- विधानसभा में तो किया था वोट, अबकी कैसे वोटर लिस्ट से गायब हो गया नाम

-वोटर आईडी कार्ड लेकर घूमते रहे, लेकिन नहीं कर रहे मतदान

ALLAHABAD: अरे ये क्या, वोटर लिस्ट में मेरा नाम नहीं है। ऐसा क्यों? मेरा नाम राजेश कुमार है, ख्0क्ख् के विधानसभा चुनाव में तो मैने वोट डाला था। मेरा नाम अशोक सिंह है, इस वोटर लिस्ट में मेरा नाम क्यों नहीं है, जबकि मेरे पास तो वोटर आईडी कार्ड भी है। मेरे पास भी मतदाता पहचान पत्र है, लेकिन वोटर लिस्ट तो कहती है कि मैं मतदाता ही नहीं हूं। इस तरह की शिकायत करने वाले राजेश, अशोक और अतुल गुप्ता अकेले नहीं थे। लूकरगंज निवासी तारा सोनकर, गुड्डी सोनकर, पुराना कटरा निवासी जोगेंद्र के अलावा बीएचएस, सेंट एंथोनी कॉलेज, मेरी लूकस, मेरी वाना मेकर, बिशप जॉनसन और अग्रसेन इंटर कॉलेज पोलिंग स्टेशन पर ऐसे ही सैकड़ों लोग मिले। उनके नाम वोटर लिस्ट में नहीं थे, जबकि ज्यादातर लोगों के पास वोटर आईडी कार्ड था। परिवार के कुछ सदस्यों का नाम था, लेकिन उनका नहीं। इस तरह की गड़बड़ी केवल शहर में नहीं बल्कि रूरल एरियाज में में भी हुई। अब ये गड़बड़ी है, या फिर वोट काटने की साजिश ये तो जांच के बाद ही पता चलेगा। लेकिन सवाल यह उठता है कि इस गड़बड़ी के लिए प्रथम दृष्टया गुनहगार कौन है?

नाम न होने पर जताया विरोध

नूरुल्लाह रोड स्थित मजीदिया इस्लामिया इंटर कॉलेज में बने पोलिंग बूथ पर उस समय हंगामे की स्थिति उत्पन्न हो गई, जब सैकड़ों मतदाताओं का नाम वोटर लिस्ट में था ही नहीं। हाथ में मतदाता पहचान पत्र होने के बाद भी लिस्ट में नाम न होने पर लोगों का आक्रोश भड़क उठा। विरोध जताते हुए हंगामा किया। लेकिन हंगामे का कोई असर नहीं पड़ा, आखिरकार सैकड़ों लोग वोट डालने से वंचित रह गए।

कहीं ये साजिश तो नहीं

जिस तरह से लोगों के नाम वोटर लिस्ट से गायब हुए हैं, उससे तो यही लगता है कि यह एक साजिश है। मतदान में भाग लेने वालों के खिलाफ। हजारों मतदाताओं को उनके मौलिक अधिकार से वंचित करने की। जो लोग इस बार मतदान करने के अधिकार से वंचित हुए हैं, उनमें से ज्यादातर ने पिछले विधानसभा चुनाव में वोट डाला था। वास्तव में वोटों की घुसपैठ काफी पहले से ही चालू हो जाती है। संभावित उम्मीदवार अपने-अपने चुनाव कार्यालयों में वोटर लिस्ट में छेड़छाड़ करते हैं।

इस गलती के लिए क्या है सजा

निर्वाचन आयोग ने चुनाव के दौरान होने वाली हर अनियमितता के लिए सजा तय की हुई है। चाहे आचार संहिता का उल्लंघन हो या और कोई बात, लेकिन कहीं पर भी इस बात का जिक्र नहीं किया गया है कि वोटर लिस्ट में से नाम गायब होने पर किसे और क्या सजा दी जानी चाहिए।

क्या ऐसे होती है तैयारी

ख्0क्ख् में विधानसभा चुनाव हुए थे। वोटर लिस्ट अपडेट हुई थी। विधानसभा चुनाव के बाद नगर निगम चुनाव के लिए वोटर कार्ड बनाए गए, लोकसभा चुनाव के लिए वोटर लिस्ट तैयार करने और वोटरों को जोड़ने का काम ख्0क्फ् से ही शुरू हो गया था। जो अभी कुछ दिनों पहले तक चलता रहा। सैकड़ों कर्मचारियों, शिक्षकों आदि की डयूटी लगाई गई। लेकिन सारी तैयारी फेल रही। लास्ट टाइम पर हजारों लोगों को धोखा मिला।

बगैर प्रोसीजर के कैसे कट गया नाम

नया वोटर बनने के लिए फार्म-म् का इस्तेमाल किया जाता है। इससे वोटर का नाम लिस्ट में शामिल होता है। अगर किसी वोटर का पता बदला है, तो दूसरी जगह वोटर लिस्ट में नाम दर्ज कराने के लिए फार्म-7 भरवाया जाता है। किसी की मृत्यु होने पर फार्म-7 का ही इस्तेमाल होता है। नाम काटने और वोटर लिस्ट से नाम गायब करने का कोई प्रोसीजर नहीं है। जिन लोगों का नाम गायब हुआ है, उन्होंने किसी तरह का फार्म नहीं भरा है, फिर भी नाम गायब है। ऐसा क्यों।