रोड पर भरते हैं फर्राटा
सिटी के किसी भी पब्लिक स्कूल पर छुïट्टी के समय आप नजर दौड़ा सकते हैं। स्कूल ड्रेस में नाबालिग आपको हाई स्पीड बाइक पर फर्राटा भरते नजर आ जाएंगे। इन बच्चों के लिए यह सिर्फ उनका पैशन है जबकि उनका यह पैशन कभी भी उनके पैरेंट्स को जिंदगी भर का दर्द दे सकता है। सिटी में हर साल सैकड़ों एक्सीडेंट होते हैं जिसमें बड़ी संख्या में नाबालिग गाड़ी चलाने वालों की होती है। हादसे में न केवल वह घायल होते हैं बल्कि सामने वाले को भी तकलीफ देते हैं। पुलिस भी उन्हें स्टूडेंट समझ कर सिर्फ हिदायत देकर छोड़ देती है।

30 प्रतिशत बच्चे तोड़ रहे नियम-
आई नेक्स्ट ने स्कूली बच्चों के नियम तोड़ने के इस गेम को जानने के लिए एक सप्ताह तक स्कूलों पर निगाह रखी। सिटी के कुछ पापुलर स्कूलों में हर दिन स्कूल की छुट्टी के बाद जब बाइक, स्कूटर और स्कूटी के नंबर काउंट किए गए तो मामला चौंकाने वाला था। इन स्कूलों में 30 प्रतिशत छोटे बच्चे बाइक से स्कूल आते हैं।

आखिर कौन है जिम्मेदार
स्कूल मैनेजमेंट हो, ट्रैफिक डिपार्टमेंट हो यहा फिर आरटीओ इसके लिए पैरेंट्स को जिम्मेदार ठहरा कर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर लेते हंै। अब सवाल यह उठता है कि क्या उनकी इस मामले में कोई जिम्मेदारी नहीं है? जबकि ऐसे बहुत से स्कूल हैं जहां स्कूल मैनेजमेंट अपने स्कूल में स्टूडेंट्स के गाड़ी यूज करने पर पूरी तरह से पाबंदी लगा रखी है। इसके लिए वह पैैरेंट्स मीटिंग में पैरेंट्स को भी अवेयर करते हंै। तो क्या यह रोक सिर्फ पैरेंट्स मीटिंग तक ही सीमित है?

गियर बाइक को स्कूल में बैन कर देना चाहिए। पैरेंट्स बच्चों को बाइक देकर उनकी जिंदगी से खिलवाड़ करते हैं। बड़े बच्चों के लिए बिना गियर वाली गाड़ियों की छूट है लेकिन इसके लिए उन्हें परमिशन लेनी चाहिए। स्कूल मैनेजमेंट को भी स्टैण्ड पर चेक करना चाहिए कि कहीं बच्चे बिना लाइसेंस के ही बाइक लेकर तो नहीं आ रहे हैं। बिना गियर वाली गाड़ियों में भी हेलमेट जरूर लगाएं। इसके लिए स्कूल मैनेजमेंट और पैरेंट्स दोनों की जिम्मेदारी है।
कृष्ण कुमार मिश्रा, मॉडर्न हेरीटेज एकेडमी

गियर वाली गाड़ियों पर तो पहले से बैन है। पिछले सेशन में इसके लिए एक्शन भी लिया गया था। इस बार भी पैरेंट्स मीटिंग में इस प्वाइंट पर भी चर्चा की जाएगी। स्टूडेंट के घर की दूरी के आधार पर ही उन्हें बिना गियर वाली गाड़ी की परमिशन दी जा सकती है। बिना गियर वाली गाड़ी में भी हेलमेट कम्पलसरी होना चाहिए। पिछले सेशन में कुछ पैैरेंट्स ने रोक पर विरोध भी किया था लेकिन रूल्स को फालो कराया गया।
सृंजन मिश्रा, सेंट्रल एकेडमी

स्कूली बच्चों को गियर वाली बाइक लाना बिल्कुल गलत है। इंटर तक के बच्चे जिनकी उम्र 18 वर्ष है, अगर वह स्कूल बाइक से आते हैं तो उन्हें ड्राइविंग लाइसेंस की फोटो कापी स्कूल में जमा करनी पड़ेगी। इसके लिए स्कूल मैनेजमेंट एक कार्ड इशू करेगा जिसे स्टूडेंट को अपने पास रखना होगा। बिना गियर वाली गाड़ी लाने वाले स्टूडेंट को सेफ्टी गार्ड के साथ ही स्कूल में इंट्री मिलेगा।
एच.ए। डाईसन, डाईसन पब्लिक स्कूल

लाइसेंस या बिना गियर वाली गाड़ी भी स्कूल लेकर जाने पर बैन होना चाहिए। उसके पीछे रीजन है कि बच्चे बिजी शेड्यूल के चलते फिजिकल एक्टिविटी में ज्यादा हिस्सा नहीं ले पाते हैं। साइकिल से स्कूल आने-जाने में कम से कम वे फिजिकल एक्टिव हो सकेंगे। उनका ब्लड सर्कुलेशन होता रहेगा और बच्चों की हेल्थ भी बनेगी। उनके सोचने समझने की शक्ति भी तीव्र होगी। पैैरेंट्स मीटिंग मे बच्चों के साइकिल से आने के लिए पैरेंट्स से स्पेशली कहा जाता है।
डॉ। मीना अंधमी, डिवाइन पब्लिक स्कूल

इस सेशन में स्कूल मैनेजमेंट से दो बार मीटिंग कर उन्हें स्कूली बच्चों के गाड़ी यूज करने की गाइड लाइन दी गई है। उन्हें बताया गया है कि बच्चों को बाइक से स्कूल आने पर रोक लगाएं। स्कूल पैरेंट्स मीटिंग में पैरेंट्स को अवेयर करें। समय-समय पर स्कूल ड्रेस में स्कूली बच्चों की गाड़ियों को भी चेक किया जाता है और ड्राइविंग लाइसेंस न होने पर गाड़ी सीज की कार्रवाई भी की जाती रही है। कोर्ट का आदेश है कि स्कूली बच्चे (नाबालिग) बिना गियर वाली गाड़ी यूज कर सकते हंै लेकिन उसकी आड़ में पैरेंट्स गियर वाली हाई स्पीड बाइक बच्चों को दे रहे हंै जो कि पूरी तरह गलत है।
रमाकांत प्रसाद, एसपी ट्रैफिक

गियर वाले लाइसेंस की उम्र 18 साल पूरी करने के बाद होती है और बिना गियर वाले लाइसेंस की उम्र 16 साल पूरी करने के बाद होती है। मोटर व्हीकल एक्ट के तहत इस उम्र से कम लोगों का किसी तरह की गाड़ी चलाना कानूनन गलत है। स्कूली बच्चों द्वारा गाड़ी यूज करने के लिए पहले पैरेंट्स और फिर स्कूल मैनेजमेंट दोनों जिम्मेदार हैं। आरटीओ और ट्रैफिक डिपार्टमेंट को भी समय-समय पर अभियान चला कर कार्रवाई के साथ पब्लिक को जागरुक करने की जरूरत है। दंड से पहले जागरुक करना आवश्यक है।
निर्मल प्रसाद, आरटीओ

 

report by : mayank.srivastava@inext.co.in