लाइव-1: नेहरू पार्क बना जुआ अड्डा

चाचा जवाहर लाल नेहरू सन 1940 में गोरखपुर आए थे और उन्हें यहां से अंग्रेजी हुकूमत ने गिरफ्तार किया था। उनकी इसी याद को बनाए रखने के लिए 90 के दशक में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह ने चाचा नेहरू के नाम पर एक पार्क बनाया। लालडिग्गी स्थित इस पार्क को इस उद्देश्य के साथ बनाया गया था कि यहां पर्यटक आएंगे और प्रकृति का आनंद लेंगे। लाखों रुपए के पेड़ लगाकर इसे हरा-भरा बनाया गया था। जैसे जैसे समय बीता पार्क की पापुलरिटी भी बढ़ी। एक समय आया कि यह प्रशासन के लिए कमाई का जरिया भी बन गया, लेकिन अव्यवस्थाओं और लापरवाही के चलते आज यह केवल जुआ का अड्डा बनकर रह गया है। आई नेक्स्ट टीम जब यहां पहुंची तो पार्क में अलग-अलग 15 टीमें ताश के पत्तों के साथ बैठकर जुआ खेल रही थी। इक्के-दुक्के घूमने वाले भी पार्क में बैठे मिले, लेकिन हरियाली के नाम पर कुछ भी देखने को नहीं मिला। पूछने पर वहां के एक कर्मचारी ने बताया कि जुआरियों के कारण यहां लोगों ने आना बंद कर दिया है, जिसके कारण पार्क भी बदहाल होता जा रहा है।

लाइव-2: बिस्मिल पार्क बना स्मैकियों का अड्डा

देश को आजादी दिलवाने में अहम भूमिका निभाने वाले क्रांतिकारी रामप्रसाद बिस्मिल को गोरखपुर में फांसी दी गई थी। उनकी इस शहादत को हमेशा कायम रखने के लिए सन 1989 में जिला प्रशासन ने एक पार्क बनवाया। रामप्रसाद बिस्मिल पार्क। इस पार्क का डेवलपमेंट जिला प्रशासन के आदेश पर जीडीए ने किया। पार्क में फास्टफूड की दो दुकानें भी बनाई गई। 35 हजार स्क्वॉयर फीट में फैला यह पार्क पेड़ पौधों से इस तरह सजाया गया था कि कोई भी यहां आए तो उसे प्रकृति से प्रेम हो जाए। पार्क के अंदर बिस्मिल की मूर्ति भी लगाई गई है। आई नेक्स्ट टीम जब इस पार्क में पहुंची तो वहां मिली केवल बदहाली और धूल की चादर चढ़ी बिस्मिल की मूर्ति। कुछ लोग भी बैठे हुए थे और धुंए के नीले छल्ले आसमान में ऊपर की ओर जाते दिखाई दे रहे थे। जब टीम इन लोगों के करीब पहुंची तो पता चला कि वे स्मैकिये हैं और स्मैक के छल्ले उड़ा रहे हैं। पूछने पर उन्होंने बताया कि यह उनका दिन रात का अड्डा है। यहां अब कोई घूमने फिरने वाला नहीं आता। केवल यहां हम लोग ही रहते हैं।

लाइव-3: जमुनालाल बजाज पार्क बना शराबियों का अड्डा

स्वतंत्रता के संग्राम में योद्घा बनकर अंग्रेजों को पसीने छुड़ाने वाले जमुनालाल बजाज के नाम पर गोरखपुर में एक पार्क हैं। बेतियाहाता में इस पार्क को सन 1992 में जीएमसी ने डेवलप किया था। इस पार्क को बनाते समय जीएमसी के अधिकारियों ने यह कहा था कि जमुनालाल बजाज हमारे सिटी की धरोहर है और उन्हें हमेशा याद रखा जाए इसलिए यह पार्क बनवाया जा रहा है। उनको यादगार करने के लिए पार्क में उनकी एक मूर्ति लगाई गई है। आई नेक्स्ट टीम जब इस पार्क में पहुंची तो सबसे पहले इंक्रोचमेंट का सामना करना पड़ा। बजाज की मूर्ति के अगल-बगल ठेले और पार्किंगवालों ने कब्जा कर लिया है। जब टीम पार्क के अंदर पहुंची तो लगा माना किसी खुले बीयर बार में आ गए हैं। पार्क में 15 से अधिक शराबी बैठकर जाम लड़ा रहे थे। पार्क के अंदर एक होटल भी है, जो खुलेआम इन शराबियों को स्नैक्स प्रोवाइड कर रहा था। इस होटल के एक कर्मचारी ने बताया कि डेली रात 8 बजे के बाद यहां शराबियों का जमावड़ा हो जाता है।

केवल हवा-हवाई हुआ तीनों पार्क का सुधार

नेहरू और बजाज पार्क जीएमसी की जिम्मेदारी है। बिस्मिल पार्क की देखरेख जीडीए को करना होती है। हर साल इन दोनों डिपार्टमेंट के पास इन पार्क की मरम्मत और जीर्णोद्धार के नाम पर लाखों रुपए आते हैं, लेकिन ये डिपार्टमेंट इन पार्क पर एक भी रुपया खर्च नहीं करते हैं। म्यूनिसपल कमिश्नर आरके त्यागी जब गोरखपुर आए तो वे लालडिग्गी नेहरू पार्क का दौरा किया और पार्क के मरम्मत और सुधार का वादा किया। इस वादे को सात माह हो गए उनके एक भी वादे हकीकत में पूरे नहीं हुए हैं।

ऐसी कोई जानकारी नहीं थी। प्रशासन को पत्र लिखकर पार्क में असामाजिक तत्वों के प्रवेश को रोका जाएगा। पुलिस की मदद से पार्क में शराब पीने वालों और जुआ खेलने वालों के खिलाफ एक्शन लिया जाएगा।

गोपीकृष्ण श्रीवास्तव, डिप्टी म्यूनिसिपल कमिश्नर