अगला मेयर कौन होगा? पद ओबीसी के लिए आरक्षित है। मेयर पद के आरक्षण में बदलाव होने की सूचना जारी होने के साथ ही सरगर्मियां तेज हो गई हैं। ‘खिलाड़ी’ गणित लगा रहे हैं। भाजपा में कुछ नामों पर विचार किया जा रहा है। रालोद की तरफ से भी दो-चार नाम सामने आ रहे है। सपा ने मामले को हाईकमान के आदेशों पर टाल दिया हैं। बसपा ने चुनाव से दूर रहने की बात कही है, लेकिन किसी न किसी उम्मीदवार को समर्थन उसका भी होगा।

बनेंगे नए समीकरण
पिछले चुनाव में मेयर का ओबीसी (महिला) के लिए आरक्षित था। मधु गुर्जर मेयर चुनी गई थीं। इस बार ये पद एससी के लिए आरक्षित होने का अनुमान था। इसके लिए सभी पार्टियों ने अपने पत्ते तय कर लिए थे। लेकिन ओबीसी के लिए पद आरक्षित होने से सभी के समीकरण धरे रह गए। कांग्रेस और रालोद ने साझा तौर पर चुनाव लडऩे की बात कही है। भाजपा ने दो नाम सुझाए है तो सपा अभी हाई कमान के आदेशों के इंतजार में है।

बहुत हैं दावेदार
भाजपा ने हरि कांत अहलूवालिया और मंगल सेन का नाम सुझाया है। वहीं पूर्व मेयर सुशील गुर्जर का कहना है कि वे पार्टी के आदेशों का पालन करेंगे। अगर पार्टी से टिकट मिलेगा तो वे चुनाव मैदान में जरूर आएंगे। रालोद के जिला अध्यक्ष यशवीर सिंह खुद चुनाव लडऩे की तैयारी कर रहे हैैं। रालोद-कांग्रेस गठबंधन में गजेंद्र सिंह नीलकंठ, मंजूर सैफी भी समीकरणों के हिसाब से टिकट पा सकते हैं। सपा के जिला अध्यक्ष जयवीर सिंह का कहना है कि अभी कुछ तय नहीं है, जो हाईकमान से बनी कमेटी फैसला करेगी, वही मान्य होगा।

अगला मेयर कौन?
अरुण जैन नगर निगम के पहले मेयर थे। उसके बाद अयूब अंसारी और शाहिद अखलाक मेयर चुने गए। पिछले दो टर्म से भाजपा का मेयर पद पर कब्जा है। पहले सामान्य सीट से सुशील गुर्जर मेयर चुने गए थे। बाद में ओबीसी महिला के लिए सीट आरक्षित होने पर उनकी पत्नी मधु गुर्जर मेयर चुनी गईं। इस बार मेयर पद ओबीसी के लिए आरक्षित होने से मधु गुर्जर के साथ सुशील गुर्जर की भी दावेदारी बन रही हैैं, लेकिन भाजपा ने अभी तक इनमें से किसी को भी हरी झंडी नहीं दी है।

पार्षदों का गणित बिगड़ा
नगर निगम चुनाव में वार्डों का आरक्षण भी बदला है, जिससे सभी वार्डों की सियासत प्रभावित हुई है। कई महिला आरक्षित वार्ड सामान्य हो गए हैैं, जहां कड़े मुकाबले के आसार हैैं तो कई सामान्य वार्ड महिलाओं के लिए आरक्षित होने से कई मौजूदा पार्षद अपनी पत्नी को चुनाव लड़ाने की तैयारी कर रहे हैं।

चुनावी तिथि का इंतजार 
अभी तक चुनावों की स्थिति के बारे में कुछ स्पष्ट नहीं है। चुनावों की तिथि भी घोषित नहीं की गई है। फिलहाल चुनावों को लेकर गतिरोध बढ़ गया है। मेयर पद से लेकर पार्षद पद तक के लिए टिकटों की जोड़ तोड़ की जा रही है।

बढ़ गए वोटर
वोटर लिस्ट की तैयारी तो हो चुकी है। अंतिम मतदाता सूची का प्रकाशन तीन-चार दिनों में हो जाएगा। वोटर लिस्ट बनने की प्रक्रिया चल रही है। 2011 में नगर निगम में 15 लाख पांच हजार की आबादी है। यानि 2001 की तुलना में करीब 4.3 लाख आबादी बढ़ी है। इसके साथ ही करीब एक लाख तेरह हजार वोटों का भी इजाफा हुआ है। चुनाव कार्यालय की मानें तो इस हिसाब से नगर निगम में करीब 12 वार्ड और बढ़ाए जा सकते है। क्योंकि एक वार्ड बनाने के लिए 13359 वोटर होना अनिवार्य है।

ईवीएम से होगा इलेक्शन
यूपी में पहली बार ईवीएम से चुनाव होंगे। इस संबंध में भी तैयारियां चल रही है। एडीएम सिटी दिनेश चंद्र का कहना है कि इसके लिए करीब 530 बैलेट यूनिट और 1750 ईवीएम डिस्ट्रीक इलेक्शन ऑफिस को मिल चुकी है।

चाहे जिस कैटगरी में मेयर पद को आरक्षित रखा जाए। पार्टी दमदार तरीके से चुनाव लड़ेगी और मेयर पद पर अपनी दावेदारी सुनिश्चित करेगी।
- लक्ष्मी कांत वाजपेयी, प्रदेश अध्यक्ष भाजपा


जो भी हाई कमान तय करेगा और जैसे निर्देश आएंगे वैसा ही काम किया जाएगा। उम्मीदवारों के नाम भी उपर से ही तय होंगे।
- जयवीर सिंह, सपा जिला अध्यक्ष

रालोद और कांग्रेस साझा चुनाव लड़ेंगी। हालांकि इस पर अंतिम फैसला हाईकमान की तरफ से ही लिया जाएगा। लेकिन मेरे साथ ही कई नाम दौड़ में है।
- यशवीर सिंह, जिला अध्यक्ष रालोद


चुनाव के मुद्दे
पांच सालों में नही बनी सडक़
नगर निगम चुनाव फिर से आ गए है। पांच साल पहले। चुनावों में सभी ने बड़े बड़े वादे किए थे। लेकिन आज भी हालात में कोई खास बदलाव नहीं हो पाया है। सभी भी सडक़ गडढों में है, ना की सडक़ में गडढ़े। सडक़ गडढों में हो तो भी तो संतोष कर लें। अधिकतर इलाके तो ऐसे हैं जिनमें सडक़ ही नहीं बनी है। बरसात के मौसम में ब्रह्मपुरी जैसे इलाकों में तो निकलना ही मौत हो जाता है।

कमेला बड़ा मुद्दा
बीते कार्यकाल में कमेला बड़ा मुद्दा बना रहा। इसको शिफ्ट करने को लेकर भी बात चली। घोसीपुर में कमेला बनाया भी गया। लेकिन अभी भी कमेले में कटान जारी है। जनता अभी भी हलकान है। जनता को मेयर हो या प्रशासन किसे ने भी राहत नहीं दिलाई।