- गांधी मैदान से पीर अली पार्क तक लगातार पांच बार ब्रेक मारने से दर्जनों गाडि़यां चपेट में आते-आते बचीं

- डीटीओ के ड्राइवर ने मारा ब्रेक, वरना लग सकती थी टक्कर

- सिटी सर्विस के मनमाने रवैये के खिलाफ कोई अभियान नहीं चलता

- हर दिन ट्रैफिक में आती है प्राब्लम, डीटीओ की ओर से भी नहीं होती जांच

PATNA: एक बजे के करीब गांधी मैदान से जंक्शन होते हुए सगुना मोड़ तक जाने वाली बस जैसे ही गांधी मैदान से खुली तो पीर अली पार्क तक उसने पांच बार गाड़ी को रोका। अचानक इमरजेंसी ब्रेक मारने से दस से अधिक गाडि़यों को रुकना पड़ता है। बस के पीछे डीटीओ दिनेश कुमार की भी गाड़ी थी। डीटीओ साहब भी मौजूद थे, किसी तरह डीटीओ उस बस के आगे निकले और फटकार लगाया। इसके बाद बस को छोड़ दिया गया। डीटीओ की दलील थी कि उसमें पैसेंजर भरे थे इसलिए रोकना ठीक नहीं था। लेकिन डीटीओ भी जानते हैं कि किस तरह सिटी सर्विस वाले सड़क पर मनमर्जी करते हैं। आगे-पीछे कौन है इसकी फिक्र तक ड्राइवर नहीं करता है। अब जरा गौर करें कि सिटी सर्विस की मनमर्जी के पीछे मौन सहमति किसकी है। दरअसल साल में एक-दो बार ही सिटी सर्विस की प्रॉपर जांच होती है। इसके अलावा रूटीन चेकअप के नाम पर कुछेक फाइन करके छोड़ दिया जाता है।

सिर्फ रूटीन चेकअप होता है

डीटीओ के जिम्मे शहर की सिटी सर्विस की जांच और चेकिंग है। लेकिन अब तक उसकी न तो जांच होती है और न ही इस पर कोई कार्रवाई। डीटीओ दिनेश कुमार ने बताया कि वो दो दिन पहले एमवीआई की टीम को इसके लिए लगाए हैं। सिटी सर्विस की वजह से एक्सीडेंट की घटना बढ़ती जा रही है। सौ से अधिक सिटी सर्विस और नगर बस सेवा पर फाइन करके एमवीआई छोड़ देते हैं। उसका खामियाजा आम पब्लिक को भुगतना पड़ रहा है। पिछले पांच दिनों में सिटी सर्विस की वजह से दो लोगों की जान गयी है। वहीं ट्रक ने एक मां और बच्चे को लील लिया है।

फिटनेस से लेकर लाइट तक सही नहीं

सिटी सर्विस और नगर बस सेवा की हालत इतनी खराब है कि आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते। कंकड़बाग जाने वाले राजीव प्रसाद ने बताया कि अंदर की सीट और उसकी बॉडी काफी खराब है, जबकि एमवीआई की लिस्ट में यह पूरी तरह से फिट है।

गाड़ी से निकल रहा काला धुआं

पॉल्यूशन की जांच तो इन गाडि़यों में कभी होती ही नहीं है। डीटीओ साहब की गाड़ी जिस बस के पीछे थी वो लगातार काला धुआं छोड़ रहा था। कहीं से नहीं लग रहा था कि उस गाड़ी की जांच हुई है। डीटीओ ऑफिस के लोग दबी जुबान में बताते हैं कि ऐसी दो दर्जन से अधिक गाड़ी है, जिसने पॉल्यूशन सर्टिफिकेट तक नहीं लिया है।