ये है मामला

2011 में जूनियर नेशनल में मेरठ की पांच एथलीट्स ने पदक जीते थे। इन पदक जीतने के बाद खिलाडिय़ों को खेल विभाग उत्तर प्रदेश की ओर से पदक जीतने की रकम मिलनी थी। इसके लिए पांचों एथलीट्स ने जिला एथलेटिक्स संघ को अपने कागजात भी सौंप दिए थे। इसके बाद ये कागजात उत्तर प्रदेश एथलेटिक्स संघ के पास जाने थे। जिला संघ का कहना है कि हमने कागज भेज दिए, जबकि उत्तर प्रदेश एथलेटिक्स संघ किसी भी तरह के डॉक्यूमेंट्स मिलने से मना कर रहा है। रकम न मिलने से हतोत्साहित होकर रचना और निशा ने यूपी को छोड़ हरियाणा का दामन थाम लिया।

ये हैं एथलीट

मेरठ की कुल पांच एथलीटों ने जूनियर नेशनल में मेडल जीते थे। इनमें दूसरे खेलों के खिलाडिय़ों को तो पैसे मिल गए, लेकिन एथलेटिक्स में मेडल जीतने वाले किसी भी एथलीट को पैसे नहीं मिल पाए। इनमें पारुल चौधरी ने 2 किमी स्टीपल चेज में रिकार्ड बनाते हुए गोल्ड, प्रियंका ने पांच किमी में सिल्वर, निशा ने हैमर थ्रो में सिल्वर, रचना ने हैमर थ्रो में ब्रांज और प्रीति ने 200 मी में सिल्वर मेडल जीता था।

इतना मिलता है पैसा

खेल विभाग जूनियर नेशनल में गोल्ड जीतने वालों को एक लाख, सिल्वर जीतने वालों को 75 हजार और ब्रांज मेडल जीतने वालों को 50 हजार रुपए देती है।

इससे तो हरियाणा अच्छा

देखने वाली बात ये है कि उत्तर प्रदेश को छोड़कर दूसरे प्रदेशों ने 2012 में जीते पदकों की भी रकम दे दी है, लेकिन उत्तर प्रदेश में इन एथलीटों को 2011 की ही रकम नहीं मिली। तो 2012 तो बाद की बात है। हरियाणा जूनियर नेशनल, इंटर जोन और फेडरेशन कप तीन चैंपियनशिप में मेडल जीतने पर पैसे देता है। जबकि उत्तर प्रदेश में सिर्फ जूनियर नेशनल में पदक पर ही ये प्रावधान है।

'हमारे पास कोई कागजात आए ही नहीं है। अगर आते तो हम जरूर खिलाडिय़ों के कागजात आगे बढ़ाते और उन्हें अब तक पैसा मिल जाता.'

- पीके श्रीवास्तव, सचिव यूपी एथलेटिक्स एसोसिएशन

'हमारी ओर से कोई कमी ही नहीं है। हमने अपनी तरफ से सारे कागजात प्रदेश बॉडी को दे दिए थे.'

- राजाराम, सचिव जिला एथलेटिक्स संघ