संडे को एसएससी के मल्टी टास्किंग का एग्जाम था। शहर के 30 सेंटर्स पर ये एग्जाम कंडक्ट कराया गया। इन सेंटर्स में से एक भारत स्काउट गाइड इंटरमीडिएट कॉलेज सेंटर पर उस समय हड़कंप मच गया, जब दूसरे के स्थान पर एग्जाम दे रहे एक दो नहीं बल्कि तीन मुन्नाभाईयों को दबोच लिया गया। सेंटर एडमिनिस्ट्रेशन ने पकड़े गए मुन्नाभाईयों को पुलिस बुलाकर फौरन उनके हवाले कर दिया। पुलिस भी उन्हें जेल भेजकर अपनी जिम्मेदारी से मुक्ति पाने की तैयारी में है। हर बार की तरह इस बार भी कोई ये जानने की खास कोशिश में नहीं है कि आखिर हर एग्जाम में ऐसा क्यों हो रहा है?
Students का कारनामा
हैरत की बात तो ये है कि मुन्नाभाई के रूप में पकड़े गए लड़के प्रोफेशनल न होकर इंटरमीडिएट व ग्रेजुएशन की पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट हैं। पुलिस के मुताबिक दूसरे के स्थान पर एग्जाम देते पकड़े गए दो लड़के पटना के रहने वाले हैं। जिसमें से एक रवि रोशन अभी इंटरमीडिएट का स्टूडेंट है जबकि दूसरा विनोद कुमार ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद डिफरेंट कॉम्पिटिटिव एग्जाम की तैयारी कर रहा है। तीसरा लड़का राघवेन्द्र प्रसाद जौनपुर का रहने वाला है। राघवेन्द्र भी अभी इंटरमीडिएट की ही पढ़ाई कर रहा है.
दोस्ती में खा गए गच्चा
एग्जाम में हेराफेरी के इस मामले की हकीकत क्या है? ये तो पुलिस के गहन छानबीन के बाद ही मालूम होगा। लेकिन पकड़े गए तीनों मुन्नाभाई फिलहाल खुद को दोस्ती में गुनाह कर बैठे की दलील दे रहे हैं। रवि ने बताया कि वह अनुज चन्द्रा नाम के एक लड़के की जगह एग्जाम दे रहा था, जो उसका दोस्त है और उसने इसके लिए उसे दो हजार रुपए भी दिए हैं। एग्जाम देने वह संडे की सुबह ही यहां पहुंचा है। एग्जाम के बाद तीन हजार रुपए उसे और मिलते। रवि की मानें तो उसे नहीं पता था कि वह ऐसे फंस जाएगा। विनोद का भी कुछ ऐसा ही कहना है। विनोद ने बताया कि वह अपने दोस्त के कहने पर राजेश नाम के एक लड़के की जगह एग्जाम देने के लिए तैयार हुआ। इसके लिए उसे भी तीन हजार रुपए मिले हैं। जौनपुर के रहने वाले राघवेन्द्र के मुताबिक वह भी एक दिन में तीन हजार रुपए पाने की लालच में एक दोस्त का कहना मान बैठा.
यहां लग गया question mark
पकड़े गए मुन्नाभाईयों की दलील पर राघवेन्द्र की ओर से किए गए एक खुलासे ने क्वेश्चन मार्क लगा दिया है। राघवेन्द्र के मुताबिक उसके एक दोस्त ने लखन नाम के लड़के से उसकी मुलाकात कराई थी। दूसरे के स्थान पर एग्जाम देने की प्लानिंग लखन ने ही बनाई थी। राघवेन्द्र के मुताबिक उसे लगता है कि ये सारी सेटिंग लखन की ओर से ही की गई है। हालांकि वह लखन के बारे में इससे अधिक जानकारी नहीं दे सका। लखन के साथ और कितने लड़के हैं। लखन कहां का रहने वाला है और क्या करता है? इसके अलावा किस-किस सेंटर पर इस तरह की सेटिंग की है? जैसी जानकारी उससे नहीं मिल सकी। राघवेन्द्र ने इन सब के बारे में अनभिज्ञता जताई है। इसके आगे वह केवल इतना बता सका कि एडमिट कार्ड पर भी लखन की ही फोटो लगी थी। इसी चक्कर में वह पकड़ा गया। फिलहाल इस मामले में कर्नलगंज पुलिस ने चुप्पी साध ली है। सब इंस्पेक्टर संतोष अवस्थी ने बताया कि तीनों लड़कों को अरेस्ट कर लिया गया है। उनसे पूछताछ की जा रही है.
