-ऑटो और विक्रम में नियमों को ताक पर रखकर ढोए जा रहे बच्चे

- बच्चों की सुरक्षा को लेकर संबंधित विभाग नहीं गंभीर

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DEHRADUN : आयुष्मान की मौत का जिम्मेदार कौन? इसका जवाब किसी के पास नहीं है। न तो परिजन विक्रम चालक को दोषी मानते हैं और न ही पुलिस इसके लिए किसी को दोषी ठहरा रही है। इसे महज एक हादसा माना जा रहा है, लेकिन आयुष्मान की मौत ने सवाल जरूर पैदा कर दिए हैं कि क्या विक्रम और ऑटो में बच्चों को स्कूल भेजना सेफ है?

भेड़-बकरी की तरह ढोए जा रहे बच्चे

दरअसल, स्कूलिंग के लिए फेमस दून में हजारों बच्चे पढ़ रहे हैं, जिसमें से कुछ ही स्कूल बस और कैब में आते जाते हैं। शेष को छोड़ने का काम ऑटो व विक्रम से हो रहा है, जिसके एवज में विक्रम और ऑटो चालक प्रतिमाह मोटी रकम भी परिजनों से वसूलते हैं, लेकिन जिस तरह से इनमें बच्चों को ऑटो व विक्रमों में स्कूल छोड़ा व घर लाया जाता है वह चौंकाने वाला है। सात सीटर विक्रम में क्भ्-ख्0 बच्चों को ढोया जाता है। इसी तरह ऑटो में भी नियमों को ताक पर बच्चों को ठूंस-ठूंस कर स्कूल छोड़ने व घर लाने का काम किया जाता है, लेकिन इस तरफ कोई ध्यान देने वाला नहीं है।

उठ रहे ैं सवाल?

- बच्चों के लिए सेफ नहीं ऑटो-विक्रम

- चालक नहीं रखते बच्चों का ध्यान

- विक्रम और ऑटो में नहीं हैं सुरक्षा के इंतजाम

- बच्चों की सुरक्षा के लिए नहीं रहता परिचालक

- भेड़ बकरी की तरफ ढोते हैं बच्चों को

- नियमों को ताक पर रख सड़क पर दौड़ाते हैं विक्रम और ऑटो

- आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए नहीं होती फ‌र्स्ट एड किट

- विक्रम चालकों का नहीं किया जाता है सत्यापन