- 1977 में पहली बार चुनावी सभा में बरसी थी चप्पल

- कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में जनसभा करने आए थे फिल्म स्टार

- दिलीप कुमार और जानी वाकर ने किया था संबोधित

- मेरठ की जनता ने जानी वाकर पर फेंकी थी चप्पल

- बदले में जानी वाकर ने मांगी थी दूसरी चप्पल

- जिमखाना मैदान में हो रही थी कांग्रेस की जनसभा

<- क्977 में पहली बार चुनावी सभा में बरसी थी चप्पल

- कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में जनसभा करने आए थे फिल्म स्टार

- दिलीप कुमार और जानी वाकर ने किया था संबोधित

- मेरठ की जनता ने जानी वाकर पर फेंकी थी चप्पल

- बदले में जानी वाकर ने मांगी थी दूसरी चप्पल

- जिमखाना मैदान में हो रही थी कांग्रेस की जनसभा

MeerutMeerut: चुनाव में चप्पल का अपना महत्व है। कभी प्रत्याशी की चप्पल वोटर के दर पर पहुंचते-पहुंचते घिस जाती है, कभी जीत के बाद प्रत्याशी की खोज में वोटर की चप्पल घिस कर टूट जाती है। अब चप्पल के मिजाज का दूसरा पहलू देखिए, कभी कभी चप्पल इंटरनेशनल स्तर पर भी पहुंचती है और अपनी हनक का अहसास कराती है। वर्तमान दौर में आए दिन चुनावी सभा में चप्पल चलने और फेंकने की खबर आती रहती है। लेकिन क्या आपको पता है कि मेरठ की जनता ने भी पहली बार अपनी चप्पल की ताकत का अहसास कराकर सुर्खियां बटोरी थी। बात साल क्977 की हो रही है। कांग्रेस से तीन बार सांसद रहे जनरल शहनवाज खान के पक्ष में जनसभा करने के लिए मुंबई से दिलीप कुमार और हास्य कलाकार जानी वाकर को बुलाया गया था। काफी लेट आने के कारण दोनों ही कलाकारों को जनता के गुस्से का सामना करना पड़ा और उनका स्वागत चप्पल की बरसात से किया गया।

कसमकस से भरा था चुनाव

आपात काल के बाद साल क्977 का लोकसभा चुनाव कांग्रेस के लिए काफ कसमकस से भरा था। कांग्रेस विरोध लहर का लाभ उठाने के लिए जनता दल ने पूरा जोर लगाया हुआ था। ऐसे में कांग्रेस ने भी अपने प्रत्याशियों की विजय सुनिश्चित करने के लिए तमाम प्रचार साधनों का सहारा लिया। इस चुनाव में जहां जनता दल ने अपने दिग्गज नेताओं को प्रचार में उतरा वहीं कांग्रेस ने फिल्मी कलाकारों का सहारा लिया।

सजी चुनावी सभा

जिमखाना मैदान में कांग्रेस प्रत्याशी जनरल शहनवाज खान के पक्ष में चुनावी सभा कराने के लिए इंतजाम किए गए। जनसभा से पहले सिटी के साथ देहात में भी फिल्मी कलाकारों के आने को लेकर जोरदार प्रचार किया गया। उस समय भी फिल्मी कलाकारों का क्रेज लोगों के सिर चढ़कर बोलता था। इसी क्रेज का लाभ उठाने की कोशिश कांग्रेस ने की थी। सभा के लिए मंच सजा और तमाम नेताओं ने अपने दिल की भड़ास जनता के सामने निकाली। लेकिन जनता को सिर्फ अपने फिल्मी स्टार के आने का इंतजार था।

काफी देर से आए

कांग्रेस की जनसभा में दिलीप कुमार और जानी वाकर का आना तय था। इस कारण दोनों फिल्मी कलाकारों का देखने और सुनने के लिए भीड़ भी काफी जुटी। बढ़ती भीड़ को देख कर कांग्रेस के नेता भी काफी गदगद दिखे। लेकिन कलाकारों के आने में देरी होने से भीड़ का गुस्सा बढ़ता गया। ऐसे में कांग्रेस के नेताओं ने भीड़ को संभालने का काफी प्रयास किया। खुद प्रत्याशी और तीन बार के मेरठ से सांसद रहे जनरल शहनवाज ने भी कई बार लोगों का समझाने की भरसक कोशिश की।

नहीं मानी जनता जनार्दन

दोपहर क्ख् बजे तक दोनों कलाकारों को मंच पर पहुंचना था। लेकिन दोपहर ख् बजे के बाद दोनों कलाकार जनसभा में पहुंचे। ऐसे में भीड़ का गुस्सा बढ़ गया और उनके खिलाफ नारेबाजी शुरू हो गई। लोगों को शांत करने के लिए जानी वाकर ने मंच संभाला, लेकिन भड़की भीड़ ने उनका स्वागत चप्पल की बरसात से किया।

दूसरी भी दे दो

मंच पर फेंकी गई चप्पलों को देखकर एक बार तो मौजूद नेता घबरा गए थे। लेकिन तभी जानी वाकर ने हास्य अंदाज में पब्लिक से कहा कि ' एक चप्पल क्या फेंकते हो दूसरी भी दो जानी'। जानी वाकर की बात सुनकर पब्लिक कुछ शांत हुई। इसके काफी देर बार दिलीप कुमार ने मंच संभाला। लेकिन मेरठ की पब्लिक के मिजाज से घबराए दिलीप ने मात्र तीन मिनट में ही अपनी बात कही और मंच से हट गए।

पब्लिक ने हराया

साल क्977 के चुनाव में कांग्रेस को हारने के लिए मेरठ में सोशालिस्ट पार्टी के प्रत्याशी कैलाश प्रकाश मैदान में उतरे। आपात काल के कारण कांग्रेस के खिलाफ पहले ही देश में हवा चल रही थी। ऐसे में कैलाश प्रकाश को इसका पूरा लाभ मिला और जनता ने भी उन्हें पूरा समर्थन दिया। इस चुनाव में कैलाश प्रकाश ने जनरल शहनवाज खान को पराजित किया। कैलाश प्रकाश के प्रचार के लिए पंडित जवाहर लाल नेहरू की बहन विजय लक्ष्मी पंडित, नाना देशमुख, जगजीवन राम, राजमाता सिंधिया और अरुण जेटली मेरठ आए थे।