गैंग की ही है planning
क्या सिटी के अन्य दूसरे सेंटर्स पर भी दूसरे के स्थान पर एग्जाम दिया जा रहा है? क्या इसका कोई मास्टर माइंड है? जैसे अन्य सवालों पर पकड़े गए मुन्नाभाईयों ने चुप हो गए। पुलिस हिरासत में फंसे तीन लड़कों ने मीडिया के सामने अपनी गलती तो स्वीकार कर ली। लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि उनके साथ कितने लोग शामिल हैं? इसके अलावा वे इस बात से भी अंजान बने रहे कि इस गैंग का मास्टर माइंड यानी मुखिया कौन है? जो इस तरह का फर्जीवाड़ा करने में जुटा है। इन क्वेश्चन का जवाब न मिलना और बीते दिनों हुए ज्यादातर एग्जाम में पकड़े गए मुन्नाभाई व पेपर लीकेज के मामले इस बात को बयां करने के लिए काफी है कि ये सब किसी एक बड़े गैंग का कारनामा है, जो पुलिस की आंखों में धूल झोंककर हर एग्जाम में सक्रिय है। पुलिस भी इस गैंग का खुलासा कर पाने में भी सफल नहीं दिख रही है.
जेल भेजने तक सीमित है कार्रवाई
संडे को एसएससी के मल्टी टास्किंग का एग्जाम था। शहर के 30 सेंटर्स पर ये एग्जाम कंडक्ट कराया गया। इन सेंटर्स में से एक भारत स्काउट गाइड इंटरमीडिएट कॉलेज सेंटर पर उस समय हड़कंप मच गया, जब दूसरे के स्थान पर एग्जाम दे रहे एक दो नहीं बल्कि तीन मुन्नाभाईयों को दबोच लिया गया। सेंटर एडमिनिस्ट्रेशन ने पकड़े गए मुन्नाभाईयों को पुलिस बुलाकर फौरन उनके हवाले कर दिया। पुलिस भी उन्हें जेल भेजकर अपनी जिम्मेदारी से मुक्ति पाने की तैयारी में है। हर बार की तरह इस बार भी कोई ये जानने की खास कोशिश में नहीं है कि आखिर हर एग्जाम में ऐसा क्यों हो रहा है?
Students का कारनामा
हैरत की बात तो ये है कि मुन्नाभाई के रूप में पकड़े गए लड़के प्रोफेशनल न होकर इंटरमीडिएट व ग्रेजुएशन की पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट हैं। पुलिस के मुताबिक दूसरे के स्थान पर एग्जाम देते पकड़े गए दो लड़के पटना के रहने वाले हैं। जिसमें से एक रवि रोशन अभी इंटरमीडिएट का स्टूडेंट है जबकि दूसरा विनोद कुमार ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद डिफरेंट कॉम्पिटिटिव एग्जाम की तैयारी कर रहा है। तीसरा लड़का राघवेन्द्र प्रसाद जौनपुर का रहने वाला है। राघवेन्द्र भी अभी इंटरमीडिएट की ही पढ़ाई कर रहा है.
