-नियंत्रण के लिए एग्रीकल्चर काउंसिल बनाने की उठी मांग

श्चड्डह्लठ्ठड्ड@द्बठ्ठद्ग3ह्ल.ष्श्र.द्बठ्ठ

क्कन्ञ्जहृन्: बिहार में सिर्फ किसान ही नहीं बल्कि कृषि की पढ़ाई और रिसर्च करने वाले भी बदहाल हो रहे हैं। इसका कारण सरकार की लचर व्यवस्था है। केन्द्र और राज्य सरकार के अधीन चल रहे एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी और कॉलेजों की गुणवत्ता गिर रही है। जबकि दूसरी ओर प्राइवेट यूनिवर्सिटी को मान्यता देकर बढ़ावा दिया जा रहा है। इसे लेकर सूचना के अधिकार के तहत इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च से सामान्य जानकारी मांगी गई। लेकिन कोई जबाव नहीं दिया गया।

नहीं मिले तीन सवालों के जवाब

पटना निवासी दिव्यांशु शेखर ने सूचना के अधिकार के तहत इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च (आईसीएआर) से तीन सवालों के जवाब मांगे थे। इसमें पहला सवाल उन्होंने पूछा कि क्या कोई भी यूनिवर्सिटी कृषि से संबंधित कोर्स शुरू कर सकता है यूजीसी से परमीशन प्राप्त कर? क्योंकि एग्रीकल्चर से संबंधित कोई संवैधानिक काउंसिल नहीं है। दूसरा, क्या यूजीसी राज्य के यूनिवर्सिटी और प्राइवेट यूनिवर्सिटी में प्रोफेशनल कोर्स को मान्यता दे सकता है। और तीसरा सवाल यह था कि, क्या यूजीसी सरकारी और प्राइवेट यूनिवर्सिटीज में एग्रीकल्चर स्टैंडर्ड की मॉनिटरिंग और सुपरविजन कर सकता है? यदि हां, तो बताएं कि यूजीसी किस एक्ट के तहत ऐसा कर सकता है? यदि नहीं, तो यह बताएं कि देश में या राज्यों में किस संस्थान के जरिए एग्रीकल्चर में क्वालिटी स्टैंडर्ड को यह चेक करना होता है? इन सभी सवालों का जवाब आईसीएआर ने सूचना उपल?ध नहीं है, यह कह कर जवाब दिया।

काउंसिल नहीं होने से मनमानी

देश में एग्रीकल्चर कॉलेज प्राइवेट सेक्टर में तेजी से खोले जा रहे हैं। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने इस बारे में विशेषज्ञ और कृषि वैज्ञानिक डॉ अवनीत कुमार से बात की। उन्होंने बताया कि जिस प्रकार से एमसीआई मेडिकल कॉलेजों को, यूजीसी यूनिवर्सिटीज को, बार काउंसिल लॉ की पढ़ाई को नियंत्रित करता है उसी तरह से देश में एग्रीकल्चर काउंसिल भी होनी चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं है। यही वजह है कि प्राइवेट कॉलेज मनमानी कर एग्रीकल्चर की पढ़ाई शुरू कर रहे हैं। आईसीएआर एक सोसाइटी है इसलिए यह एग्रीकल्चर क्वालिटी को कंट्रोल नहीं करता है।

एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में स्थिति बदहाल

बिहार में यदि एग्रीकल्चर की पढ़ाई की बात करें तो यहां की स्थिति बेहद खराब है। यहां बिहार सरकार के अधीन बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर, भागलपुर में वर्तमान में 200 से अधिक टीचिंग पोस्ट खाली है। डॉ राजेंद्र प्रसाद सेंट्रल एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, समस्तीपुर में करीब 350 से अधिक टीचिंग पोस्ट खाली है। डॉ कलाम एग्रीकल्चर कॉलेज किशनगंज में भी स्थिति टीचिंग के कई पद रिक्तपड़े हैं।

अभी आईसीएआर के डीजी सर डॉ त्रिलोचन महापात्रा छुट्टी पर हैं। मुझे इस बारे में जानकारी नहीं है। जानकारी लेने के बाद ही कुछ बता सकता हूं।

-अमित भास्कर, आईसीएआर डीजी के सचिव

आईसीएआर के प्रति लोगों का काफी भरोसा है। लेकिन बीते तीन-चार साल में इसका स्तर गिरा है। जिम्मेदारी के साथ इसे बात करनी चाहिए, जानकारी देनी चाहिए।

-अश्विनी आनंदा, ज्वॉइंट सेक्रेटरी ऑल इंडिया एग्रीकल्चरल स्टूडेंट्स एसोसिएशन