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AGRA: AGRA: आज व्हाट्सएप पर झूले का पिक देखकर एक बार फिर से बचपन की याद ताजा हो गई। बचपन के झूले याद आ गये। झूला झूलते समय एक दूसरे को तेजी से झोंका देना और छत तक उसे पैरों से छूना फिर जोर-जोर से खिलखिलाना। दोस्ती की सीटी का इंडीकेट मिलते ही बहाना बनाकर घर से निकल जाना। यह सारे दोस्त खो से चुके थे, लेकिन सोशल मीडिया ने पुरानी यादों को ताजा करने के साथ बिछड़े हुए दोस्तों को भी मिला दिया। रविवार को फ्रेंडशिप-डे के उपलक्ष में आई नेक्स्ट टीम ने कुछ ऐसे ही दोस्तों से बातचीत की। इनसे जाना कि कैसे वह अपनी दोस्ती को बरकरार रखे हुए हैं।

सोशल मीडिया ने करीब ला दिया

दोस्त बचपन में साथ थे, लेकिन वक्त के चलते एक दूसरे से बिछड़ गए। लेकिन फेसबुक ने एक बार फिर सभी को करीब ला दिया। अब एक-दूसरे को बिना मिले ही व्हाट्सएप पर बातें करते हैं। इस ग्रुप में बैंगलुरु की निधि, आगरा से पायल जैन, प्रतिमा भार्गव, लखनऊ से कविता श्रीवास्तव हैं। इन सभी दोस्तों को मिले एक अरसा बीत चुका है, सोशल मीडिया के सहारे दोस्ती आज भी बरकार है। रत्न मुनि जैन ग‌र्ल्स इंटर कॉलेज की प्रिंसिपल पायल जैन का कहना है कि निधि की मुझे एक-एक शरारत आज तक याद हैं। जिस स्कूल में मैं और निधी पढ़ी थीं, उसी की प्रिंसिपल बनकर बहुत अच्छा लगता है। कुछ साल पहले निधि जब आगरा आई, तो उसके साथ स्कूल का राउंड लेते वक्त हमें बचपन की दोस्ती याद आ गई। वहीं, प्रतिमा भार्गव कहती हैं कि फ्रेंड कविता और मेरा, दोनों का ही निक नेम पम्मी है। उसकी और मेरी मम्मी का नाम भी एक है। आज वह भी समाजसेवा कर रही है, मैं भी यहां पर समाजसेवा कर रही हूं।

राइजअप ग्रुप हरियाली ग्रुप

राइजअप ग्रुप के दोस्तों का उद्देश्य सिटी के हर क्षेत्र को हरा-भरा करने की चाहत है। दोस्तों का यह गु्रप अब तक लगभग पांच हजार से भी ज्यादा पौधारोपण कर चुका है। इन दोस्तों का कहना है कि बचपन से ही पर्यावरण के प्रति लगाव था। डॉ। आरएसएस भदौरिया, सतेन्द्र शुक्ला, डॉ। उपेन्द्र चौहान, डॉ। यतेन्द्र यादव, प्रेम सिंह रजावत आदि सभी मित्र मिलकर एक दूसरे का सहयोग भी करते हैं।

क्लीन एंड ग्रीन का संकल्प

इस ग्रुप को आज इंडिया राइंजिंग ग्रुप के नाम से जाना जाता है। इस ग्रुप की शुरुआत चार दोस्त सुदर्शन दुआ, प्रमोद यादव, आनंद राय, विकास सिंह से हुई। बाद में दोस्तों की टीम एक कारवां बन गई। अब तक दोस्तों की यह टीम भगवान टॉकीज, शहीद स्मारक, दीवानी की दीवार, लोहामंडी, कैलाश मंदिर, बल्केश्वर मंदिर, गुरुद्वारा सहित दो दर्जन से भी अधिक जगहों पर सेवा दे चुकी है।

स्वीट हार्ट ग्रुप, ब्लड पर कुर्बान

स्वीट हार्ट ग्रुप के मेम्बर बेशक कम उम्र के हों, लेकिन इनके काम बड़ों को भी पीछे कर देते हैं। दिन भर इस ग्रुप के दोस्त चैटिंग करते हैं। आपस में बात करने की गुडमॉर्निग से शुरुआत होती है, और गुडनाइट रात के क्ख् बजे के भी बाद होती है। इस ग्रुप के शशांक बताते हैं कि एक बार एक बच्ची को ब्लड की जरूरत थी। जब इस बात को ग्रुप में डिसकस किया गया, तो तुरंत समस्या का हल निकल आया। तब से हमने इस ग्रुप को ब्लड डोनेशन के लिए ही समर्पित कर दिया है। आज इस ग्रुप में आगरा से शशांक, शुभांक, सुप्रिया, सिमरन, इटावा से गुंजन, पूजा, जूही, गायत्री, अमरीश, पीलीभीत से पिंटू, प्रियेश हैं। ग्रुप मेंम्बर का कहना है कि हमने आज तक किसी भी कैंप में ब्लड डानेट नहीं किया। लेकिन जरूरत पड़ने पर एक घंटे में ब्लड का इंतजाम करवा दिया जाता है।