Rules नहीं हो रहा है follow
स्कूल वैन व ऑटो में बच्चों की सिक्योरिटी को लेकर कई बार सवाल उठ चुके हैं, लेकिन इसका कोई हल नहीं निकल सका है। जब भी सिटिंग कैपिसिटी पर बच्चों को बैठाने की बात होती है तो वैन व ऑटो ड्राइवर भाड़ा बढ़ाने की बात करने लगते हैं और कुछ दिनों बाद भाड़ा बढ़ा भी देते हैैं, लेकिन सिटिंग कैपिसिटी की बात को दरकिनार कर दिया जाता है।

स्कूल के पास नहीं होता proper traffic arrangement
ओवरलोड होने के कारण वैन ड्राइवर सही ढंग से ड्राइव नहीं कर पाता और एक्सीडेंट की घटनाएं हो जाती हैं। जहां तक ट्रैफिक की बात है तो कुछ स्कूल्स को छोडक़र छुïट्टी के वक्त ट्रैफिक व्यवस्था पर भी नजर नहीं रखी जाती है। किसी स्कूल के पास शायद ही ट्रैफिक पुलिस का कोई जवान दिखायी पड़ता है।

नहीं होता है ठोस एक्शन
इस तरह की घटना के सामने आने के बाद पुलिस और एडमिनिस्ट्रेशन एक-दो दिनों के लिए तो सीरियस होता है, लेकिन इस मामले में कोई ठोस एक्शन नहीं हो पाता। इसका एक कारण है स्कूल वैन व आटो एसोसिएशन का अडिय़ल रवैया। इस मुद्दे पर दोनों एकजूट हो जाते हैैं और आंदोलन की बात करने लगते हैैं। इस कारण जो मामला जोर-शोर से उठता है वह उतनी ही जोर-शोर से दब भी जाता है।

Unauthorise हैं कई school van
सिटी में कई स्कूल वैन दौड़ रहे हैं, जिनका न तो कॉमर्शियल सर्टिफिकेट है और न ही फिटनेस सर्टिफिकेट। ट्रैफिक डीएसपी राकेश मोहन सिन्हा कहते हैैं कि सिटी में मैक्सिमम स्कूल वैन अन-ऑथराइज्ड हैं।

चलती auto से गिर गया था बच्चा
पिछले साल जुबिली पार्क गेट के पास स्कूली बच्चों से भरे एक ऑटो से एक बच्चा गिर गया था, लेकिन ड्राइवर को इसकी भनक तक नहीं लगी। वह काफी दूर तक चला
गया था। बाद में पीछे से बाइक सवार लोगों ने उसे रुकवाया।

Follow नहीं हो रहा है 11 व 13
लास्ट इयर स्कूल वैन व ऑटो ड्राइवर्स के साथ ट्रैफिक पुलिस की एक मीटिंग हुई थी। उसमें भी वैन व ऑटो ड्राइवर्स ने सीटिंग कैपिसिटी बढ़वा ली थी। उस वक्त तय हुआ ता कि ऑटो में 11 व वैन में 13 और मैक्सिमम 15 बच्चों को बैठाना तय हुआ था। लेकिन फिलहाल सिटी में इस रूल को फॉलो नहीं किया जा रहा है.  स्कूल वैन और ऑटो में सिटिंग कैपिसिटी ओनर बुक में दी गई है। इसे एज ग्र्रुप के हिसाब से डिफाइन किया गया है। ट्रैफिक डीएसपी कहते हैैं कि इसे लेकर मीटिंग हुई थी, लेकिन उस वक्त वे यहां नहीं थे। उन्होंने कहा कि इस मामले को लेकर वे ट्रांसपोर्ट सेक्रेटरी से बात करेंगे। इसके बाद मामले में आगे की कार्रवाई की जाएगी।

बच्चों की सेफ्टी पर किसी का ध्यान नहींहै। एडमिनिस्ट्रेशन और  स्कूल मैनेजमेंट एक-दूसरे पर पल्ला झाड़ते हैं।
डॉ उमेश कुमार प्रेसिडेंट, जमशेदपुर अभिभावक संघ