- शासन ने संज्ञान में लिया मामला, प्रमुख सचिव ने भी कहा कि चल रहे बड़े गैंग

Meerut: फर्जी मार्कशीट और डिग्री का मामला शासन की जानकारी में भी है। इसके बावजूद फर्जी मार्कशीट व डिग्री बनाने वालों पर लगाम लगानी मुश्किल हो रही है। शासन जहां ऐसे लोगों को चिह्नित करके कार्रवाई का आश्वासन दे रहा है वहीं इन आरोपियों को पूरी तरह बेनकाब भी नहीं किया जा रहा। शनिवार को यूनिवर्सिटी में फर्जी मार्कशीट और डिग्री पकड़े जाने के मामले में आरोपी को जेल भेज दिया गया। वहीं सोमवार को यूनिवर्सिटी में मौजूद सीनियर आईएएस व सार्वजनिक उद्यम विभाग के प्रमुख सचिव ने भी इन गिरोह पर तीखे वार किए।

हाल का मामला

बीते शनिवार को गुजरात के एक युवक को यूनिवर्सिटी में फर्जी डिग्री और मार्कशीट के साथ गिरफ्तार किया गया। जो विदेश जाने के लिए ट्रांस्क्रिप्ट पर साइन कराने से यूनिवर्सिटी पहुंचा था। इस युवक को पुलिस के हवाले करते हुए इसके खिलाफ रजिस्ट्रार की ओर से मुकदमा कायम कराया गया। जिसको रविवार को जेल भेज दिया गया। इस युवक के पास बीएससी बायोटेक्नोलॉजी की तीनों साल 2008-09-10 की मार्कशीट पर रजिस्ट्रार राजकुमार के साइन थे। वहीं डिग्री पर वीसी रमेश चंद्रा के साइन थे।

चिह्नित किए जा रहे इलाके

इस मामले में शहर और आसपास के ऐसे इलाकों को चिह्नित किया जा रहा है जहां फर्जी मार्कशीट बनती हैं या फिर बनाए जाने की आशंका है। जिनमें कंकरखेड़ा, ब्रह्मापुरी, लिसाड़ी गेट व शास्त्री नगर एरिया शामिल हैं। जहां पहले भी ऐसे मामले सामने आ चुके हैं। इन इलाकों में साइबर कैफे और कंप्यूटर की शॉप पर नजरें लगी हैं। खुफिया विभाग और पुलिस भी इस मामले में निगाहें गड़ाए हुए हैं। जो ऐसे गिरोह के सरगना को खोजने में रहते हैं। जहां यूनिवर्सिटी में हाल में पकड़े गए गिरोह के सदस्यों के सरगना को पकड़ने में अभी कामयाबी हासिल नहीं हुई है।

इन्होंने कहा

जिस तरह से पूरा माफिया गिरोह काम कर रहा है उसकी जानकारी सबको होती है। फर्जी मार्कशीट व डिग्री बनाने से लेकर फर्जी इंस्टीट्यूशन पर भी सरकार की निगाहें हैं। लेकिन इनका ऊपर स्तर से कांटेक्ट होता है। जिनको पकड़ा जाना इतना आसान नहीं है। इनके खिलाफ बड़े स्तर पर कार्रवाई होगी तभी यह सब रुकेगा।

-सूर्य प्रताप सिंह

सीनियर आईएएस व प्रमुख सचिव राज्य सार्वजनिक उद्यम विभाग