एक्सीडेंट में पिता इंजर्ड हो गए। मां और भाई के डेथ हो गई। शहाना बार-बार कोच के पास जाकर मां और भाई को आवाज लगा रही थी। जब कोई नहीं सुन रहा था तो रोने लगती थी। राहत में लगे लोग उसे समझा रहे थे। सुलेमान टकटकी लगाए आसमां को देख रहे थे। उन्हें भी इस बात का शायद एहसास नहीं था कि उनकी वाइफ  और बेटा अब इस दुनिया में नहीं रहे। इस साल के रेलवे सबसे बड़े हादसे की कमान नेशनल डिजॉस्टर टीम ने संभाल ली। टीम ने राहत व बचाव कार्य शुरू कर दिया। इसके साथ ही ट्रैफिक को भी कंट्रोल किया। आर्मी का पहला हेलीकाप्टर करीब 4.30 बजे आया। सेना के दो हेलीकाप्टर ने इस बचाव कार्य में अहम रोल निभाया। सेना के सोल्जर ने इंजर्ड पैसेंजर्स को निकाल कर उन्हें एम्बुलेंस तक ले जा रहे थे.