कोल्हान यूनिवर्सिटी को स्टैबलिश हुए 3 साल हो गए। इस यूनिवर्सिटी के अंतर्गत 14 कंस्टीट्यूएंट्स और 11 एफिलिएटेड कॉलेजेज हैं। जिसमें लगभग 80 हजार स्टूडेंट्स पढ़ाई कर रहे हैं। लेकिन स्टूडेंट्स के प्रॉब्लम को यूनिवर्सिटी-कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन तक पहुंचाने का उनके पास कोई माध्यम नहीं है। अभी तक यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट्स यूनियन का फॉरमेशन तक नहीं हुआ है।

Fund का नहीं हो रहा use!
कॉलेज के डेवलपमेंट के लिए स्टूडेंट्स को मिलने वाले फंड का भी प्रॉपर यूज नहीं हो पा रहा है। गवर्नमेंट की ओर से स्टूडेंट्स को दी जाने वाली राशि का सही तरीके से यूज नहीं हो पा रहा है। ये एक बड़ा कारण है कि कोल्हान के कई कॉलेजेज में बेसिक फैसिलिटिज का अभाव है।

उभर रहे हैं कई leaders
वैसे तो यूनिवर्सिटी और कॉलेज लेवल पर कई स्टूडेंट्स यूनियन हैं और उनके कई स्टूडेंट लीडर भी हैं, लेकिन कॉलेज और यूनिवर्सिटी उन्हें ऑथोराइज्ड नहीं मानते। ऐसे में स्टूडेंट्स की समस्या का सॉल्यूशन निकालना मुश्किल हो जाता है। कई बार ऐसा हुआ है कि किसी एक समस्या को लेकर कई स्टूडेंट्स लीडर आ जाते हैं इस वजह से कॉलेज एडमिनिस्टे्रशन को समझ में नहीं आता कि किसकी बात मानी जाए।

नहीं होता है कोई प्रमाण
इस मामले में ज्यादातर कॉलेज के प्रिंसिपल और यूनिवर्सिटी के ऑफिसियल्स का कहना है कि लिंगदोह कमिटी के रिकमंडेशन के अनुसार स्टूडेंट यूनियन का इलेक्शन हो, ताकि स्टूडेंट्स का कोई ऑथराइज्ड रिप्रजेंटेटिव हो और उससे बात करके स्टूडेंट्स हित में काम किया जा सके। वर्कर्स कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ डीपी शुक्ला कहते हैं कि उनके पास कई बार स्टूडेंट्स को साथ लेकर कई शो कॉल्ड स्टूडेंट लीडर आ जाते हैं, लेकिन ऐसे में वे समझ नहीं पाते कि उन लीडर्स की बात वे किस आधार पर मानें। क्योंकि उनके पास स्टूडेंट लीडर होने का कोई प्रमाण नहीं होता।

हम लिंगदोह कमिटी के रिकमेंडेशन पर ही इलेक्शन कराने की सोच रहे हैं लेकिन अभी उसके बारे में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। पहले रांची यूनिवर्सिटी अपने यहां इलेक्शन का नोटिफिकेशन जारी करेगा उसके बाद ही हम कुछ कर पाएंगे। हम यह मानते हैं कि स्टूडेंट यूनियन का इलेक्शन नहीं होने की वजह से स्टूडेंट्स के इंटरेस्ट में काम नहीं हो पा रहा है।
- डॉ केसी डे, 
रजिस्ट्रार कोल्हान यूनिवर्सिटी