दोस्ती में खा गए गच्चा
एग्जाम में हेराफेरी के इस मामले की हकीकत क्या है? ये तो पुलिस के गहन छानबीन के बाद ही मालूम होगा। लेकिन पकड़े गए तीनों मुन्नाभाई फिलहाल खुद को दोस्ती में गुनाह कर बैठे की दलील दे रहे हैं। रवि ने बताया कि वह अनुज चन्द्रा नाम के एक लड़के की जगह एग्जाम दे रहा था, जो उसका दोस्त है और उसने इसके लिए उसे दो हजार रुपए भी दिए हैं। एग्जाम देने वह संडे की सुबह ही यहां पहुंचा है। एग्जाम के बाद तीन हजार रुपए उसे और मिलते। रवि की मानें तो उसे नहीं पता था कि वह ऐसे फंस जाएगा। विनोद का भी कुछ ऐसा ही कहना है। विनोद ने बताया कि वह अपने दोस्त के कहने पर राजेश नाम के एक लड़के की जगह एग्जाम देने के लिए तैयार हुआ। इसके लिए उसे भी तीन हजार रुपए मिले हैं। जौनपुर के रहने वाले राघवेन्द्र के मुताबिक वह भी एक दिन में तीन हजार रुपए पाने की लालच में एक दोस्त का कहना मान बैठा।
यहां लग गया question mark
पकड़े गए मुन्नाभाईयों की दलील पर राघवेन्द्र की ओर से किए गए एक खुलासे ने क्वेश्चन मार्क लगा दिया है। राघवेन्द्र के मुताबिक उसके एक दोस्त ने लखन नाम के लड़के से उसकी मुलाकात कराई थी। दूसरे के स्थान पर एग्जाम देने की प्लानिंग लखन ने ही बनाई थी। राघवेन्द्र के मुताबिक उसे लगता है कि ये सारी सेटिंग लखन की ओर से ही की गई है। हालांकि वह लखन के बारे में इससे अधिक जानकारी नहीं दे सका। लखन के साथ और कितने लड़के हैं। लखन कहां का रहने वाला है और क्या करता है? इसके अलावा किस-किस सेंटर पर इस तरह की सेटिंग की है? जैसी जानकारी उससे नहीं मिल सकी। राघवेन्द्र ने इन सब के बारे में अनभिज्ञता जताई है। इसके आगे वह केवल इतना बता सका कि एडमिट कार्ड पर भी लखन की ही फोटो लगी थी। इसी चक्कर में वह पकड़ा गया। फिलहाल इस मामले में कर्नलगंज पुलिस ने चुप्पी साध ली है। सब इंस्पेक्टर संतोष अवस्थी ने बताया कि तीनों लड़कों को अरेस्ट कर लिया गया है। उनसे पूछताछ की जा रही है.
गैंग की ही है planning
क्या सिटी के अन्य दूसरे सेंटर्स पर भी दूसरे के स्थान पर एग्जाम दिया जा रहा है? क्या इसका कोई मास्टर माइंड है? जैसे अन्य सवालों पर पकड़े गए मुन्नाभाईयों ने चुप हो गए। पुलिस हिरासत में फंसे तीन लड़कों ने मीडिया के सामने अपनी गलती तो स्वीकार कर ली। लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि उनके साथ कितने लोग शामिल हैं? इसके अलावा वे इस बात से भी अंजान बने रहे कि इस गैंग का मास्टर माइंड यानी मुखिया कौन है? जो इस तरह का फर्जीवाड़ा करने में जुटा है। इन क्वेश्चन का जवाब न मिलना और बीते दिनों हुए ज्यादातर एग्जाम में पकड़े गए मुन्नाभाई व पेपर लीकेज के मामले इस बात को बयां करने के लिए काफी है कि ये सब किसी एक बड़े गैंग का कारनामा है, जो पुलिस की आंखों में धूल झोंककर हर एग्जाम में सक्रिय है। पुलिस भी इस गैंग का खुलासा कर पाने में भी सफल नहीं दिख रही है।
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