- तस्करी की पकड़ी गई चंदन की लकडि़यों का दूसरे दिन भी मूल्यांकन जारी

- करीब 50 करोड़ रुपए की लकड़ी हो चुका है मूल्यांकन

- हस्तिनापुर के चंदन के बाग पर भी हो सकती है जांच

Meerut : चंदन की तस्करी के मामले में अब सबसे बड़ा पेंच उस तस्कर की गिरफ्तारी पर आकर अटक गया है। जब तक उसकी गिरफ्तारी नहीं तब तक इस बात की पुष्टि नहीं हो सकेगी कि आखिर से चंदन आखिर लाया गया कहां से गया था? अब ये सभी की जुबान पर है कि आखिर ये मेरठ का 'वीरप्पन' कहा गायब हो गया। वैसे बुधवार को खरखौदा पुलिस की ओर से दिल्ली और आसपास के ठिकानों पर भी दबिश दी। लेकिन कोई सुराग नहीं मिला है। वहीं वन विभाग के अधिकारियों की ओर से चंदन का पूरा मूल्यांकन हो गया है। जिसकी कीमत 50 करोड़ रुपए बताई जा रही है।

50 करोड़ रुपए का चंदन

वन विभाग के दारोगा सुरेंद्र शर्मा, मदन सिंह आदि ने मजदूरों के साथ लकड़ी के गट्टों की गिनती और वजन का काम दूसरे दिन बुधवार देर शाम पूरा किया। वन विभाग के अधिकारियों ने लकड़ी का बाजार भाव 7000-9000 रुपये प्रति किलो बताते हुए करीब उक्त साढ़े पांच सौ कुंतल लाल चंदन की इस लकड़ी 50 करोड़ रुपये से अधिक की आंकी। पुलिस की मानें तो अब पूरे गोदाम को सील कर दिया जाएगा।

दिल्ली में दबिश

देर शाम एसओ की अगुवाई में पुलिस पार्टी का दिल्ली के पीतमपुरा समेत संभावित जगहों पर दबिश का दौर जारी रहा लेकिन सुराग नहीं लगा। दिल्ली के पीतमपुरा निवासी सुचित ¨सघल के कस्बा स्थित मोहिउद्दीनपुर रोड पर श्रीजी ¨टबर मर्चेट गोदाम पर पुलिस व वन विभाग की टीम ने दो दिवस पूर्व छापा मारकर लालचंदन की लकड़ी पकड़ी थी। जिसे हैदराबाद के गुंटूर से तस्करी कर लाया जाया बताया जा रहा है।

सवाल अब भी कायम

वहीं चंदन कहां से आई हैं? ये सवाल अब भी कायम हैं। क्योंकि हैदराबाद से मेरठ तक सड़क के रास्ते से लाना संभव नहीं है। सैंकड़ों, चेक प्वाइंट से गाड़ी को गुजरना पड़ा होगा। क्या किसी ने भी करोड़ों रुपए की चंदन की शिनाख्त नहीं की? इसलिए ये कहानी कुछ गले से नहीं उतर रही है। ऐसे में हस्तिनापुर चंदन के पेड़ों की जांच भी जांच की जा सकती है। सूत्रों की मानें तो इस मामले में जांच बिठाने पर विचार किया जा रहा है। इसमें बड़ा खेल होने की आशंका लेकर अधिकारी इस पर विचार कर रहे हैं।