-राष्ट्रपति के हाथों गोल्ड मेडल पाकर खिल उठे इंजीनियर्स के चेहरे

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क्कन्ञ्जहृन् : कठिनाइयों का पहाड़ चाहे जितना भी ऊंचा हो लेकिन जब उसे पार करने का इरादे मजबूत हो तो लक्ष्य हासिल करने से कोई नहीं रोक सकता है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआईटी) पटना के टॉपर्स ने इन बातों को सच साबित कर दिया है। इन्हीं में से एक हैं मैकेनिकल इंजीनियरिंग से बीटेक के टॉपर और प्रेसीडेंट गोल्ड मेडल से सम्मानित चितरंजन कुमार झा। गुरुवार को एनआईटी के आठवें कंवोकेशन के दौरान 735 स्टूडेंट्स में से चितरंजन को प्रेसीडेंट गोल्ड मेडल का सम्मान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों से मिला। मूलत: मधुबनी, बिहार के रहने वाले चितरंजन बेहद गरीब परिवार से हैं। पिता बैजू झा ने साइकिल पंचर की दुकान चलाकर बेटे चितरंजन को इंजीनियर बनाया। करीब 20 वर्षो तक पिता बैजू झा का कठिन परिश्रम सफल हुआ।

बड़ा इंजीनियर बनने का सपना

चितरंजन का लक्ष्य है इंडियन इंजीनियरिंग सर्विसेज की परीक्षा पास कर देश का बड़ा इंजीनियर बनना। उन्होंने कहा कि वे सब कुछ भूल सकते हैं लेकिन मां- पिता का अतुलनीय योगदान कभी नहीं भूल सकते। जहां पिता ने साइकिलों का पंचर बनाकर परिवार का खर्च चलाया। वहीं, मां ने भी हमेशा सपोर्ट किया। चितरंजन ने बताया कि प्लस टू में जब उन्हें जॉन्डिस की बीमारी हुई तब लगा कि वह फेल हो जाएंगे। इस दौरान मां ने पटना में आकर महीनों तक उनकी खूब देखभाल की। इसके बाद वह ठीक हो गए और इंटर में 97.6 परसेंट प्राप्त कर टॉप किया।

अंग्रेजी भाषा को अपनाया

इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के टॉपर विशाल वर्मा यूपी, गाजीपुर निवासी है। विशाल ने 8वीं तक हिंदी माध्यम से पढ़ाई की। नौंवी से उन्होंने अंगे्रजी मीडियम में पढ़ाई शुरू की। उन्होंने बताया कि यह लाइफ का टर्निग प्वाइंट रहा। मैंने अंग्रेजी में इंजीनियरिंग जैसी तकनीकी पढ़ाई को आसान बना लिया।

लड़कियों की स्थिति में हो सुधार

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि डिग्री प्राप्त करने वाले छात्र 18 राज्यों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। हालांकि उन्होंने चिंता व्यक्त किया कि 10 टॉपरों में मात्र एक ही बेटी है। 736 में से मात्र 96 बेटियां ही डिग्री प्राप्त करने वालों में है। मात्र 13 प्रतिशत बेटियां इंजीनियर बनी हैं। इस संख्या में सुधार लाने की जरूरत है।

एनआईटी में यह पहला मौका रहा जब देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कंवोकेशन में आकर इसकी गरिमा बढ़ाई है। हमारे लिए यह सम्मान की बात है।

-डॉ पीके जैन, डायरेक्टर, एनआईटी पटना