-तुलसी सियाराम कवि है और दिनकर राष्ट्रकवि

BEGUSARAI/PATNA: सिमरिया में गंगा तट पर नौ दिवसीय रामकथा के सातवें दिन व्यास पीठ से संत मोरारी बापू ने कहा कि जिस राजा की प्रजा दुखी है तो वह राजा भी दुखी है। राजा सोया रहेगा तो प्रजा जाग नहीं पाएगी। बापू ने कहा कि विश्वनाथ विश्व कवि हैं, वाल्मीकि वसुंधरा कवि, तुलसी सियाराम कवि और दिनकर राष्ट्र कवि।

राम पर विश्वास करो

उन्होंने कहा, केवल राम पर विश्वास करो। वे साहित्य सखा और मित्र हैं। सत्यव्रत रखो, मौन व्रत रखो। मैं एकादशी व्रत नहीं करता हूं, मौन व्रत करता हूं। मेरा कवच भागवत गीता, रामचरितमानस है। भागवत गीता आचार्य है तो रामचरितमानस गुरु है। मेरा पढ़ना कम, अवलोकन करना ज्यादा होता है। दिनकर की पंक्ति को उद्धत करते हुए कहा कि घातक है कि वो जो देवता सदृश्य दिखता है, लेकिन कमरे में गलत हुकुम लिखता है।

साहित्य से दूर न रहें युवा

मोरारी बापू ने कहा, समाज की बुराइयों के प्रति दिनकर का तेवर आक्रमक था। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि कवि का संग करो। साहित्य से दूर न रहो। जीवन में कोई भी समय आए, उसे सहर्ष स्वीकार करो। सात वस्तु मित्र हैं जिनमें सच्चा मित्र, धर्म, विवेक, साहस, साहित्य का श्रवण एवं सत्य है। साहित्य के दर्शन से पाप मिट जाएंगे, प्रसन्नता प्रकट हो जाएगी। इसके बाद उन्होंने भीड़ को सीता राम-सीता राम के भजन से राम भक्ति में गोते लगवाए।