उत्तर प्रदेश के बलिया में जन्मे थे चन्द्रशेखर

चंद्रशेखर का जन्म 17 अप्रैल 1927 को उत्तरप्रदेश के बलिया जिले में इब्राहिम पट्टी गाँव के एक किसान परिवार में हुआ था। चंद्रशेखर की बचपन से ही राजनीति में गहरी रुचि थी। 1950-1951 में इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से उन्होंने राजनीति शास्त्र में स्नात्तकोत्तर डिग्री हासिल की। उसके बाद वह समाजवादी आंदोलन से जुड़ गए। चन्द्रशेखर आचार्य नरेंद्र देव से बहुत करीब से जुड़े थे। राजनीतिक प्रतिभा का धनी यह युवा तुर्क को बलिया की जिला प्रजा सोशलिस्ट पार्टी का सचिव चुना गया।

उत्तर प्रदेश से राज्य सभा सदस्य थे पूर्व प्रधानमंत्री

चंद्रशेखर ने 1955 से 1956 के दौरान उत्तर प्रदेश प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के महासचिव का पद भार भी संभाला। दस नवंबर 1990 से 21 जून 1991 के बीच उन्होंने 11वें प्रधानमंत्री के रूप में देश का नेतृत्व किया। चंद्रशेखर को 1962 में उत्तरप्रदेश से राज्यसभा के लिए चुना गया। बाद में उन्होंने 1965 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सहायता ली और 1967 में कांग्रेस संसदीय दल के महासचिव चुने गए। पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर 1962 के बाद से 1984 से 1989 के बीच के संक्षिप्त काल को छोड़कर लगातार सांसद रहे है। वर्ष 1989 में वह बलिया तथा महाराजगंज से निर्वाचित हुए थे।

आपातकाल के दौरान करनी पड़ी थी जेल यात्रा

15 जून 1975 को प्रधानमंत्री इंद्रागांधी द्वारा आपातकाल लागू होने के बाद चन्द्रशेखर को मीसा के तहत गिरफ्तार कर लिया गया। वह कांग्रेस की शीर्ष संख्या केंद्रीय निर्वाचन और कार्यकारी समिति के सदस्य थे। सत्तारूढ़ दल के गिरफ्तार होने वाले चंद नेताओं में से एक थे। चंद्रशेखर ने हमेशा शक्ति और पैसे की राजनीति को दरकिनार करके सामाजिक बदलाव और लोकतांत्रिक मूल्यों की राजनीति पर जोर दिया। आपातकाल के दौरान जेल में बिताए दिनों पर प्रकाशित उनकी पुस्तक 'मेरी जेल डायरी' सामाजिक बदलाव का जीवंत दस्तावेज है।

जयप्रकाश नरायाण से प्रभावित थे चन्द्रशेखर

सांसद के रूप में उन्होंने शोषित और वंचित तबके की आवाज को उठाया। उन्होंने सामाजिक बदलाव की नीतियों को प्राथमिकता दी। चंद्रशेखर ने 1969 में दिल्ली से प्रकाशित साप्ताहिक पत्रिका 'यंग इंडियन' की शुरुआत की। स्पष्टवादी लेखों के कारण आपातकाल के दौरान पत्रिका पर प्रतिबंध लगा दिया गया। चंद्रशेखर 1973 से 1975 के राजनीतिक उथल पुथल के दौर में लोकनायक जयप्रकाश नारायण से काफी प्रभावित थे। कांग्रेस में रहते हुए भी वे पार्टी की नीतियों के प्रबल आलोचक बन गए थे।

कन्याकुमारी से राजघाट तक की थी पैदल यात्रा

चंद्रशेखर ने दक्षिण स्थित कन्याकुमारी से दिल्ली स्थित राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की समाधि राजघाट तक पदयात्रा की। चन्द्रशेखर की इस पदयात्रा ने प्रधानमंत्री इंद्रा गांधी को कहीं ना कहीं भय खाने के मजबूर किया। उन्होंने 06 जनवरी 1983 से 25 जून 1983 के बीच 4260 किमी की पैदल यात्रा की। इस पैदाल यात्रा का उद्देश्य आम लोगों की समस्याओं को करीब से जानना और उन्हें सामने लाना था। उन्होंने केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, गुजरात, उत्तरप्रदेश तथा हरियाणा सहित देश के कई राज्यों में सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ताओं को देश की जमीनी हकीकतों और समस्याओं की पहचान तथा उसके समाधान का प्रशिक्षण देने के लिए लगभग 15 भारत यात्रा केन्द्रों की स्थापना की।

National News inextlive from India News Desk