार सचिन का बेकार शॉट पर आउट होना क्रिकेट प्रेमियों को निराश कर गया।

सचिन जिस गंभीरता और संयम से खेल रहे थे, उनसे इस हड़बड़ी की उम्मीद नहीं की जाती। देवेंद्र बिशू के जिस ओवर में सचिन का विकेट गिरा, उस ओवर में सचिन ने एक लेग बाई लेने से इनकार कर दिया था।

शायद इसलिए क्योंकि वे बिशू के ओवर में बड़ा स्ट्रोक खेलना चाहते थे। लेकिन बड़ा स्ट्रोक खेलने की उनकी चाह का नतीजा बुरा निकला और सचिन एक बेकार शॉट की कोशिश में 76 रन बनाकर पवेलियन लौट गए।

क्रिकेट के हर मैच में शतक लगाना आसान नहीं होता और न ही सचिन से ऐसी उम्मीद की जाती है। लेकिन कोटला टेस्ट की हड़बड़ी उन्हें लंबे समय तक याद रहेगी।

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