सैटरडे को चक्रधरपुर रेलवे डिवीजन के डीआरएम अचल खरे के पर्सनल सेक्रेटरी (पीएस) के ऑफिस में आग लग गई थी। इसकी वजह शॉर्ट-सर्किट बताई गई। इस खबर के बाद आई नेक्स्ट ने टाटानगर रेलवे स्टेशन पर फायर सेफ्टी का हाल जानने की कोशिश की। फायर सेफ्टी को लेकर स्टेशन के हालात अलार्मिंग दिखे। पार्सल ऑफिस, आरएमएस, रिजर्वेशन सेंटर, जेनरल टिकट काउंटर्स और दूसरे ऑफिसेज में फायर सेफ्टी का प्रॉपर अरेंजमेंट नहीं है। ऊपरवाला न करे कि ऐसा हो, लेकिन कभी कुछ अनहोनी हो जाए तो फिर क्या होगा? सवाल यह भी है कि दुर्घटना का जिम्मेदार कौन होगा? इसका जवाब किसी के पास नहीं है।

काफी है एक चिंगारी
टाटानगर रेलवे स्टेशन पर स्थित रेलवे मैसेंजर सर्विस (आरएमएस) ऑफिस में फायर सेफ्टी की कोई व्यवस्था नहीं है। इसके नाम पर पिछले 6 साल से एक फायर एक्सटिंग्युशर टंगा है, जिसकी रिफिलिंग एक बार भी नहीं हुई। सो, हमारे और आपके हजारों इंपॉर्टेंट लेटर्स, जो हम पोस्टल डिपार्टमेंट पर विश्वास करके भेजते हैं उन्हें खाक करने के लिए एक चिंगारी भर काफी है।
आरएमएस ऑफिस के अंदर इलेक्ट्रिक वायरिंग की स्थिति इतनी जर्जर है कि वहां कभी भी शॉर्ट-सर्किट होने की संभावना बनी रहती है। आश्चर्य तो यह है कि पोस्टल डिपार्टमेंट के हायर ऑफिसियल को इसकी जानकारी पहले भी दी जा चुकी है, लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ा। रेलवे डिपार्टमेंट ने यह कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया कि यह उनकी जिम्मेवारी नहीं।

कुछ भी सेफ नहीं
स्टेशन पर स्थित पार्सल रूम और रिजर्वेशन सेंटर भी सेफ नहीं है। पार्सल रूम में डेली 6-7 सौ बैग आते हैं, लेकिन फायर सेफ्टी के लिए सिर्फ एक फायर एक्स्टींग्युशर लगा है। उसकी भी समय पर रीफिलिंग नहीं होती। रिजर्वेशन सेंटर पर 6 काउंटर पर काम होता है। डेली 3 से 4 हजार लोग यहां आते हैं। सीआरएस ऑफिस के एक स्टॉफ ने बताया कि वहां दो फायर एक्स्टींग्युशर लगे हैं, लेकिन उसको ऑपरेट करना किसी को नहीं आता। जेनरल टिकट काउंटर पर डेली हजारों लोग आते हैं, लेकिन वहां भी फायर सेफ्टी की कोई प्रॉपर व्यवस्था नहीं है।

तब तक सब कुछ खाक
टाटानगर रेलवे स्टेशन पर स्थित आरएमएस ऑफिस में डेली 18 हजार के लगभग लेटर्स आते हैं। इनमें 6 हजार जेनरल लेटर्स, 9 हजार स्पीड पोस्ट और 3 हजार रजिस्ट्री शामिल हैं। ये सारे लेटर्स लगभग 2 हजार बैग्स में होते हैं। इसके अलावा काफी संख्या में पार्सल भी होते हैं। रेलवे पार्सल ऑफिस में भी डेली 6-7 सौ बैग्स की हैंडलिंग होती है। इन जगहों पर फायर सेफ्टी को लेकर कोई प्रॉपर व्यवस्था नहीं है। रिजर्वेशन सेंटर, जेनरल टिकट काउंटर्स और पूरे स्टेशन की बात की जाए तो डेली 40-45 हजार लोग यहां आते हैं। स्टेशन पर आग की कोई घटना होने पर गोलमुरी से फायर ब्रिगेड की गाड़ी आएगी और इसको स्टेशन पहुंचने में कम से कम 30-35
मिनट लगेंगे।

आरएमएस में फायर सेफ्टी का मामला तो पोस्टल डिपार्टमेंट का है। जहां तक टाटानगर स्टेशन पर ओवरऑल फायर सेफ्टी का सवाल है, मैं पता करता हूं। कमी होगी तो उसे दूर किया जाएगा।
- बी पांडा, एडीआरएम
 सीकेपी रेलवे डिवीजन