-आखिर इन बमों का लगाना कहां था? यह सोचकर परेशान है पूरा महकमा

-तकदीर अच्छी थी कि बम पूरी ताकत से नहीं डिटोनेट नहीं कर सका

- पूरा इलाका हो जाता तबाह, तीन लोगों का नाम आया सामने, नालंदा से एक गिरफ्तारी, पुलिस की पुष्टि नहीं

PATNA: आतंकी हमले झेल चुका पटना एक बार फिर दहशत में है। विस्फोटक के प्रकार और उसके विश्लेषण के बाद यह साफ हो गया कि अगर यह ठीक से विस्फोट होता, तो उस इलाके तो तबाह कर देता। यही नहीं, बरामद किए गए बमों में करीब ख्0 किलो एक्सप्लोसिव थे और ख्00 लोगों के परखच्चे तो उड़ ही सकते थे। बहादुरपुर हाउसिंग का वह ब्लॉक तो नक्शे से जरूर खत्म हो जाता। पुलिस की मानें, तो बस पूरी तरह से डिटोनेट हुआ होता तो तस्वीर अलग होती। कमरे में रखा ग्लास भी उस ब्लास्ट ने नहीं टूटा है। इससे यह अंदाज तो सहज ही लग गया कि बम की इंटेंसिटी कम थी।

कमरे में चार लोग फिर भी खून एक बूंद नहीं

उस कमरे में चार लोगों मौजूद होने की बात अबतक सामने आई है, लेकिन जांच में लगे ऑफिसर्स की मानें, तो वहां एक भी बूंद भी खून नहीं मिल पाया है। बम विस्फोट हो और वहां मौजूद आदमी जख्मी नहीं हो। इससे भी साफ हो गया कि विस्फोट ठीक से नहीं हुआ। यह पूरी शक्ति से विस्फोट हुआ होता, तो उस कमरे की छत तो उड़ ही जाती। अब सवाल यह है कि इतने शक्तिशाली बम तो न तो कोई साधारण क्रिमिनल एक्टिविटी में शामि होने वाला अपराधी रखेगा और न ही अबतक टाइमर लगाकर बम विस्फोट करने का तरीका यहां के नक्सलियों का रहा है। जिस तरह से लोटस घड़ी का इस्तेमाल टाइमर के लिए किया गया है, इससे तो साफ लगता है कि आतंकी हमले की तैयारी थी। सीनियर एसपी पटना जितेन्द्र राणा ने बताया कि अभी कुछ भी नहीं कह सकते, मगर यह तो तय है कि इतना सोफेस्टिकेटेड एक्सप्लोसिव का यूज तो कोई क्रिमिनल नहीं कर सकता। बम को कहीं से लाया गया था। एक बम तो विस्फोट किया, वह भी पता नहीं कैसे किया मगर जितना एक्सप्लोसिव था उससे तो वह पूरी बिल्डिंग तो ध्वस्त हो ही जाती। इस मामले में हेमन्त, अशोक और कुंदन का नाम आया है जो हिलसा, नालंदा के रहने वाले हैं। इसके अलावा टीम नालंदा भी भेजी गई है। एक सीनियर ऑफिसर ने बताया कि नालंदा के अलावा भी टीमें और जगह भेजी गई है। बरामद सामानों और कुछ एवीडेंस के आधार पर कुछ जगह टीमें भेजी गई हैं। वैसे यह घटना में नक्सली है या फिर आतंकी संगठन ने कुछ लड़कों की हेल्प से करवाई है इसकी पड़ताल हो रही है।

लोटस की घड़ी ही क्यों?

लोटस घड़ी के टाइमर के रूप में यूज करने को लेकर कई तरह का विश्लेषण पुलिस कर रही है। एक तो यह कि आखिर लोटस ही क्यों? किसी और कंपनी का भी लगाया जा सकता था। कहीं इसे बोध गया ब्लास्ट और पटना गांधी मैदान ब्लास्ट से जोड़ने के लिए तो नहीं? या फिर सच में आतंकी संगठन ने कुछ लड़कों का यूज कर इस तरह का काम करवाया है।

हाल में ही जारी हुए थे अलर्ट

कुछ दिनों पहले ही पटना सिटी के कई महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों के आतंकी निशाने पर होने को लेकर आईजी एके अम्बेदकर ने एक लेटर जारी किया था। खुफिया विभाग की ओर से मिली जानकारी कारी के बाद मार्च महीने में ही आईजी ने अलर्ट किया था। शीतला मंदिर, तख्त हरिमंदिर, पटना देवी, गुरू का बाग सहित सात जगहों की सिक्योरिटी टाइट करने को कहा गया था इन जगहों को आतंकी कभी भी निशाना बना सकते हैं।